
अलजज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, उसके संवाददाता ओसामा बिन जावेद ने कजाकिस्तान के सबसे बड़े शहर अलमाती में चीन से भागकर आए कुछ कजाकियों से मुलाकात की। इस दौरान उसे कई ऐसे सहमे लोग भी मिले, जिन्होंने अपनी पहचान बताने से मना कर दिया। उन्हें डर था कि अगर वे अपना मुँह खोलेंगे तो उनके रिश्तेदारों के साथ चीन के यातना गृह में और ज्यादा अत्याचार होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, एक समय तक चीन की हिरासत में बंदी बनकर रहे एक कज़ाकी ने बताया कि डिटेंशन कैंप में उसे ऐसी दवाइयाँ और इंजेक्शन लेने को मजबूर किया गया, जिससे उसका शरीर बर्बाद हो गया। उसके सुनने की क्षमता चली गई। कजाकी व्यक्ति के अनुसार आज उसकी स्थिति ये हो चुकी है कि उसे अब अपने साथ हुआ ज्यादा कुछ तो याद नहीं है, लेकिन चीनी कविताएँ उसे अच्छे से याद हैं। इन्हें पढ़ने के लिए मुस्लिम समुदाय के लोगों को कैंप में मजबूर किया जाता है।
इसके अलावा, चीन के नॉर्थवेस्ट इलाके के डिटेंशन कैंप में अरसे तक बंदी बनाकर रखी गई कजाकी महिलाओं ने बताया कि चीन के प्रशासन ने उनके साथ बहुत बर्बरता की और जबरन उनका गर्भपात करवाया।
गुलजीरा मॉडगिन नामक महिला, जिन्होंने कजाक की नागरिकता मिलने से पहले अपने कटु अनुभवों के बारे में कभी जुबान नहीं खोली थी, ने बताया कि यातना गृह में उन्हें जान से मारने की धमकी देकर डराया जाता था। उनको प्रताड़ित किया जाता था। गुलजीरा के अनुसार एक बार हिरासत के दौरान उन्हें मेडिकल चेकअप के लिए भेजा गया। जहाँ वे प्रेगनेंट निकलीं। जब अधिकारियों को ये बात पता चली, तो उनपर गर्भपात का दबाव बनाया गया। जब उन्होंने इससे मना किया तो उन्हें अकेला छोड़ दिया गया और बाद में एक क्लिनिक भेजा गया और टीबी की दवाइयों के नामपर कुछ दवाइयाँ खाने को कहा गया। लेकिन वो समझ गई वो क्या हैं।
चीनी बर्बरता और उनके तौर-तरीके देख तुर्की के सदस्यों का कहना है कि चीनी प्रशासन गर्भपात को मुस्लिमों के ख़िलाफ़ एक हथियार की तरह इस्तेमाल करता है। जब भी वह इससे मना करते हैं, तो जबरन उनके साथ ऐसे काम किया जाता है।
वहीं इस संबंध में कई कजाकियों का कहना है कि चीन आतंक से लड़ने के नाम पर मुस्लिमों पर लगातार अत्याचार कर रहा है और हर बार मानवाधिकारों का उल्लंघन भी कर रहा है। लेकिन कोई भी नेता उनके पक्ष में नहीं खड़ा हो रहा। उनकी मुस्लिम होने की पहचान को समय से पहले ही मिटाया जा रहा है और उनके बच्चों को पैदा होने से पहले ही मारा जा रहा है।
इससे पहले डेली मेल ने ऐसी ही दो महिलाओं की आपबीती छापी थी। इन्हें 2009 में शिनजियांग में हिरासत में लिया गया था। 4 साल तक चीनी अधिकारियों की प्रताड़ना झेलने के बाद अब दोनों तुर्की में हैं। इन्होंने बताया था कि चीन में 35 साल से कम उम्र के हर आदमी और हर औरत का बलात्कार किया जाता है। कैंप के गार्ड जिसके साथ रात गुजारना चाहते हैं, उसके सिर पर बैग रखते हैं और फिर खींचते हुए बाहर ले जाते है। फिर पूरी रात उसका बलात्कार होता है।
2017 में उइगर मुस्लिमों, कजाकी मुस्लिमों, वीगर समुदाय के साथ हो रहे अत्याचारों का खुलासा हुआ था। इसके बाद इस मामले पर कई मीडिया रिपोर्ट्स सामने आईं। जिसमें खुलासा हुआ था कि चीन द्वारा री-एड्युकेशनल कैंपों के नाम पर चलाए जा रहे यातना गृहों में महिलाओं के साथ पहले रेप होता है और फिर उनका जबरन गर्भपात करवाया जाता है। इसके अलावा यहाँ महिलाओं के गुप्तांगों में मिर्ची के पेस्ट लगाए जाने भी बेहद आम हैं।
लेकिन फिर भी चीन की प्रवक्ता वैश्विक स्तर पर इस संबंध में बात करते हुए दावा करती हैं कि उइगर मुस्लिमों की तरह उनके देश में 56 और समूह रहते हैं। वे यहाँ बेहतर जिंदगी जी रहे हैं और अपनी आजादी एवं अधिकारों का इस्तेमाल कर रहे हैं। चाइना भी मुस्लिम बहुसंख्यक देशों से अपने दोस्ताना संबंधों को आनंद ले रहा है।
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