जेल न भेजने की शर्त पर भारत लौटना चाहती हैं ISIS की दो जिहादी औरतें

जिहादी ईसा और पत्नी फातिमा (साभार: द इकोनॉमिक टाइम्स))
जिहादी ईसा और पत्नी फातिमा
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
जब से भारत में नागरिकता संशोधक कानून बना है, मोदी विरोधियों ने मुसलमानों को भड़का कर देश में अराजकता फैलानी शुरू कर दी। शांति प्रदर्शन के नाम पर हिंसा के साथ-साथ अलगाववादी नारे, हिन्दुत्व, मोदी, योगी और अमित की कब्र खोदने के नारे प्रदर्शन और धरनों का मुख्य आकर्षण बनने पर जब हिन्दुओं ने पलटवार करना शुरू किया, उपद्रवियों और इनकी समर्थक पार्टियों ने सारा दोष अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और कपिल मिश्रा आदि के सिर मढ़ उत्तेजक भाषण देने वाले मुल्लाओं आदि को बचाने में लगने के साथ-साथ अपनी रणनीति में भी जबरदस्त बदलाव कर जनता को भ्रमित करने का प्रयास किया जा रहा है। दिल्ली के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में हुए हिन्दू विरोधी दंगे शायद इसी नयी रणनीति का परिणाम है।
शंका है कि ये जिहादी औरतें भारत आकर ISIS की तर्ज भारत को किसी नयी आग में झोंक साम्प्रदायिक सौहार्द न बिगाड़ दें। केरल और केंद्र सरकारों को इन जेहादी औरतों पर कड़ी निगरानी रखनी होगी। इनके भारत आने की हर सम्भावना को निरस्त करना होगा। इन पर विश्वास करना बहुत बड़ी भूल होगी।  
इस सन्दर्भ में लेख शीर्षक "सेकुलरिज्म सिर्फ तब तक, जब तक भारत इस्लामिक स्टेट नहीं बन जाता", विस्तार से निम्न लेख पढ़िए:-
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आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर किये जा विवाद पर अक्सर अपने लेखों में स्पष्ट लिखा कि ....
ISIS में शामिल होने के लिए केरल से भागकर अफगानिस्तान जाने वाली 2 जिहादी औरतें अब भारत लौटना चाहती हैं। इनका नाम निमिषा उर्फ़ फातिमा और सोनिया उर्फ़ आयशा है। इनका कहना है कि इनके शौहरों को अफगानिस्तान में मार दिया गया है।
सोनिया ने बताया कि वह अफगानिस्तान में अपने जीवन से बहुत असंतुष्ट है। वे अपने पति के परिवार के पास वापस लौटना चाहती है। जबकि निमिषा का कहना है कि वो अपनी माँ बिंदु संपथ से मिलना चाहती है, बशर्ते उसे गिरफ्तार न किया जाए।
पिछले साल 900 आतंकियों ने अफगान सुरक्षाबलों के आगे सरेंडर किया था। इनमें से करीब 10 आतंकी भारत से थे और इनमें भी अधिकतर केरल से थे। साल 2016 में कई आतंकी केरल से अफगान गए थे। कुछ अपने साथ अपने पूरे परिवार को ले गए थे, जबकि कुछ अकेले चले गए थे।
इन आतंकियों ने अफगानिस्तान के पूर्वी प्रान्त नंगरहार में सरेंडर किया था, जहाँ अफगान सुरक्षाबलों ने ISIS के ख़िलाफ़ अभियान छेड़ा हुआ था। ये अभियान 12 नवंबर को जारी हुआ था। जिसके शुरु होने के कुछ ही घंटों के बाद 93 आतंकियों ने सुरक्षाबल के आगे आत्मसमर्पण कर दिया था।
ऐसी स्थिति में भारत आने की इच्छा जताने वाली दोनों लड़कियाँ भी भारत से 2016 में ISIS ज्वाइन करने के लिहाज से अफगानिस्तान गई थीं। इन दोनों लड़कियों ने कॉलेज के समय में इस्लाम धर्म अपनाया था। बाद में निमिषा ने ईसा से निकाह किया था और सोनिया ने अब्दुल राशिद से।
निमिषा एक डेंटल स्टूडेंट थी। जो केरल के तिरुवनंतपुरम इलाके की रहने वाली थी। इसने बिना अपनी माँ को बताए बेक्सिन नामक एक ईसाई से शादी की थी। बाद में दोनों ने इस्लाम कबूल कर लिया था और कट्टरपंथियों के बहकावे में आकर कट्टरपंथ की राह पर चल पड़े थे। निमिषा उन 21 लोगों में से थी जिन्होंने ISIS ज्वाइन करने के लिए केरल छोड़ा था।
इसके अलावा इंजीनियर अब्दुल राशिद और उसकी एमबीए पत्नी सोनिया उर्फ आयशा दोनों पीस एड्यूकेशनल फाउंडेशन के लिए काम करते थे। जिसकी देखरेख में 10 स्कूल चलते थे। इस दंपत्ति पर आरोप था कि इन्होंने पदन्ना, पलक्कड़ और त्रिकिपुर में 22 छात्रों को कट्टरपंथ के राह पर ढकेला था।
इस्लामिक स्टेट, केरल
अफ़ग़ानिस्तान में इस्लामिक स्टेट के लिए काम करने वाली महिला
ने किया सरेंडर (फोटो साभार- द न्यूज मिनट)
इस्लामिक स्टेट में रिक्रूटमेंट करता था पति अब्दुल्ला, बीवी आयशा ने अफ़ग़ानिस्तान में किया सरेंडर
अभी कुछ माह पूर्व, अफ़ग़ानिस्तान में करीब 600 इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों ने अपने हथियार डाल दिए हैं। इनमें से एक महिला की पहचान केरल वासी के रूप में हुई है। द हिन्दू की एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 32 वर्षीय यह महिला आईएस आतंकी (मारा जा चुका है) अब्दुल्ला की पहली पत्नी है। शादी से पहले आयशा का नाम सोनिया सेबेस्टियन था। अब्दुल्ला वही शख्स है, जो केरल में आईएस के लिए रिक्रूटमेंट किया करता था। सरेंडर करने वाले आतंकवादियों के बीच महिला की पहचान उन फोटोज़ के ज़रिए हुई, जिसमें वह एक बच्चे के साथ खड़ी दिखाई दे रही है।
2016 में आयशा और अब्दुल्ला इरान से होते हुए पैदल ही अफ़ग़ानिस्तान को निकल गए। अब्दुल्ला उस वक़्त केरल के 21 लोगों के एक दल की अगुवाई कर रहा था, जिन्हें आईएस ज्वाइन करना था। हालाँकि मई 2019 में अफ़ग़ानिस्तान की धरती पर हुए हमले में यूएस सेना ने अब्दुल्ला और उसके जैसे कितने ही आतंकवादियों को मार गिराया। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में जब अब्दुल्ला और आयशा अफ़ग़ानिस्तान के लिए निकले तो उनके साथ उनका दो साल का बच्चा भी था लेकिन बाद में उसके बारे में कोई सुराग नहीं मिल सका।
केरल में लोगों और युवाओं को आईएस में भेजने वाले अब्दुल्ला ने बड़ी ही चालाकी से अन्य सम्प्रदाय और विचार के लोगों को पहले मुसलमान बनाया और फिर उन्हें अपने साथ अफ़ग़ानिस्तान के खोरासन प्रान्त में ले गया। यहाँ तक की उसकी पत्नी सोनिया खुद शादी से पहले ईसाई थी, जिसका नाम बाद में आयशा रख दिया। आयशा ने एर्नाकुलम से इंजीनियरिंग पूरी कर बंगलूरु से एमबीए किया था।
एक रिपोर्ट के मुताबिक 2016 तक पाला निवासी अब्दुल्ला कोड़ीकोड स्थित पीस इंटरनेशनल स्कूल में एक टीचर हुआ करता था। इस स्कूल में उसकी मुलाक़ात एक 30 वर्षीय महिला यास्मीन मोहम्मद शहीद से हुई, जो बिहार की रहने वाली थी। आगे चलकर उसने इसी महिला के साथ दूसरी शादी कर ली। इसके बाद अब्दुल्ला ने 21 लोगों को जबकि यास्मीन ने 15 लोगों को बहला-फुसला कर 2016 में आईएसआईएस ज्वाइन करवा दिया।
अब्दुल्ला अफ़ग़ानिस्तान रहकर भी सबसे संपर्क में था, व्हाट्सएप और टेलीग्राम के जारिए वह अक्सर कई भड़काऊ क्लिप डालता रहता था, जिसका उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों को आईएस ज्वाइन कराना होता था। इसी रास्ते वह लोगों को हिन्दू संगठनों के खिलाफ हमला करने के लिए उकसाता था। केरल से ISIS में गए लोगों को अफग़ानिस्तान में अब्दुल्ला रशीद के साथ विलायत खोरासन के लिए लगा दिया गया जोकि खोरासन प्रांत में सक्रिय है। दरअसल विलायत खोरासन नाम के इस संगठन की शुरुआत 2015 में हुई थी।
2016 में यास्मीन और उसके बच्चे को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। केरल से गायब हुए युवाओं के मामले में पहली सजा यास्मीन को हुई। मार्च 2018 में कोच्चि स्थित एनआईए की एक विशेष अदालत ने यास्मीन को 7 साल कैद की सजा सुनाई गई। बता दें कि जिस दौरान पुलिस ने यास्मीन और उसके चार साल के बच्चे को पकड़ा, उस दौरान वह दिल्ली से काबुल जाने वाली एक फ्लाईट में सवार हो चुकी थी। उस वक़्त उसने पुलिस से कहा था कि वह उस जगह जा रही थी, जहाँ सच्चा इस्लाम माना जाता है।
एनआईए ने अपनी चार्जशीट में यह माना था कि यास्मीन और अब्दुल्ला राशिद ने मिलकर उन देशों के साथ लड़ाई की, जिनके साथ भारत के मैत्री सम्बन्ध हैं। इस मामले में दोषी पाए जाने पर कोर्ट ने महिला पर 25,000 रुपए का जुर्माना लगाया था। वहीं मई 2019 में अफ़ग़ानिस्तान के खोरासन प्रांत में यूएस बोम्बिंग्स के दौरान अबदुल्ला राशिद की मौत हो गई। इस खबर की पुष्टि स्वयं एक पुलिस अधिकारी ने की थी। टेलीग्राम चैट पर एक आईएस ऑपरेटिव के भेजे एक सन्देश में लिखा मिला था कि इस बम विस्फोट में 3 हिन्दुस्तानी भाई, दो हिन्दुस्तानी महिला और चार बच्चे मारे गए हैं।
2017 की चार्जशीट में सोनिया सेबेस्टियन और अब्दुल रशीद पर आरोप था कि जिहाद और इस्लामिक स्टेट के समर्थन में वह सीक्रेट क्लास लगाते थे। चार्जशीट के मुताबिक उनकी यह क्लास रमजान के आखिर में लगा करती थीं। सोनिया पहले ही सरेंडर कर चुकी हैं जबकि उसके बच्चे की कोई खबर नहीं है।

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