
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मुद्दा जनजीवन को ठप करने की समस्या से जुड़ा है। विरोध के नाम पर सब सड़क पर उतरने लगे तो क्या होगा? कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र लोगों की अभिव्यक्ति से ही चलता है, लेकिन इसकी एक सीमा है। अगर सभी सड़क बंद करने लगे तो परेशानी खड़ी हो जाएगी। यातायात बंद नहीं होना चाहिए। विरोध-प्रदर्शन का तरीका होता है। सभी के पास विरोध करने का अधिकार है, लेकिन सड़क बंद करने का नहीं।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “पिछले 64 दिन से प्रदर्शन जारी है, लेकिन आप उन्हें हटा नहीं पाए। अब बातचीत से हल नहीं निकलता है तो हम अथॉरिटी को एक्शन के लिए खुली छूट देंगे।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह सड़क को बंद करके प्रदर्शन करने से दूसरे लोगों को भी आइडिया आएगा और वो भी ऐसा ही करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट में चंद्रशेखर आजाद की ओर से पेश वकील ने कहा कि देश में इस तरह के 5000 प्रदर्शन होंगे। इस पर अदालत ने कहा, “हमें 5000 प्रदर्शनों से दिक्कत नहीं हैं, लेकिन रास्ता बंद नहीं होना चाहिए। हमें बस सड़क के जाम होने से चिंता है।”
The Supreme Court has fixed the matter for further hearing on Monday, 24th February. https://t.co/xVPYJATGdP— ANI (@ANI) February 17, 2020
Supreme Court asks who can be appointed to go to persuade/talk to Citizenship Amendment Act protesters from Shaheen Bagh. Names of Senior Advocate Sanjay Hegde and Sadhana Ramachandran, came up during the hearing for being appointed as an interlocutor to talk to the protesters. https://t.co/wgbHnVif4w— ANI (@ANI) February 17, 2020
यह सुनवाई उस याचिका पर चल रही थी जिसमें याचिकाकर्ता ने 2 महीने से बंद सार्वजनिक रास्ते को खोलने का आदेश देने की अपील शीर्ष अदालत से की थी। याचिका में कहा गया था कि सार्वजनिक रास्तों को रोकने संबंधी गाइडलाइन जारी किया जाना चाहिए।
अवलोकन करें:-
अरफा खानुम किस प्रकार प्लान बता रही है वो आपको गौर से सुनना चाहिए, इन दिनों कट्टरपंथी तत्व जो तिरंगा लहरा रहे है, राष्ट्रगान गा रहे है वो इनकी स्ट्रेटेजी का हिस्सा है, सुनिए क्या कहती है अरफा।
इस देश में काफी सारे सेक्युलर हिन्दू अरफा खानुम और इनके जैसे लोगों का मोदी विरोध में जमकर साथ दे रहे है, अरफा खानुम इन सेकुलरों के सामने तो भाईचारे, दलित, आदिवासी की बात करती है, पर मुस्लिम भीड़ के आगे वो पूरी प्लानिंग समझाती है।
अरफ़ा की इस बात से देश समस्त छद्दम धर्म-निरपेक्षों को अपनी आंखें खोलने चाहिए, जो सेकुलरिज्म का हर वक़्त राग अलापते रहते हैं। वास्तव में हिन्दुओं का छद्दम धर्म-निरपेक्षों द्वारा मूर्ख ही बनाया जा रहा, बल्कि ये लोग स्वयं गजवा हिन्द बनाने में इन कट्टरपंथी स्लीपर सैल्स की मदद कर, भारत को पुनः गुलाम बनाने की ओर धकेल रहे हैं, जो अरफ़ा के बयानों से स्पष्ट झलक रहा है।
इस देश में काफी सारे सेक्युलर हिन्दू अरफा खानुम और इनके जैसे लोगों का मोदी विरोध में जमकर साथ दे रहे है, अरफा खानुम इन सेकुलरों के सामने तो भाईचारे, दलित, आदिवासी की बात करती है, पर मुस्लिम भीड़ के आगे वो पूरी प्लानिंग समझाती है।
अरफ़ा की इस बात से देश समस्त छद्दम धर्म-निरपेक्षों को अपनी आंखें खोलने चाहिए, जो सेकुलरिज्म का हर वक़्त राग अलापते रहते हैं। वास्तव में हिन्दुओं का छद्दम धर्म-निरपेक्षों द्वारा मूर्ख ही बनाया जा रहा, बल्कि ये लोग स्वयं गजवा हिन्द बनाने में इन कट्टरपंथी स्लीपर सैल्स की मदद कर, भारत को पुनः गुलाम बनाने की ओर धकेल रहे हैं, जो अरफ़ा के बयानों से स्पष्ट झलक रहा है।
मोदी-योगी विरोधियों का नंगा नाच
मोदी विरोधियों ने चुनाव जीतने के लिए दो महीने तक लोगों को बढ़िया जलपान और बिरयानी खिलाकर खूब रोजगार दिया। खूब शोर मचाया जाता था कि जब तक CAA और NRC वापस नहीं होगा, यहीं बैठे रहेंगे। आखिर मजदूर वही काम करेगा, जो उसको बोला जाएगा, बच्चा मरता हो मर जाए, दो पैसों के लालच में बच्चे को भी खो दिया। यदि CAA विरुद्ध था, तो चुनाव परिणाम आते ही क्यों शाहीन बाग़ खाली होना शुरू हुआ, कहाँ है वो औरत जो अपना मर जाने पर कहती थी कि दो और बच्चे मरवाने को तैयार हूँ?जो प्रमाणित करता है,मोदी सरकार द्वारा तीन तलाक पर पाबन्दी लगाने के कारण भाजपा की ओर आकर्षित हुई मुस्लिम महिलाओं को पैसे के दम पर मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण कर भाजपा को हराना ही उद्देश्य था।
रोज 500 देने की बात उजागर होने पर मोदी विरोधी कहते थे कि "इतनी ठंठ में छोटे-छोटे बच्चों को लेकर कौन औरत आएगी", अब जवाब दो परिणाम आते-आते कहाँ गयी सब बिकाऊ? इस प्रकरण से जनता को भविष्य में ऐसे गैंगों से सचेत रहना होगा, अन्यथा शिक्षित होते हुए भी जनता किसी अशिक्षित से भी कम दिमाग होने का प्रमाण देंगे। शाहीन बाग़ उसका प्रमाण है, जहाँ भाजपा को हराने के लिए महिलाओं और माँ का दूध पीने वाले बच्चों का शोषण किया गया। 500 रूपए रोज देने पर भाजपा विरोधी केंद्र सरकार को चाहिए कि सख्ती से हिन्दू विरोधी नारे के खिलाफ कार्यवाही करे और दिल्ली सरकार को उन उपद्रवियों के कार्यवाही करने के बाध्य करे।
मोदी विरोधियों ने चुनाव जीतने के लिए दो महीने तक लोगों को बढ़िया जलपान और बिरयानी खिलाकर खूब रोजगार दिया। खूब शोर मचाया जाता था कि जब तक CAA और NRC वापस नहीं होगा, यहीं बैठे रहेंगे। आखिर मजदूर वही काम करेगा, जो उसको बोला जाएगा, बच्चा मरता हो मर जाए, दो पैसों के लालच में बच्चे को भी खो दिया। यदि CAA विरुद्ध था, तो चुनाव परिणाम आते ही क्यों शाहीन बाग़ खाली होना शुरू हुआ, कहाँ है वो औरत जो अपना मर जाने पर कहती थी कि दो और बच्चे मरवाने को तैयार हूँ?जो प्रमाणित करता है,मोदी सरकार द्वारा तीन तलाक पर पाबन्दी लगाने के कारण भाजपा की ओर आकर्षित हुई मुस्लिम महिलाओं को पैसे के दम पर मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण कर भाजपा को हराना ही उद्देश्य था।
रोज 500 देने की बात उजागर होने पर मोदी विरोधी कहते थे कि "इतनी ठंठ में छोटे-छोटे बच्चों को लेकर कौन औरत आएगी", अब जवाब दो परिणाम आते-आते कहाँ गयी सब बिकाऊ? इस प्रकरण से जनता को भविष्य में ऐसे गैंगों से सचेत रहना होगा, अन्यथा शिक्षित होते हुए भी जनता किसी अशिक्षित से भी कम दिमाग होने का प्रमाण देंगे। शाहीन बाग़ उसका प्रमाण है, जहाँ भाजपा को हराने के लिए महिलाओं और माँ का दूध पीने वाले बच्चों का शोषण किया गया। 500 रूपए रोज देने पर भाजपा विरोधी केंद्र सरकार को चाहिए कि सख्ती से हिन्दू विरोधी नारे के खिलाफ कार्यवाही करे और दिल्ली सरकार को उन उपद्रवियों के कार्यवाही करने के बाध्य करे।
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