
राय ने आगे कहा, 'रोज-रोज प्रदर्शन और लाठी खाने का मतलब नहीं है। अभी चार साल तक इंतजार करना पड़ेगा। सवाल है कि लोगों ने इस सरकार को चार सालों का समय क्यों दिया? इनके खिलाफ हम चार साल नहीं लड़ सकते तो क्या करेंगे हम। एक तो हमें इन्हें चार साल देना नहीं चाहिए।' अरुंधति राय के इस बयान की आलोचना होने लगी है। भाजपा ने अरुंधति के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की है।
अरुंधति राय पहले भी कई बार अपने बयानों के जरिए विवाद खड़ी कर चुकी हैं। अपनी किताब 'द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स' के लिए 1997 का बुकर पुरस्कार जीतने वालीं अरुंधति जम्मू-कश्मीर पर विवादित बयान दे चुकी हैं। साल 2010 में लेखिका ने कहा था कि 'जम्मू-कश्मीर भारत का आंतरिक हिस्सा नहीं है।' उस समय गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस को राय के खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज करने के लिए कहा था।
अरुंधति राय के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्यसभा सांसद एवं भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, 'यह हैरान करने वाली बात है। लोगों को उकसाने के लिए अरुंधति राय पर मुकदमा दर्ज होना चाहिए। इस बयान के लिए राय पर देशद्रोह का केस दर्ज हो सकता है। उन पर आईपीसी की धारा 123बी लगाई जा सकती है।'
भाजपा प्रवक्ता अमित मालवीय ने कहा, 'कोई भी भारतीय अरुंधति राय को गंभीरता से नहीं लेता। उनकी कही हुई बात पर लोग ध्यान नहीं देंगे। राय और उनके जैसे लोग देश का नुकसान कर रहे हैं। लोगों को गलत जानकारियां देने के लिए नहीं उकसाना चाहिए। अरुंधति जैसे लोगों का कोई भविष्य नहीं है।'
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