NRC के डर से भाग रहे बांग्लादेशी घुसपैठिए

बांग्लादेशी घुसपैठिए
आर.बी.एल. निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
 एक तरफ कांग्रेस और इसके समर्थक दल मुसलमानों को डराकर देश में उपद्रव कराकर सौहार्द और शांति भंग करने में व्यस्त हैं, तो दूसरी तरफ बांग्लादेशी घुसपैठियों ने रात के अँधेरे में भागना शुरू कर दिया है। अभी देखना यह है कि पाकिस्तानी घुसपैठिए कब देश से बाहर होंगे। क्योकि इन्हें इनके संरक्षक आसानी से बाहर नहीं आने देंगे। और जिस दिन पाकिस्तानी घुसपैठिए भारत से बाहर चले जाएंगे, हर भारतीय राहत की साँस लेगा। 
इंडिया टीवी पर टॉक शो पर तारिक फ़तेह से उपस्थित मेहमानों में से एक ने कहा कि "हमारे बाप-दादा पाकिस्तान नहीं गए। लेकिन जो बटवारे के समय पाकिस्तान चले गए थे, उन्हें आज तक मुहाजिर कहा जाता है, वहां वो भी परेशान हैं, उन्हें भारत की इजाजत क्यों नहीं?"  जब उससे उसकी जन्मतिथि पूछने पर अपने आपको 1964 की पैदाइश बताने पर, तारिक फ़तेह ने जवाब दिया कि 1951 में इंडो-पाक रेल सेवा बंद कर दी गयी थी, क्योकि वहां शोर मच गया कि यदि हिंदुस्तान से सारे मुसलमान आ जाएंगे, हम कहाँ जाएंगे। हमारा क्या होगा? दूसरे, यह कहना की जो 1947 में पाकिस्तान चले गए थे, उन्हों क्यों बुलाकर भारत की नागरिकता दी जाए। पाकिस्तान जाने वाले मुसलमानों के ही कारण हिन्दुस्तान के दो टुकड़े हुए थे। "   
नेशनल रजिस्टर आफ सिटिजन्स (NRC) अभी पूरे देश में लागू नहीं हुआ है। लेकिन, इसकी आहट से सालों से भारत में अवैध रूप से रह रहे घुसपैठियों की नींद उड़ गई है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार हर रोज रात को सैकड़ों बांग्लादेशी सीमा पार कर रहे हैं। इनमें से कई को सीमा में घुसते हुए बांग्लादेश बार्डर गार्ड्स (बीजीबी) ने दबोचा भी है।  
बीजीबी के महानिदेशक मेजर जनरल मोहम्मद शफीनुल इस्लाम ने 2 जनवरी को बताया था कि नवंबर और दिसंबर में 445 बांग्लादेशी नागरिक वापस आए हैं। उन्होंने माना था कि जॉंच से यह बात सत्यापित हुई है कि ये सभी घुसपैठिए थे। दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट के अनुसार बीजीबी ने जितने लोगों को पकड़ा है, उससे कहीं ज्यादा सीमा पार कर घुसने में सफल रहे हैं।
रिपोर्ट में स्थानीय लोगों के हवाले से बताया गया है कि रोजाना 300 से 400 लोग भारत से बांग्लादेश लौट रहे हैं। बांग्लादेश के झिनाइदा जिले से सटे सीमावर्ती महेशपुर उप जिला से ही नवंबर से अब तक हजारों लोगों ने रात के अँधेरे में बांग्लादेश में प्रवेश किया है। बांग्लादेशी बॉर्डर गॉ‌र्ड्स ने पिछले महीने करीब 300 लोगों को महेशपुर उप जिला से पकड़कर पुलिस को सौंपा था।
रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश में घुसने की कोशिश करते अधिकांश लोगों ने वहॉं की एजेसियों को बताया है कि वे काम के सिलसिले में अरसे से भारत में रह रहे थे। इनके पास से भारतीय पहचान पत्र भी बरामद हुए हैं। रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि अंतरराष्ट्रीय सीमा के बड़े इलाके में फेंसिंग और बिजली नहीं है। इलाका नदियों और घने जंगलों से घिरा है। इसका फायदा उठाकर लोग सीमा पार कर रहे हैं। इसे देखते हुए बांग्लादेश ने सीमावर्ती गॉंव के लोगों को साथ मिलकर सुरक्षा कमेटी बनाई है। बीएसएफ अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि असम में एनआरसी लागू होने के बाद से वहॉं से भी बांग्लादेशी अब अपने देश लौटने लगे हैं।
गौरतलब है कि एनआरसी को भारत का आंतरिक मामला बताते हुए बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन पहले ही अपने नागरिकों को वापस लेने की बात कह चुके हैं। उन्होंने कहा था, “हम बांग्लादेशी नागरिकों को वापस आने की अनुमति देंगे, क्योंकि उनके पास अपने देश में प्रवेश करने का अधिकार है।” मोमेन ने बताया था कि भारत से अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों की सूची भी मुहैया कराने का अनुरोध किया गया है। बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना के अंतरराष्ट्रीय मामलों के सलाहकार गौहर रिजवी ने भी कहा था कि भारत में अवैध रूप से रह रहे लोग वापस लिए जाएँगे।

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