हिन्दुत्व और मोदी के साथ “योगी तेरी क़ब्र खुदेगी AMU की धरती पर”

Related image
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
आज यूनिवर्सिटीओं में जिन दलों द्वारा अराजक तत्वों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है, राज्य एवं केंद्र सरकारों को उसे प्यार से नहीं सख्ती से निपटने की जरुरत है। CAA-NRC का विरोध एक अलग मुद्दा है, लेकिन इस विरोध में "हिन्दुत्व तेरी कब्र खुदेगी", "मोदी तेरी कब्र खुदेगी" और अब "योगी तेरी कब्र खुदेगी" आदि नारों के क्या औचित्य है? क्या आंदोलन के प्रायोजक देश को गृह-युद्ध में धकेलने का प्रयास नहीं कर रहे हैं? और शर्म आती उन्हें हिन्दू कहने पर जो हिन्दू होकर इस तरह के नारेबाजों के साथ खड़े होते हैं। इस तरह के आपत्तिजनक नारों का क्या उद्देश्य है या मंशा है? नागरिकता संशोधक कानून के समर्थकों को कि वह समर्थन में नहीं, बल्कि ऐसे आपत्तिजनक नारेबाज़ और इन्हें प्रायोजित करने वाले दलों के सामाजिक बहिष्कार के लिए सड़क पर आएं।  
देश विरोधी और सांप्रदायिक उन्मादी नारों के मोर्चे पर उत्तर प्रदेश का अलीगढ़ मुस्लिम विश्वद्यिालय (AMU) रोज नए कीर्तिमान गढ़ रहा है। इस मामले में उसने JNU को भी पीछे छोड़ दिया है। नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) के विरोध के नाम पर बीते दिसंबर में AMU ने अपने नारों से देश को चौंका दिया था। प्रदर्शनकारी छात्रों ने “हिन्दुत्व की क़ब्र खुदेगी AMU की धरती पर” जैसे नारे लगाए थे।
ऐसे नारे लगाने वालों को गिरफ्तार कर देशद्रोह का मुकदमा क्यों नहीं चलाया जाता? जिसके मन में जो आएगा बोल देगा? क्या संविधान ऐसे नारे की इजाजत देता है?
AMU के इन नफरती नारों को लेकर देशभर में आक्रोश देखा गया। लेकिन इससे एएमयू के कथित उन्मादी छात्रों को कोई फर्क पड़ता नहीं दिख रहा। गुरुवार (9 जनवरी) को AMU में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कब्र खुदने के नारे लगे। सोशल मीडिया पर नारेबाजी का यह वीडियो तेज़ी से वायरल हो रहा है।

वीडियो में आप देख सकते हैं कि नागरिकता संशोधन क़ानून, एनआरसी, जेएनयू हिंसा के विरोध में पंक्तिबद्ध होकर चल रहे छात्र AMU की आर्ट्स फैकल्टी से लेकर एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक तक एक सुर में “मोदी तेरी क़ब्र खुदेगी AMU की धरती पर”, “योगी तेरी क़ब्र खुदेगी AMU की धरती पर” जैसे नारे लगा रहे हैं। देर शाम इस घटना पर संज्ञान लेते हुए पुलिस ने 50-60 छात्रों के ख़िलाफ़ धारा-153 ए के तहत मुक़दमा दर्ज किया है।
ख़बर के अनुसार, गुरुवार को CAA के विरोध में उन्मादी छात्रों की भीड़ जब स्टाफ़ क्लब से AMU गेस्ट हाउस नंबर एक की ओर बढ़ रही थी तभी उन्मादी छात्रों ने मोदी और योगी को लेकर आपत्तिजनक नारे लगाए। पुलिस मामले की जाँच में जुट गई है। भड़काऊ नारेबाज़ी करने वालों से सख़्ती से निपटने की बात कही गई है।
Related image
विरोध की आड़ में साम्प्रदायिकता का जहर
क्यों फैलाया जा रहा है?
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सड़कों पर उतरे लोगों खासकर मुस्लिम समाज की प्रतिक्रिया आश्चर्यचकित करने वाली है। मुस्लिम समाज के लिए आज जो असमंजस की स्थिति है इसका बीज तो भारत के विभाजन के समय ही बोया गया था। उस समय हुए पूर्व नियोजित नरसंहार से निपटने का कोई भी हथियार भारत सरकार के पास नहीं था। गाँधीजी का एक लाइन का अहिंसक फार्मूला यही जताता था कि वध होने के लिए स्वयं को हत्यारों के सामने प्रस्तुत कर दो। असहायता की यही विरासत आजाद भारत की नीति बना दी गयी, और हम आज इसका परिणाम भुगत रहे हैं। विभाजन के समय हुए दंगों में सदियों से प्यार-मुहब्बत से साथ रहने वाले लोगों ने तलवारें निकाली, एक दूसरे की गर्दनें काटी, औरतें लूटी, सैकड़ों साल साथ रहने के बाद भी जो धार्मिक घृणा थी वह एक ही झटके में कत्लेआम की सूरत में बाहर आ गयी। इस कलह का बीज तो उसी समय बो दिया गया जब कांग्रेस के नेता, खासकर पंडित नेहरू, मौलाना आजाद, आदि ने पाकिस्तान जा रहे बहुत से लोगों के शिविरों में जाकर उन्हें भारत में रुकने के लिए यह कहकर प्रेरित किया कि हिंदुस्तान एक धर्मनिरपेक्ष देश है। यह देश सिर्फ किसी एक धर्म का नहीं बल्कि इस देश में सभी धर्मों का आदर होगा, और सभी को समान अधिकार दिया जाएगा। और यह धर्मनिरपेक्षता की चाल इस लिए चली गयी कि अगर हिंदुस्तान हिंदुओं के लिए बनाया जाता तो इस देश की कमान उस समय के हिंदुत्ववादी नेताओं खासकर "वीर सावरकर" जैसे नेताओं के हाथों जाने का डर था। जिस धर्मनिरपेक्षता के बहाने मुस्लिम समाज को हिंदुस्तान में रोका गया, उसी धर्मनिरपेक्षता से सही मायनों से मुस्लिम समाज को परिचित होने ही नहीं दिया गया। मुस्लिम समाज को तो सिर्फ वोटबैंक बनाने के षड़यंत्र के तहत ही हिंदुस्तान में रोका गया, इसीलिये तो उनकी अलग बस्तियाँ, उनकी अलग पहचान, उनके लिए अलग संस्थान, और उनके लिए अलग कानून बनाया गया। ऐसा नहीं है कि मुस्लिम समाज की समस्याएं हिंदुओं से अलग हैं, उनकी भी मूल समस्या शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार ही है, पर उन्हें धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ाने, भारतीय संस्कृति से जोड़ने की जगह उन्हें अरबों और तुर्कों से जोड़ा गया, उन्हें मानवता से परिचित कराने की जगह धार्मिक कट्टरता की तरफ मोड़ा गया। भारतीय मुस्लिम समाज के अंदर राजनीतिक षणयंत्र के तहत राष्ट्रीय नेतृत्व को भारत में विकसित ही नहीं होने दिया गया, मुस्लिम समाज को हमेशा से हिंदुओं का डर दिखाकर देश की मुख्यधारा से जुड़ने ही नहीं दिया गया। मुस्लिम समाज हमेशा क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के हाथों कठपुतली की तरह वोटबैंक के रूप में इस्तेमाल होता रहा है। नेतृत्व विहीन मुस्लिम समाज को देश में राजनीतिक सफलता प्राप्त करने के लिए चंद लोंगों ने सीढ़ी की तरह स्तेमाल कर उन्हें दुविधाग्रस्त स्थिति में छोड़ दिया। किसी ने भी भारत में उनकी भूमिका को लेकर स्पष्ट ही नहीं किया कि भारत में इनका किरदार क्या है ? इनकी इस देश में अहमियत क्या है ? इस देश में इनकी जरूरत क्या है ? मुस्लिम समाज आज भी दुविधा में है कि हिंदुस्तान में वह स्थायी हैं या अस्थायी ? मुस्लिम समाज के इसी दुविधा को आज कुछ राजनीतिक दल "नागरिकता संसोधन कानून" के विरोध में देश में अशांति का माहौल पैदा करने में उपयोग कर अपनी राजनीतिक रोटी सेंक रहे हैं। आज जब नागरिकता संसोधन कानून को लेकर हिंसक प्रदर्शनों का दौर चल रहा है तो यह शंका होती है कि कहीं किसी गुप्त एजेंडे के तहत इन्हें प्रभावित कर बरगलाया तो नहीं जा रहा है।
अवलोकन करें:-
About this website

NIGAMRAJENDRA.BLOGSPOT.COM
शास्त्री जी की पुन्य तिथि पर विशेष : - विनोद बंसल 11 जनवरी आते ही छोटे से कद-काठी वाला एक ऐसा चेहरा स्मृति में कौंधने लग...
आखिर पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगानिस्तान में पीड़ित अल्पसंख्यक समुदाय को भारत में नागरिकता देने से मुस्लिम समाज को किस प्रकार का खतरा हो सकता है ? आज मुस्लिम समाज को स्वतः सजग और वतनपरस्त होना पड़ेगा, किसी के हाथों कठपुतली बन कर अपने लिए सुरक्षित स्थान तलाशने के बजाय स्वतः आगे बढ़कर देश के विकास में बराबर की भागीदारी निभानी होगी, दुविधा और डर का परित्याग कर देश को अपना मानकर देश के प्रति समर्पित होकर कार्य करना होगा। देश जितना हिन्दू का है उतना ही मुस्लिम समाज का, यह भारत का संविधान कहता है, परन्तु वही संविधान यह भी कहता है कि देश को तोड़ने, दंगा करने वालों, धार्मिक रूप से हिंसा करने वालों, देश विरोधी कृत्यों को अंजाम देने वालों के लिए देश में कोई जगह नहीं है।

No comments: