
एनसीपी विधायक जीतेंद्र आहवाद ने सुधीर धावले नाम के एक शख्स को जेल से रिहा करने के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से सिफारिश की है। सुधीर इन दिनों भीमा कोरेगाँव हिंसा मामले में जेल के अन्दर बंद है। एक जनवरी 2018 को भीमा-कोरेगाँव में हुए जातीय संघर्ष के दौरान गिरफ्तार हुए 10 लोगों में शामिल था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उस हिंसक घटना के पीछे असली मास्टरमाइंड सुधीर धावले ही था।
उद्धव ठाकरे से जिस सुधीर धावले को जेल से रिहा करने सिफारिश हो रही है, उसी धावले ने अपनी किताब में उद्धव के पिता और शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे को हिटलर की संज्ञा दी थी। उस किताब में सुधीर ने जर्मन तानाशाह हिटलर से बालासाहेब का मिलान करते हुए सुधीर ने उनके बारे में लिखते हुए उन्हें “पूंजीपतियों का फासीवादी नौकर” कहा था। हालाँकि हिटलर से बालासाहेब का प्रेम किसी से छिपा नहीं था, यही वजह है कि देश में आपातकाल की घोषणा होने पर सबसे पहले बालासाहेब ने इसका समर्थन किया था। अपनी किताब में सुधीर ने बालासाहेब को फासीवादी, ब्राह्मणवादी लिखा था।
आरे चे आंदोलन करणारे सुटले .... #भिमाकोरेगाव मध्ये खोटे गुन्हे दाखल केले मागच्या सरकारनी— Dr.Jitendra Awhad (@Awhadspeaks) December 1, 2019
आता ह्या माझ्या सरकारनी ते गुन्हे मागे घ्यावेत @OfficeofUT @Jayant_R_Patil
होय ... हे आपले सरकार ...#MahaVikasAghadi
NCP MLA @Awhadspeaks is asking CM of Maharashtra @OfficeofUT to release #urbannaxals of #BhimaKoregaon. Sudhir Dhawale, the prime accused has written a book describing @ShivSena supreme Bal Thackeray as ‘fascist slave of capitalists’. Is Uddhav Thackeray fine with these lies? pic.twitter.com/xT7c4yiRfj— Shefali Vaidya (@ShefVaidya) December 2, 2019
अपनी किताब में उसने दावा किया कि हिंदुत्व को बढाने के लिए बालासाहेब ने दलितों की हत्या तक करवा दी थी। सुधीर ने अपनी इस किताब में 1974 के वर्ली दंगे का ज़िक्र करते हुए लिखा है कि इस दौरान मराठवाड़ा की दलित महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुआ था। इस दौरान बहुत लोगों को मारा गया और उनके घर लूट लिए गए थे। धावले ने ठाकरे पर महाराष्ट्र में दलितों के नरसंहार का आरोप लगाया था। अपनी किताब के ज़रिये धावले ने कहा कि यह सब करके ही ठाकरे स्थापित हुए।
उद्धव ठाकरे के सामने उनके पिता का अपमान करने वाले धावले को रिहा करने की माँग एक ऐसे वक़्त में आई है, जब वह एक गठबंधन सरकार के मुखिया हैं। उनकी सरकार को एनसीपी और कॉन्ग्रेस दोनों का समर्थन प्राप्त है, जिसके लिए उन्हें काफी आलोचना भी झेलनी पड़ी थी।
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