
अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, “आज देश में आर्थिक संकट है। उनके (मोदी सरकार के) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति ने कहा है कि सरकार आर्थिक स्थिति को नहीं समझती। इसलिए अब उन्हें मनमोहन सिंह की नीतियों का अनुसरण करना चाहिए, जिसे वे (डॉ मनमोहन सिंह) नरसिम्हा राव के समय में अर्थव्यव्स्था बचाने के लिए लाए थे।” गहलोत के अनुसार भाजपा की विश्वसनीयता नहीं है और वे अपनी विश्वसनीयता सिर्फ़ नरेंद्र मोदी और अमित शाह के केंद्र में होने के कारण खो रहे हैं।
कांग्रेस नेता गहलोत ने इस आयोजन में राष्ट्रवाद का मुद्दा उठाते हुए भाजपा के राष्ट्रवाद को छद्म-राष्ट्रवाद करार दिया और कहा कि हम असली राष्ट्रवादी हैं। उन्होंने कहा आरक्षण को लेकर खतरनाक खेल चल रहा है। भाजपा के सांसदों और संघ नेताओं की ओर से जिस प्रकार के बयान आ रहे हैं, इनका कोई भरोसा नहीं है कि कब ये आरक्षण को खत्म करने की घोषणा कर दें। उन्होंने आरक्षण के दायरे में आने वाले एससी, एसटी, ओबीसी से एकजुट होने का आह्वान किया और कहा कि आरक्षण की रक्षा के लिए यह जरूरी है। इससे भविष्य में आरक्षण को खत्म करने की किसी में हिम्मत नहीं होगी।
दिल्ली चुनावों में अपना खाता तक न खोल पाने वाली कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता ने इस आयोजन में दिल्ली चुनाव के परिणाम में भाजपा को मिली हार पर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेता ही दिल्ली के चुनाव में पार्टी की दुर्गति चाहते थे। उन्हीं के नेता चाहते थे कि भाजपा को अच्छे नतीजे न मिलें। मुख्यमंत्री गहलोत के मुताबिक भाजपा के नेता मन ही मन कह रहे थे कि इन्हें कोई सबक मिलना चाहिए।
अवलोकन करें:-
स्थानीय स्तर पर गुप्त समझौता ?
ऐसी भी शंका व्यक्त की जा रही है कि स्थानीय स्तर पर आम आदमी पार्टी से गुप्त समझौता हो गया था, जिस कारण पार्टी का घर-घर प्रचार-प्रसार तक नहीं हुआ। कई क्षेत्रों में तो यह भी नहीं मालूम था कि भाजपा का उम्मीदवार कौन है? भाजपा मुस्लिम क्षेत्रों में चुनाव लड़ रही है या नहीं। गुप्त समझौते की बात गहरा इसलिए भी जाती है कि मतदान वाले दिन अधिकतर मुस्लिम क्षेत्रों में भाजपा को आम आदमी पार्टी के साथ मेज-कुर्सी साझा करते देखा, जो समझौते की शंका को प्रमाणित करता है। अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ तो मात्र एक शो-पीस है। इस गंभीर मसले पर प्रदेश नहीं, शीर्ष नेतृत्व को सख्त कार्यवाही करनी चाहिए। यह पार्टी के हित में उचित होगा। ऐसे पार्टी विरोधी काम करने को किस आधार पर पार्टी में स्थान दिया हुआ है, जो पार्टी में रहकर विरोधियों के चुपचाप मालपुए का आनंद ले रहे हैं?
ऐसी भी शंका व्यक्त की जा रही है कि स्थानीय स्तर पर आम आदमी पार्टी से गुप्त समझौता हो गया था, जिस कारण पार्टी का घर-घर प्रचार-प्रसार तक नहीं हुआ। कई क्षेत्रों में तो यह भी नहीं मालूम था कि भाजपा का उम्मीदवार कौन है? भाजपा मुस्लिम क्षेत्रों में चुनाव लड़ रही है या नहीं। गुप्त समझौते की बात गहरा इसलिए भी जाती है कि मतदान वाले दिन अधिकतर मुस्लिम क्षेत्रों में भाजपा को आम आदमी पार्टी के साथ मेज-कुर्सी साझा करते देखा, जो समझौते की शंका को प्रमाणित करता है। अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ तो मात्र एक शो-पीस है। इस गंभीर मसले पर प्रदेश नहीं, शीर्ष नेतृत्व को सख्त कार्यवाही करनी चाहिए। यह पार्टी के हित में उचित होगा। ऐसे पार्टी विरोधी काम करने को किस आधार पर पार्टी में स्थान दिया हुआ है, जो पार्टी में रहकर विरोधियों के चुपचाप मालपुए का आनंद ले रहे हैं?
भाजपा पर आरोप लगाने से पहले कांग्रेस को इन सवालों का जवाब भी देना चाहिए
दिसंबर 1984 में लोकसभा के चुनाव हुए थे. कांग्रेस को 414 सीटें मिलीं थीं. विपक्ष का सफाया हो गया था। इससे केवल डेढ़ महीने पहले 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई थी।
अतः इस सवाल का जवाब कांग्रेस को देना चाहिए कि इंदिरा गांधी की हत्या से किस को फायदा हुआ था?
इसी क्रम में दूसरा सवाल यह भी है कि इंदिरा गांधी के हत्यारे बेअंत सिंह ने उन्हें करीब से 6गोलियां मारी थीं।लेकिन दूसरे हत्यारे सतवंत सिंह ने अपनी आटोमैटिक राइफ़ल से इंदिरा गांधी पर दूर से ही अंधाधुंध गोलियां बरसाई थीं. उनको कुल #28गोलियां लगी थीं. लेकिन इंदिरा गांधी के साथ उनके बिल्कुल पास खड़ी सोनिया गांधी और आरके धवन को एक भी गोली नहीं लगी थी?
ऐसी चमत्कारी गोलीबारी का कारण क्या था?
इस सवाल का जवाब भी देश को आज तक नहीं मिल पाया है।
अतः जो राहुल गांधी यह पूछ रहा है कि पुलवामा में 40 जवानों की हत्या से किसे लाभ हुआ.? उसी राहुल गांधी से इस सवाल का जवाब भी देश जानना चाहता है कि उन इंदिरा संजय राजीव की रहस्यमय नृशंस हत्याओं से किसे सबसे अधिक लाभ मिला?
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