आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
कोरोना वायरस की कड़ी को तोड़ने के लिए देशभर में लॉकडाउन की घोषणा की गई है और लोगों से अपील की गई है कि 21 दिन की इस अवधि तक लोग अपने ही घरों में रहें और बाहर ना निकलें। ऐसे में विश्वभर के देशों में ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग वेबसाइट्स से लेकर टीवी सीरीज लोगों को घर पर बैठकर अपना समय बिताने के लिए कई रोचक पहल कर रहे हैं।
प्रसारण मंत्री अगर चाहते तो धार्मिक फिल्में "गंगा तेरा पानी अमृत", "महासती अनसुईया", "जन्म जन्म के फेरे", "भक्ति में शक्ति", "जय संतोषी माता", "नानक नाम जहाज है", "रामराज्य(दो बार निर्मित)", "जय बजरंगबली", "घटोकचाक", "शिव पार्वती" आदि अनेको सफल फिल्में प्रदर्शित हुई हैं। जबकि पहली "रामराज्य" को तो स्वयं महात्मा गाँधी ने भी देख उसकी प्रशंसा की थी। इस फिल्म का एक गीत "...हम कथा सुनाते है..." जिसे सुनते समय आज भी आंखें भर आती हैं; प्रतिदिन एक धार्मिक फिल्म का प्रसारण करवाते, उस स्थिति में इन हिन्दूफ़ोबिया गैंग का क्या हाल होता?
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी शुक्रवार(मार्च 27) को पहल करते हुए स्पष्ट किया कि जनता की माँग पर दूरदर्शन में शनिवार (मार्च 28, 2020) से बीते हुए दौर के मशहूर रामायण सीरियल का प्रसारण होगा। इसका पहला एपिसोड कल सुबह 9 बजे और दूसरा कल ही रात 9 बजे दिखाया जाएगा। लेकिन इस एक फैसले ने हिन्दुफोबिया से ग्रसित कुछ ‘विचारकों’ को घर में बैठे-बैठे अनावश्यक सरदर्द दे दिया है।
ट्विटर से लेकर तमाम सोशल मीडिया पर इस धारावाहिक के प्रसारण में भी केंद्र की दक्षिणपंथी सरकार के किसी छुपे हुए ‘एजेंडा’ को तलाशने का नैरेटिव जोर पकड़ता जा रहा है। कुछ लोगों का मानना है कि सरकार ने इस फैसले से कोरोना के कारण छवि को होने वाले नुकसान की भरपाई का जरिया बनाते हुए यह भी साबित करने का प्रयास किया है कि रामानंद सागर द्वारा निर्मित इस धारावाहिक के पीछे आरएसएस की हिन्दुवादी विचारधारा का प्रचार-प्रसार था। उल्लेखनीय है कि दूरदर्शन पर पहली बार रामायण सीरियल का प्रसारण 25 जनवरी, 1987 में शुरू हुआ और इसका आखिरी एपिसोड 31 जुलाई, 1988 को दिखाया गया था।
रामायण सीरियल के दोबारा प्रसारण से वैचारिक उलटी करने वालों में एक प्रमुख नाम है कांग्रेस राज में प्रसार भारती की पूर्व अध्यक्ष और 2006 में पद्म श्री से नवाजी जा चुकी मृणाल पांडे का। कहने को तो पांडे हैं यानि ब्राह्मण, उसके बावजूद रामायण जैसे धार्मिक धारावाहिक पर आपत्ति करना उनकी मानसिकता को दर्शा रहा है। ट्विटर पर अक्सर मोदी सरकार विरोधी करतबों के कारण चर्चा में रहने वाली मृणाल पांडे ने केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का ट्वीट शेयर करते हुए लिखा है- “Bwahahahaha…धन्य हो ! घर में नहीं खाना, पर्दे पर रामायना!” इसके साथ ही उन्होंने घंटी और हँसने की इमोजी के माध्यम से अपनी भावनाओं को सामने रखा है।
एक अन्य ट्वीट में जग्गी वासुदेव द्वारा ब्लॉक किए जाने को अपनी पहचान बताने वाले स्वघोषित इतिहासकार अद्वैद (@Advaidism) ने लिखा है- “नई बोतल में पुरानी शराब। 1980 के आखिर में रामायण एक अभियान था, जिसने हिंदुत्व को आरएसएस की शाखाओं से बाहर लाकर आम भारतीयों के मस्तिष्क में बिठाने में मदद की। लगता है केंद्र सरकार इस लॉकडाउन के कारण कुछ पिछड़ने का अनुमान लगा रही है और यह फैसला इसी की भरपाई के लिए लिया गया है।”
@hadiyashafin ने ट्वीट में लिखा है – “21 दिन के लॉकडाउन के कारण दूरदर्शन कल से रामायण सीरियल दिखाने जा रहा है। रामायण एक ऐसा सीरियल था, जिसने हिंदुत्व आंदोलन और भारत में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बीज बोए थे। हिंदुत्व के गुंडे, जो अब कोरोना वायरस से थक चुके हैं, घर पर बैठ सकते हैं और अपनी नफरत को तरोताजा कर सकते हैं।”
@alokkirti1990 नाम के एक ट्विटर अकाउंट ने, जिसके बायो में “जय भीम, नमोबुद्धाय, जय संविधान, जय भारत” लिखा है, ने रामायण के प्रसारण से आहत होकर कटाक्ष करते हुए ट्वीट में लिखा है – “क्या दुनिया का सबसे बड़े सामाजिक संगठन आरएसएस कहीं कुछ सेवा करते हुए नजर आया है?” उनके इस ट्वीट के जवाब में कुछ लोगों ने उन्हें आरएसएस स्वयंसेवकों को, टोपी पहने हुए एक युवक को सेनीटाइजर देते हुए तस्वीर पोस्ट की है।
अवलोकन करें:-
वैसे हिन्दफोबिया के पेट में मरोड़ होना लाजमी है, इस धार्मिक धारावाहिक से कई रहस्यों से पर्दाफाश होगा, एक, शब्दभेदी बाण विशेषज्ञ राजा दशरथ और राजा दशरथ के बाद इस विद्या में सिद्धहस्थ थे हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान। पृथ्वीराज ने जालिम मोहम्मद गोरी द्वारा चौहान की ऑंखें निकालने के बाद इसी विद्या के कारण गोरी की जीवनलीला समाप्त कर दी थी। दो, आज मिसाइल, रॉकेट, आदि के विज्ञानं को श्रेय देते हैं, जबकि यह पहले से ही विराजमान थे, बस कमी है, तुष्टिकरण और हिन्दूफ़ोबिया द्वारा गुरुकुल प्रथा का समाप्त करना आदि।
कोरोना वायरस की कड़ी को तोड़ने के लिए देशभर में लॉकडाउन की घोषणा की गई है और लोगों से अपील की गई है कि 21 दिन की इस अवधि तक लोग अपने ही घरों में रहें और बाहर ना निकलें। ऐसे में विश्वभर के देशों में ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग वेबसाइट्स से लेकर टीवी सीरीज लोगों को घर पर बैठकर अपना समय बिताने के लिए कई रोचक पहल कर रहे हैं।
प्रसारण मंत्री अगर चाहते तो धार्मिक फिल्में "गंगा तेरा पानी अमृत", "महासती अनसुईया", "जन्म जन्म के फेरे", "भक्ति में शक्ति", "जय संतोषी माता", "नानक नाम जहाज है", "रामराज्य(दो बार निर्मित)", "जय बजरंगबली", "घटोकचाक", "शिव पार्वती" आदि अनेको सफल फिल्में प्रदर्शित हुई हैं। जबकि पहली "रामराज्य" को तो स्वयं महात्मा गाँधी ने भी देख उसकी प्रशंसा की थी। इस फिल्म का एक गीत "...हम कथा सुनाते है..." जिसे सुनते समय आज भी आंखें भर आती हैं; प्रतिदिन एक धार्मिक फिल्म का प्रसारण करवाते, उस स्थिति में इन हिन्दूफ़ोबिया गैंग का क्या हाल होता?
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी शुक्रवार(मार्च 27) को पहल करते हुए स्पष्ट किया कि जनता की माँग पर दूरदर्शन में शनिवार (मार्च 28, 2020) से बीते हुए दौर के मशहूर रामायण सीरियल का प्रसारण होगा। इसका पहला एपिसोड कल सुबह 9 बजे और दूसरा कल ही रात 9 बजे दिखाया जाएगा। लेकिन इस एक फैसले ने हिन्दुफोबिया से ग्रसित कुछ ‘विचारकों’ को घर में बैठे-बैठे अनावश्यक सरदर्द दे दिया है।
ट्विटर से लेकर तमाम सोशल मीडिया पर इस धारावाहिक के प्रसारण में भी केंद्र की दक्षिणपंथी सरकार के किसी छुपे हुए ‘एजेंडा’ को तलाशने का नैरेटिव जोर पकड़ता जा रहा है। कुछ लोगों का मानना है कि सरकार ने इस फैसले से कोरोना के कारण छवि को होने वाले नुकसान की भरपाई का जरिया बनाते हुए यह भी साबित करने का प्रयास किया है कि रामानंद सागर द्वारा निर्मित इस धारावाहिक के पीछे आरएसएस की हिन्दुवादी विचारधारा का प्रचार-प्रसार था। उल्लेखनीय है कि दूरदर्शन पर पहली बार रामायण सीरियल का प्रसारण 25 जनवरी, 1987 में शुरू हुआ और इसका आखिरी एपिसोड 31 जुलाई, 1988 को दिखाया गया था।
रामायण सीरियल के दोबारा प्रसारण से वैचारिक उलटी करने वालों में एक प्रमुख नाम है कांग्रेस राज में प्रसार भारती की पूर्व अध्यक्ष और 2006 में पद्म श्री से नवाजी जा चुकी मृणाल पांडे का। कहने को तो पांडे हैं यानि ब्राह्मण, उसके बावजूद रामायण जैसे धार्मिक धारावाहिक पर आपत्ति करना उनकी मानसिकता को दर्शा रहा है। ट्विटर पर अक्सर मोदी सरकार विरोधी करतबों के कारण चर्चा में रहने वाली मृणाल पांडे ने केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का ट्वीट शेयर करते हुए लिखा है- “Bwahahahaha…धन्य हो ! घर में नहीं खाना, पर्दे पर रामायना!” इसके साथ ही उन्होंने घंटी और हँसने की इमोजी के माध्यम से अपनी भावनाओं को सामने रखा है।
हालाँकि, मृणाल पांडे के ट्वीट के जवाब में प्रशांत पटेल उमराव ने निंदनीय जवाब देते हुए लिखा है- “रामायण के नाम पर रावण की बहन सूर्पनखा के पेट में मरोड़ उठना स्वाभाविक है।”Bwahahahaha...🤣🙏धन्य हो !— Mrinal Pande (@MrinalPande1) March 27, 2020
घर में नहीं खाना,
पर्दे पर रामायना !!🔔 https://t.co/bJNxTyLDuq
एक अन्य ट्वीट में जग्गी वासुदेव द्वारा ब्लॉक किए जाने को अपनी पहचान बताने वाले स्वघोषित इतिहासकार अद्वैद (@Advaidism) ने लिखा है- “नई बोतल में पुरानी शराब। 1980 के आखिर में रामायण एक अभियान था, जिसने हिंदुत्व को आरएसएस की शाखाओं से बाहर लाकर आम भारतीयों के मस्तिष्क में बिठाने में मदद की। लगता है केंद्र सरकार इस लॉकडाउन के कारण कुछ पिछड़ने का अनुमान लगा रही है और यह फैसला इसी की भरपाई के लिए लिया गया है।”
Old wine in New bottle.— Advaid (@Advaidism) March 27, 2020
Ramayana in Doordarshan was the moment in the late 1980's which helped RSS to move Hindutva out of RSS shakhas and into the minds of ordinary Indians.
Looks like the Union Govt expects a backlash in this lockdown period, so this is a counter measure. https://t.co/RK3UzGnoCp
@hadiyashafin ने ट्वीट में लिखा है – “21 दिन के लॉकडाउन के कारण दूरदर्शन कल से रामायण सीरियल दिखाने जा रहा है। रामायण एक ऐसा सीरियल था, जिसने हिंदुत्व आंदोलन और भारत में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बीज बोए थे। हिंदुत्व के गुंडे, जो अब कोरोना वायरस से थक चुके हैं, घर पर बैठ सकते हैं और अपनी नफरत को तरोताजा कर सकते हैं।”
Amidst #Lockdown21,Doordarshan 2 re-broadcast #Ramayana serial from 2morrow.The Ramayana serial was the 1 that sowed the seeds of Hindutva Movement and the demolition of the Babri Masjid in India.Hindutva goons, now tired of Corona Virus, can sit at home and warm up 4 their hate pic.twitter.com/MGu4RqDTAI— Shafin jahan (@hadiyashafin) March 27, 2020
The world's largest social organization RSS is seen doing service somewhere ... ???#रामायण
अवलोकन करें:-
वैसे हिन्दफोबिया के पेट में मरोड़ होना लाजमी है, इस धार्मिक धारावाहिक से कई रहस्यों से पर्दाफाश होगा, एक, शब्दभेदी बाण विशेषज्ञ राजा दशरथ और राजा दशरथ के बाद इस विद्या में सिद्धहस्थ थे हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान। पृथ्वीराज ने जालिम मोहम्मद गोरी द्वारा चौहान की ऑंखें निकालने के बाद इसी विद्या के कारण गोरी की जीवनलीला समाप्त कर दी थी। दो, आज मिसाइल, रॉकेट, आदि के विज्ञानं को श्रेय देते हैं, जबकि यह पहले से ही विराजमान थे, बस कमी है, तुष्टिकरण और हिन्दूफ़ोबिया द्वारा गुरुकुल प्रथा का समाप्त करना आदि।
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