सांसें गिनता शाहीन बाग: खाली पंडाल में कैमरा देख औरतों ने बजाया हूटर

शाहीन बाग
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
जैसाकि शाहीन बाग़, जामिया, जामा मस्जिद और देश के अन्य क्षेत्रों में नागरिकता संशोधक कानून के विरोध में हो रहे, प्रदर्शन और धरने आदि को देश में अराजकता फ़ैलाने का संयोजित षड़यंत्र कहने पर लोग कहते थे कि "क्यों कोई अपने दूध पीते बच्चों को लेकर कड़कती ठंठ में लेकर आएगी?" लेकिन यह षड़यंत्र दिल्ली चुनाव होते ही उजागर होना शुरू हो गया था। दूसरे, उत्तरी पूर्वी दिल्ली में फरवरी 24 को हुए हिन्दू विरोधी दंगे ने सन्देह को स्पष्ट कर दिया कि इन धरनों और प्रदर्शनों को तुष्टिकरण और घुसपैठियों के लाडले नेताओं द्वारा प्रायोजित किया गया था, जो अधिक से अधिक मात्रा में भीड़ जमा करने के लिए बिरयानी और नाश्ते का भी लालच देकर बुलाते थे। प्रायोजित पार्टियों में हिन्दू और सिख सदस्यों को वहां भेज, इसे हिन्दू-मुस्लिम का संयुक्त विरोध कहकर प्रसारित कर जनता को भ्रमित कर रहे थे। 
दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से जो संख्या कम होनी शुरू हुई थी, अब दंगों में नेताओं की पकड़-धकड़ से हालत यह हो गयी कि जिस शाहीन बाग़ में बैठनी वाली मुस्लिम औरतें CAA और NRC के वापस न होने तक मरते दम तक नहीं हटने के लिए बोलती थीं, आज(मार्च 6) को मात्र चुटकी भर भीड़ रह गयी है। जामा मस्जिद तो साफ ही हो गयी। जबकि अब ठंठ समाप्ति पर है। जिससे एक संदेह और होता है कि "क्या प्रदर्शन और धरनों में पाकिस्तान और बांग्लादेशी घुसपैठिए होते थे, जो चाँद बाग़ में ताहिर हुसैन के घर जमा हुए?"  
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के ख़िलाफ़ शाहीन बाग में चल रहा निराधार विरोध-प्रदर्शन किसी तरह साँसे ले रहा है। वहाँ प्रदर्शनकारी महिलाओं की संख्या हर दिन कम होती जा रही है। ताजा जानकारी के अनुसार तो वहाँ पंडाल खाली पड़ा है। ​इंडिया टीवी के एक पत्रकार के अनुसार शुक्रवार की सुबह वहॉं केवल 19 महिलाएँ ही थीं। प्रदर्शनस्थल को देखकर लगता है कि वहाँ पर सबका जोश शायद शांत हो गया। मगर इस शांति के साथ ही वहाँ हूटर सिस्टम का खुलासा हुआ है। इसका प्रयोग मीडिया को देख औरतें पुरुषों को बुलाने के लिए करती हैं।
इंडिया टीवी की टीम आज सुबह प्रदर्शन को कवर करने शाहीन बाग पहुँची। वहाँ चैनल की महिला पत्रकारों ने देखा कि ज्यादा भीड़ नहीं है। वह प्रदर्शन को कवर करने के लिए लाइव करते हुए सीधे अंदर चली गईं। कैमरे को देखते ही प्रदर्शनस्थल पर मौजूद गिनती की महिलाओं के बीच हड़कंप मच गया। उन्होंने झट से हूटर बजाया और फिर कुछ मर्द वहाँ पहुँच गए।
इंडिया टीवी के पत्रकार सुशांत सिन्हा के अनुसार, इन पुरुषों ने महिला पत्रकारों को डराने के लिए बदसलूकी की। लेकिन फिर भी वे रिपोर्ट करते रहे। महिला पत्रकारों ने बिना डरे शाहीन बाग का सच दर्शकों के सामने रखा और साथ ही इस हूटर सिस्टम का खुलासा भी इन्हीं महिला पत्रकारों की बदौलत हुआ।

पत्रकार सुशांत सिन्हा ने इस वाकये को सोशल मीडिया पर शेयर किया है। इसके अलावा मीनाक्षी जोशी की रिपोर्ट देखने से पता चलता है कि जुमे का हवाला देकर उन्हें प्रदर्शनस्थल से लगातार चले जाने के लिए कहा जा रहा है। इसके जरिए दम तोड़ रहे विरोध-प्रदर्शन की सच्चाई को छिपाने की कोशिश की गई।
विडियो में देख सकते हैं कि वहाँ मौजूद लोग लगातार महिला पत्रकार को बाहर जाने को कह रहे हैं। जब वह 82 दिन से जारी प्रदर्शन का हवाला देकर कहती हैं कि इस बीच में कई बार जुमे आए, लेकिन उन्हें शाहीन बाग खाली नहीं दिखा, तो फिर आज क्यों? इस पर वहाँ मौजूद औरतें उन्हें समझाने लगती है। वे अपनी कम संख्या जस्टिफाई करने के लिए कहती हैं कि आज जुमा है, नमाज पढ़ने के लिए उन्हें नहाना-धोना होता है, क्या उसमें टाइम नहीं लगेगा। विडियो में पुरुषों को भी लगातार हस्तक्षेप करते देखा जा सकता है और ये भी सुना जा सकता है कि अगर इंडिया टीवी को भीड़ देखनी है तो वो 11 बजे के बाद प्रदर्शनस्थल पर आएँ।
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इस विडियो से पता चलता है कि आखिर किस तरह से एक महिला पत्रकार को प्रदर्शनस्थल की रिपोर्टिंग करने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ी। किस तरह सवालों के बदले उनसे सवाल किए गए और किस तरह बुजुर्ग महिला से लेकर पुरुष तक उनपर हावी होने की कोशिश करते रहे।

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