समुद्र के रास्ते घुसे रोहिंग्या मुसलमान अंडमान में पैर रखते ही पकड़े गए

रोहिंग्या मुस्लिमअंडमान निकोबार द्वीप समूह में रोहिंग्या मुस्लिमों की संदिग्ध गतिविधियाँ बढ़ती जा रही हैं। साथ ही उनकी आबादी में भी तेज़ी से इजाफा हो रहा है। सोमवार (जनवरी 13, 2020) को पुलिस को सूचना मिली थी कि तरमुगली द्वीप पर कुछ संदिग्ध लोगों को नाव के साथ देखा गया है। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 66 लोगों को हिरासत में लिया, जो बाद में रोहिंग्या मुस्लिम निकले। हिरासत में लिए गए सभी आरोपित बांग्लादेश से आए थे। उन्हें जहाँ से गिरफ़्तार किया गया, उससे 34 किलोमीटर की दूरी पर ही वो ख़ास जनजाति के लोग रहते हैं, जिनका बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं।
ये सभी 66 लोग बांग्लादेश से नाव से अंडमान आए थे। पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए लोगों में 24 पुरुष, 27 महिलाएँ व 15 बच्चे हैं। पुलिस इस मामले में आगे की जाँच कर रही है। अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में कई वर्षों से रोहिंग्या मुस्लिमों का आना-जाना लगा हुआ है। माना जा रहा है कि रोहिंग्या मुस्लिमों को द्वीप समूह में बसा कर वहाँ की डेमोग्राफी में बदलाव करने की सजिश है। ये सब काफ़ी पहले से हो रहा है। 2013 में ही ख़बर आई थी कि उस साल 1100 रोहिंग्या मुस्लिम अंडमान पहुँचे थे
इन घटनाओं को देखते हुए इंडियन कोस्ट गार्ड्स भारत-बांग्लादेश समुद्री सीमा पर कड़ी नज़र रख रहे हैं। दिसंबर 2019 में अंडमान सागर में म्यांमार की नौसेना ने 174 रोहिंग्या मुस्लिमों को गिरफ़्तार किया था, जो बांग्लादेश के कैम्पों से भाग रहे थे। उनमें 82 पुरुष, 69 महिलाएँ, 3 किशोर और 15 लड़कियाँ शामिल थीं। पिछले साल कुल 25,000 रोहिंग्या मुसलमान के अंडमान सागर को पार करने की ख़बर आई है।

कहा जा रहा है कि इनमें से अधिकतर ने थाइलैंड का रुख किया है। भारत के कई राज्यों में डेरा डाल चुके रोहिंग्या अब द्वीपों को निशाना बनाने में लगे हैं। इससे मीडिया में चर्चा भी नहीं होती और वो गुपचुप तरीके से बस जाते हैं।
अगर आँकड़ों की बात करें तो 2012 से लेकर 2015 तक 1,12,500 रोहिंग्या मुस्लिमों ने नाव से अंडमान सागर और बंगाल की खाड़ी को पार किया है। म्यांमार के रखाइन स्टेट की बात करें तो वहाँ से 7,50,000 रोहिंग्या मुस्लिमों ने पलायन किया है, जिनमें से अधिकतर भारत आकर बस गए हैं। कई इलाक़ों से आपराधिक वारदातों में इनका हाथ होने की बातें सामने आती रहती हैं।

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