JNU में आतंक के 8 घंटे : छात्राओं के प्राइवेट पार्ट्स पर हमला किया--मीनाक्षी लेखी

जेएनयू हिंसा
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
कुछ समय से जिस तरह जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में गुंडागर्दी हो रही है, क्यों ना कुछ समय के लिए इस यूनिवर्सिटी को बंद कर दिया जाए। कभी देश विरोधी नारों से जेएनयू गूंजता है, और मोदी विरोधी उनके साथ खड़े हो जाते हैं। और अब रजिस्ट्रेशन को लेकर हंगामा। 
पहले कश्मीर में नकाबपोशी पत्थरबाज़ी करते थे, वहां उन पर लगाम लगा तो जामिया मिलिया में नकाबपोश आ धमकने के वही नकाबपोश जेएनयू में नज़र आ गए। आखिर ये नकाबपोश छात्रों की आड़ में गुंडे तो नहीं? दिल्ली पुलिस को सर्वप्रथम इन नक़ाबपोशियों को बेनकाब करना होगा, पुलिस, चाहे दिल्ली की हो अथवा किसी अन्य राज्य की, कोर्ट और सरकार को नकाबपोश पत्थरबाजों के लिए कोई सख्त कानूनी प्रक्रिया में कम से कम तीन वर्ष की सजा का प्रावधान करने का अनुरोथ करना चाहिए, अन्यथा यूनिवर्सिटी कोई भी हो ये नकाबपोश गुंडे कानून व्यवस्था ख़राब करते रहेंगे।
JNU मास्क लगाए गुंडों ने मचाई तबाही  
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में वामपंथियों ने रविवार (जनवरी 5, 2019) को जम कर उत्पात मचाया। न सिर्फ़ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं की पिटाई की गई बल्कि अन्य छात्रों को भी उनके हॉस्टल रूम में घुस-घुस कर मारा पीटा गया। कई तस्वीरों में गुंडे मास्क पहन कर हाथ में डंडे लिए घुमते दिख रहे हैं। उपद्रवियों ने लोहे के रॉड से अन्य छात्रों की पिटाई की। ये वारदात पेरियार हॉस्टल में हुई। कई छात्र गंभीर रूप से घायल हुए हैं। कई अन्य छात्रों को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है।
जेएनयू एबीवीपी के अध्यक्ष दुर्गेश ने बताया कि क़रीब 500 की संख्या में वामपंथी छात्र अचानक से हॉस्टल में जमा हो गए। वो सभी लाठी-डंडों और रॉड से लैस थे। उन्होंने हॉस्टल में तोड़फोड़ मचानी शुरू कर दी। फिर वो कमरे में घुस-घुस कर छात्रों की पिटाई करने लगे। एबीवीपी नेता व जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी मनीष को इस घटना में ख़ासी चोट आई है। एबीवीपी की महसचिव निधि त्रिपाठी ने अधिक जानकारी देते हुए बताया:
“जेएनयू में पिछले कई दिनों से नक्सली गिरोह का आतंक चरम पर है और वे छात्रों को सेमेस्टर के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं करने दे रहे हैं। आज जब छात्रों ने वामी नक्सलियों की बात नहीं मान कर रजिस्ट्रेशन की माँग की तो छात्रावास के कमरों में घुसकर लाठी और लोहे की रॉड से हमला किया। कई छात्र बुरी तरह से घायल हैं।”
मास्क पहने गुंडों ने हॉस्टल में जम कर पत्थरबाजी भी की। उन्होंने छात्रों के साथ-साथ गार्डों को भी निशाना बनाया। हालाँकि, वामपंथियों के नेतृत्व वाले जेएनयू छात्र संगठन ने इन आरोपों से इनकार किया है और दावा किया है कि एबीवीपी झूठ फैला रही है। एबीवीपी ने कहा है कि अभी छात्रों का इलाज पहली प्राथमिता है। इसके बाद संगठन इस मामले की पुलिस में शिकायत दर्ज कराएगा।
वीडियो में देखा जा सकता है कि हॉस्टल में शीशे के टुकड़े बिखरे पड़े हुए हैं और तोड़फोड़ मची हुई है। साथ ही हाथों में डंडे व रॉड लिए घुमते चेहरे ढके लोगों को भी देखा जा सकता है। गुंडों ने क़रीब 8 घंटे तक हिंसा व दंगे किए। इस वारदात के बाद एबीवीपी के 2 छात्र गायब बताए जा रहे हैं। कुछ अन्य छात्रों का भी कुछ अता-पता नहीं है। इस हमले में 25 छात्र घायल हुए हैं। कुल 11 छात्र अभी भी मिसिंग बताए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि मास्क पहने गुंडों बाहरी भी हो सकते हैं।
एबीवीपी ने दिल्ली पुलिस से गुहार लगाई है कि उसके छात्रों को बचाया जाए। कई छात्राओं ने कुर्सी व टेबल के नीचे छिप कर ख़ुद को मास्क पहने गुंडों के आतंक से बचाया। एक छात्रा वेलेंटिना ब्रह्मा ने बताया कि उसे वामपंथी छात्रों ने पीटा है। उसने पूछा कि अब छात्र रजिस्ट्रेशन के लिए कहाँ जाएँगे?




ABVP के आरोपों के उलट वामपंथी छात्र संगठनों ने JNU में हुई हिंसा का आरोप एबीवीपी पर ही लगाया है। कौन से गुट ने हिंसा की, यह तो पुलिस जाँच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा लेकिन ऊपर के वीडियो में दिख रही महिला सुरक्षा गार्ड ने स्पष्ट बताया है कि पेरियार हॉस्टल के दाढ़ी वाले लड़के ने, जो हरे रंग का शॉल ओढ़े हुए था, उसने लात मारी।
पिछले 2-3 महीने से JNU कैंपस के अंदर जिस तरह की राजनीति चल रही है, उसके बिंदुओं को जोड़ने पर बहुत कुछ स्पष्ट होने लगता है। मसलन विरोध के नाम पर क्लास नहीं होने देना, विरोध के नाम पर शोध कर रहे प्रोफेसरों को लैब में जाने से रोकना, विरोध के नाम पर एम्बुलेंस का रास्ता रोकना या फिर पुलिस से पहचान छिपाने के लिए क्या-क्या हथकंडे अपनाना – यह सुब कुछ इन्हीं लिबरलों के द्वारा किया जा रहा है।
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छात्राओं के प्राइवेट पार्ट्स पर हमला किया--मीनाक्षी लेखी 
बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने दावा किया कि जब कुछ छात्राएँ मैनुअली रजिस्ट्रेशन करवाने जा रहे थीं तो उनके हिप और प्राइवेट पार्ट्स पर लाठी-डंडों से हमला किया गया। इतना ही नहीं, कई छात्राओं को बाथरूम में ले जाकर उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया गया। मीनाक्षी लेखी ने कहा कि कई छात्रों ने उन्हें बताया कि कुछ लोग जामिया से भी जेएनयू आए थे। मीनाक्षी लेखी का कहना है कि पीड़ित लड़कियाँ इन बातों को बताने में भी शर्मिंदा हैं।
वैसे पिछले 2-3 महीने से JNU कैंपस के अंदर जिस तरह की राजनीति चल रही है, उसके बिंदुओं को जोड़ने पर बहुत कुछ स्पष्ट होने लगता है। मसलन विरोध के नाम पर क्लास नहीं होने देना, विरोध के नाम पर शोध कर रहे प्रोफेसरों को लैब में जाने से रोकना, विरोध के नाम पर एम्बुलेंस का रास्ता रोकना या फिर पुलिस से पहचान छिपाने के लिए क्या-क्या हथकंडे अपनाना – यह सुब कुछ इन्हीं लिबरलों के द्वारा किया जा रहा है।

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