आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्लाज्मा थेरेपी के जरिए कोरोना मरीज के इलाज का दावा किया था। उन्होंने दावा किया था कि इस थेरेपी से मरीज ठीक हो रहे हैं, लेकिन इस बीच केंद्र सरकार ने इसको लेकर सचेत करते हुए कहा है कि इस थेरेपी को अभी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की ओर से मंजूर नहीं किया गया है। इसे अभी केवल ट्रायल और रिसर्च के रूप में आजमाया जा सकता है। गाइडलाइंस को ठीक से पालन नहीं किया गया तो यह खतरनाक भी हो सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने मंगलवार(अप्रैल 28) को कहा कि कोरोना वायरस के इलाज को लेकर अभी दुनिया में कोई अप्रूव थेरेपी नहीं है, प्लाज्मा थेरेपी भी नहीं। यह भी अभी प्रयोग के स्तर पर ही है। इसको लेकर कोई सबूत नहीं है कि इसका ट्रीमेंट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। अमेरिका में भी इसे एक्सपेरिमेंट के रूप में ही लिया गया है।
केजरीवाल कोई डॉक्टर नहीं हैं, फिर किस आधार पर प्लाज़्मा को कोरोना ठीक होने का दावा कर दिया। अगर किसी अनुभवी डॉक्टर ने उन्हें इस थेरेपी के बारे में बताया तो उस डॉक्टर को क्यों परदे के पीछे रख दिया। यदि किसी कारणवश यह थेरेपी सफल हो जाती, वह डॉक्टर तो गुप्तवास में रहता और केजरीवाल का नाम हो रहा होता। सियासतखोर अपनी गन्दी सियासत से बाज़ नहीं आते। इतना ही नहीं पहले कोरोना मरीजों में जमातियों की संख्या बताई जाती थी, लेकिन जब देखा मेरा वोटबैंक बदनाम हो रहा है, जमात आंकड़े बताना ही बंद हो गया। फिर इस थेरेपी पर हिन्दू-मुसलमान करते हुए कहते हैं कि "किसका प्लाज्मा किसको मिलेगा, तब न वह हिन्दू देखेगा न मुसलमान", यानि अपने वोटबैंक को किसी भी तरह नाराज नहीं होने देना।
इससे पहले भी कई मीडिया हाउस और तथाकथित सेक्युलर लोग गलत खबरें फैलाकर लोगों को भ्रमित करने की कोशिश कर चुके हैं। आइए, आपको ऐसे ही कुछ मामलों के बारे में बताते हैं।
‘द वायर’ के प्रमुख सिद्धार्थ वरदराजन ने फैलाई झूठी खबर
‘द वायर’ के प्रमुख सिद्धार्थ वरदराजन ने एक खबर शेयर करते हुए कहा कि पंजाब और हिमाचल की बॉर्डर रेखा के पास मुस्लिम समुदाय के कुछ बच्चे, औरतें, पुरुष नदी ताल पर बिना खाना-पीना के रहने को मजबूर हो गए हैं, क्योंकि उन्हें गाली देकर, मारकर उनके घरों से खदेड़ दिया गया है। जबकि होशियारपुर ने ट्वीट कर इस खबर का खंडन किया है।
फेक न्यूज मामले में ‘द वायर’ के खिलाफ FIR दर्ज
हाल ही में भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक सिद्धार्थ वरदराजन द्वारा संचालित इस पोर्टल ‘द वायर’ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर एक झूठी खबर प्रकाशित की, जिसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया। योगी सरकार की चेतवानी के बावजूद जब ‘द वायर’ ने फर्जी खबर नहीं हटायी, तो उसके खिलाफ FIR दर्ज की गई। इसके बारे में योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने ट्वीट कर जानकारी दी। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा- “हमारी चेतावनी के बावजूद इन्होंने अपने झूठ को ना डिलीट किया ना माफ़ी मांगी। कार्यवाही की बात कही थी, FIR दर्ज हो चुकी है आगे की कार्यवाही की जा रही है। अगर आप भी योगी सरकार के बारे में झूठ फैलाने के की सोच रहे है तो कृपया ऐसे ख़्याल दिमाग़ से निकाल दें।”
इससे पहले योगी सरकार ने ‘दी वायर’ के संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन को चेतावनी देते हुए कहा था कि वह अपनी फर्जी खबर को डिलीट करें वरना इस पर कार्रवाई की जाएगी। यूपी सीएम के मीडिया सलाहकार ने कहा था कि झूठ फैलाने का प्रयास ना करे, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कभी ऐसी कोई बात नहीं कही है। इसे फ़ौरन डिलीट करे अन्यथा इस पर कार्यवाही की जाएगी तथा डिफ़ेमेशन का केस भी लगाया जाएगा। वेबसाईट के साथ-साथ केस लड़ने के लिए भी डोनेशन मांगना पड़ जाएगा।
तबलीगी जमात को बचाने के लिए ‘द वायर’ ने फेक न्यूज़ फैलाते हुए लिखा कि जिस दिन इस इस्लामी संगठन का मजहबी कार्यक्रम हुआ, उसी दिन सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि 25 मार्च से 2 अप्रैल तक अयोध्या में प्रस्तावित विशाल रामनवमी मेला का आयोजन नहीं रुकेगा क्योंकि भगवान राम अपने भक्तों को कोरोना वायरस से बचाएंगे।
दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज में सैकड़ों मौलवियों की मौजूदगी और उनसे जुड़े कई लोगों की कोरोना से मौत और संक्रमण के मामले सामने आने के बाद पूरे देश में हड़कंप मच गया। इसी बीच मौलाना साद का एक ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें वे मुसलमानों से कहते सुने जा सकते हैं कि मुसलमान डॉक्टरों और सरकार की सलाह न मानें क्योंकि मिलने-जुलने और एक-दूसरे के साथ बैठ कर खाने से कोरोना नहीं होगा। ऐसे में कई मौलानाओं के बयानों को ढकने के लिए ‘द वायर’ ने एक लेख प्रकाशित किया और उसके संपादक वरदराजन ने इस लेख को शेयर भी किया। लेकिन, ‘द वायर’ की झूठी खबर पकड़ी गयी।
कोरोना किट की कीमत को लेकर फैलाई गई झूठी खबर
कोरोना किट की कीमत को लेकर फैलाई जा रही झूठ का ICMR ने खंडन किया है। कांग्रेस नेता उदित राज ने अपने सोशल मीडिया पर शेयर किया कि कोरोना किट बनाकर 17 कंपनियां 500 रुपए में देने को तैयार थीं, लेकिन पीएम ने ठेका एक गुजराती कंपनी को दिला लिया जो किट को 4500 रुपए में बेच रही है। इस झूठी खबर का ICMR ने खंडन किया है। ICMR का कहना है कि RT-PCR के लिए 740-1150 और Rapid Test के लिए 528-795 रुपए निर्धारित किए गए हैं। कोई भी टेस्ट किट 4500 रुपए का नहीं खरीदा है। ICMR ने कहा कि अगर कोई कंपनी किट सस्ता में किट उपलब्ध कराना चाहती है कि उसके अधिकारी से संपंर्क करे।
आजतक ने डॉक्टरों के कोरोना संक्रमित होने की झूठी खबर चलाई
आजतक ने एक खबर चलाई कि अलीगढ़ के 5 डॉक्टर कोरोना संक्रमित हो गए हैं। हालांकि इस खबर में कोई सच्चाई नहीं है। अलीगढ़ के जिलाधिकारी ने इस खबर का खंडन किया है। जिलाधिकारी के ट्विटर हैंडल से कहा गया, ”जनपद अलीगढ़ में जेएन मेडिकल कॉलेज की मात्र एक डॉक्टर डॉ शबनूर ही कोरोना संक्रमित हैं। आज तक न्यूज़ चैनल पर 5 डॉक्टरों के कोरोना संक्रमित की खबर गलत प्रसारित की गई है। इसका खंडन किया जाता है।”
SCROLL ने फैलाई झूठी खबर
SCROLL बेवसाइट ने बिहार के जहानाबाद के बारे में झूठी खबर प्रकाशित की जिसमें कहा गया है कि जहानाबाद के बच्चे खाने नहीं मिलने के कारण फ्राग खाने को मजबूर है लेकिन जांच में यह खबर झूठी निकली। दरअसल, मीडिया के कुछ लोगों ने बच्चों को ये लालच देकर उससे ये बातें बोलने के लिए मजूबर किया और विडियो बनाया। जहानाबाद के जिलाधिकारी ने इस खबर का खंडन किया। जिलाधिकारी का कहना है कि खाने की कोई कमी नहीं है। एक वीडियो ने बच्चों ने खुद कबूला कि उन्हें ये बातें बोलने के लिए प्रलोभन दिया गया।
NDTV ने प्रकाशित की गलत खबर
एनडीटीवी ने एक खबर प्रकाशित कर कहा है कि लॉकडाउन के कारण अरुणाचल प्रदेश के लोगों की हालत खराब हो रही है। राज्य में चावल की कमी है और लोग आजकल सांप खाने को मजबूर है लेकिन इस खबर के पीछे की हकीकत कुछ और ही है। केंद्रीय खेल मंत्री किरण रिजिजू ने एनडीटीवी के इस दावे को झूठा करार दिया है। उन्होंने बताया कि न सिर्फ़ वो बल्कि राज्य सरकार भी जानवरों के शिकार और उनकी हत्या को लेकर एकदम सख्त है। उन्होंने जानकारी दी कि राज्य में पर्याप्त मात्रा में अनाज उपलब्ध है, इसीलिए भोजन की कमी के चलते कोबरा को मार कर खाने वाली बात एकदम बेवकूफाना है।साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि अरुणाचल प्रदेश में कोई भी व्यक्ति खाने के लिए कोबरा का शिकार नहीं करता।
अरुणाचल प्रदेश सरकार ने भी एनडीटीवी के इस खबर का खंडन किया है। सरकार का कहना है कि राज्य में चावल की कोई कमी नहीं है।
फ्री इंटरनेट देने की झूठी खबर
सोशल मीडिया कर झूठी खबर पोस्ट कर यह दावा किया गया कि भारतीय दूरसंचार विभाग ने सभी मोबाइल यूजर को 3 मई 2020 तक फ्री इंटरनेट देने का ऐलान िया जिसे प्राप्त करने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करना होगा। PIB Fact heckने इस खबर का खंडन किया है। पीआईबी के अनुसार सोशल मीडिया पर यह दावा बिल्कुल ठूठ है और दिया गया लिंक फर्जी है।
इंडियन एक्सप्रेस ने फैलाई झूठी खबर
15 अप्रैल को इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर में कहा गया कि अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल में धर्म के आधार पर मरीजों के लिए अलग-अलग वार्ड बनाए गए हैं। इस फेक न्यूज में कहा गया कि अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट गुणवंत एच राठौड़ ने दावा किया है कि सरकार के फैसले के अनुसार हिंदुओं और मुस्लिमों के लिए अलग-अलग वार्ड तैयार किए गए हैं।
अखबार में खबर आने के बाद मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉक्टर राठौर ने कहा कि मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है कि हमने हिंदू और मुसलमानों के लिए अलग-अलग वार्ड बनवाए। ये रिपोर्ट पूरी तरह झूठी और निराधार है। उन्होंने साफ कहा कि वार्डों को महिला-पुरुष और बच्चों के लिए अलग-अलग किया गया है, वो भी उनकी मेडिकल स्थिति देखकर न कि धार्मिक आधार पर। पीआईबी फैक्ट चेक ने भी इस खबर को गलत पाया।
द कारवां ने छापी झूठी खबर
इसके पहले द कारवां ने एक झूठी खबर प्रकाशित कर लिखा कि मोदी प्रशासन ने प्रमुख निर्णयों से पहले ICMR द्वारा नियुक्त COVID-19 टास्क फोर्स से परामर्श नहीं किया गया। स्टोरी में बताया गया है कि लॉकडाउन करने के पहले ICMR से राय मशविरा नहीं किया गया।
ICMR ने कारवां की इस झूठी खबर का खंडन किया है। ICMR का कहना है कि एक मीडिया रिपोर्ट में COVID-19 टास्क फोर्स के बारे में झूठे दावे किए गए हैं। सच्चाई ये है कि पिछले महीने में 14 बार टास्क फोर्स की बैठक हुई और सभी फैसलों में टास्क फोर्स के सदस्यों को शामिल किया गया।
अवलोकन करें:-
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्लाज्मा थेरेपी के जरिए कोरोना मरीज के इलाज का दावा किया था। उन्होंने दावा किया था कि इस थेरेपी से मरीज ठीक हो रहे हैं, लेकिन इस बीच केंद्र सरकार ने इसको लेकर सचेत करते हुए कहा है कि इस थेरेपी को अभी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की ओर से मंजूर नहीं किया गया है। इसे अभी केवल ट्रायल और रिसर्च के रूप में आजमाया जा सकता है। गाइडलाइंस को ठीक से पालन नहीं किया गया तो यह खतरनाक भी हो सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने मंगलवार(अप्रैल 28) को कहा कि कोरोना वायरस के इलाज को लेकर अभी दुनिया में कोई अप्रूव थेरेपी नहीं है, प्लाज्मा थेरेपी भी नहीं। यह भी अभी प्रयोग के स्तर पर ही है। इसको लेकर कोई सबूत नहीं है कि इसका ट्रीमेंट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। अमेरिका में भी इसे एक्सपेरिमेंट के रूप में ही लिया गया है।
केजरीवाल कोई डॉक्टर नहीं हैं, फिर किस आधार पर प्लाज़्मा को कोरोना ठीक होने का दावा कर दिया। अगर किसी अनुभवी डॉक्टर ने उन्हें इस थेरेपी के बारे में बताया तो उस डॉक्टर को क्यों परदे के पीछे रख दिया। यदि किसी कारणवश यह थेरेपी सफल हो जाती, वह डॉक्टर तो गुप्तवास में रहता और केजरीवाल का नाम हो रहा होता। सियासतखोर अपनी गन्दी सियासत से बाज़ नहीं आते। इतना ही नहीं पहले कोरोना मरीजों में जमातियों की संख्या बताई जाती थी, लेकिन जब देखा मेरा वोटबैंक बदनाम हो रहा है, जमात आंकड़े बताना ही बंद हो गया। फिर इस थेरेपी पर हिन्दू-मुसलमान करते हुए कहते हैं कि "किसका प्लाज्मा किसको मिलेगा, तब न वह हिन्दू देखेगा न मुसलमान", यानि अपने वोटबैंक को किसी भी तरह नाराज नहीं होने देना।
Currently, there are no approved, definitive therapies for #COVID19. Convalescent plasma is one of the several emerging therapies. However, there is no robust evidence to support it for routine therapy. @US_FDA has also viewed it as an experimental therapy (IND). 1/4— ICMR (@ICMRDELHI) April 28, 2020
Currently, there are no approved, definitive therapies for #COVID19. Convalescent plasma is one of the several emerging therapies. However, there is no robust evidence to support it for routine therapy. @US_FDA has also viewed it as an experimental therapy (IND). 1/4— ICMR (@ICMRDELHI) April 28, 2020
इससे पहले भी कई मीडिया हाउस और तथाकथित सेक्युलर लोग गलत खबरें फैलाकर लोगों को भ्रमित करने की कोशिश कर चुके हैं। आइए, आपको ऐसे ही कुछ मामलों के बारे में बताते हैं।
‘द वायर’ के प्रमुख सिद्धार्थ वरदराजन ने फैलाई झूठी खबर
‘द वायर’ के प्रमुख सिद्धार्थ वरदराजन ने एक खबर शेयर करते हुए कहा कि पंजाब और हिमाचल की बॉर्डर रेखा के पास मुस्लिम समुदाय के कुछ बच्चे, औरतें, पुरुष नदी ताल पर बिना खाना-पीना के रहने को मजबूर हो गए हैं, क्योंकि उन्हें गाली देकर, मारकर उनके घरों से खदेड़ दिया गया है। जबकि होशियारपुर ने ट्वीट कर इस खबर का खंडन किया है।
फेक न्यूज मामले में ‘द वायर’ के खिलाफ FIR दर्ज
हाल ही में भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक सिद्धार्थ वरदराजन द्वारा संचालित इस पोर्टल ‘द वायर’ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर एक झूठी खबर प्रकाशित की, जिसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया। योगी सरकार की चेतवानी के बावजूद जब ‘द वायर’ ने फर्जी खबर नहीं हटायी, तो उसके खिलाफ FIR दर्ज की गई। इसके बारे में योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने ट्वीट कर जानकारी दी। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा- “हमारी चेतावनी के बावजूद इन्होंने अपने झूठ को ना डिलीट किया ना माफ़ी मांगी। कार्यवाही की बात कही थी, FIR दर्ज हो चुकी है आगे की कार्यवाही की जा रही है। अगर आप भी योगी सरकार के बारे में झूठ फैलाने के की सोच रहे है तो कृपया ऐसे ख़्याल दिमाग़ से निकाल दें।”
झूठ फैलाने का प्रयास ना करे, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कभी ऐसी कोई बात नहीं कही है। इसे फ़ौरन डिलीट करे अन्यथा इस पर कार्यवाही की जाएगी तथा डिफ़ेमेशन का केस भी लगाया जाएगा। वेबसाईट के साथ-साथ केस लड़ने के लिए भी डोनेशन माँगना पड़ेगा फिर। https://t.co/2rEJmToLIh— Mrityunjay Kumar (@MrityunjayUP) April 1, 2020
झूठ फैलाने का प्रयास ना करे, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कभी ऐसी कोई बात नहीं कही है। इसे फ़ौरन डिलीट करे अन्यथा इस पर कार्यवाही की जाएगी तथा डिफ़ेमेशन का केस भी लगाया जाएगा। वेबसाईट के साथ-साथ केस लड़ने के लिए भी डोनेशन माँगना पड़ेगा फिर। https://t.co/2rEJmToLIh— Mrityunjay Kumar (@MrityunjayUP) April 1, 2020
— Hoshiarpur Police (@PP_Hoshiarpur) April 9, 2020
इससे पहले योगी सरकार ने ‘दी वायर’ के संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन को चेतावनी देते हुए कहा था कि वह अपनी फर्जी खबर को डिलीट करें वरना इस पर कार्रवाई की जाएगी। यूपी सीएम के मीडिया सलाहकार ने कहा था कि झूठ फैलाने का प्रयास ना करे, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कभी ऐसी कोई बात नहीं कही है। इसे फ़ौरन डिलीट करे अन्यथा इस पर कार्यवाही की जाएगी तथा डिफ़ेमेशन का केस भी लगाया जाएगा। वेबसाईट के साथ-साथ केस लड़ने के लिए भी डोनेशन मांगना पड़ जाएगा।
तबलीगी जमात को बचाने के लिए ‘द वायर’ ने फेक न्यूज़ फैलाते हुए लिखा कि जिस दिन इस इस्लामी संगठन का मजहबी कार्यक्रम हुआ, उसी दिन सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि 25 मार्च से 2 अप्रैल तक अयोध्या में प्रस्तावित विशाल रामनवमी मेला का आयोजन नहीं रुकेगा क्योंकि भगवान राम अपने भक्तों को कोरोना वायरस से बचाएंगे।
दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज में सैकड़ों मौलवियों की मौजूदगी और उनसे जुड़े कई लोगों की कोरोना से मौत और संक्रमण के मामले सामने आने के बाद पूरे देश में हड़कंप मच गया। इसी बीच मौलाना साद का एक ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें वे मुसलमानों से कहते सुने जा सकते हैं कि मुसलमान डॉक्टरों और सरकार की सलाह न मानें क्योंकि मिलने-जुलने और एक-दूसरे के साथ बैठ कर खाने से कोरोना नहीं होगा। ऐसे में कई मौलानाओं के बयानों को ढकने के लिए ‘द वायर’ ने एक लेख प्रकाशित किया और उसके संपादक वरदराजन ने इस लेख को शेयर भी किया। लेकिन, ‘द वायर’ की झूठी खबर पकड़ी गयी।
कोरोना किट की कीमत को लेकर फैलाई गई झूठी खबर
कोरोना किट की कीमत को लेकर फैलाई जा रही झूठ का ICMR ने खंडन किया है। कांग्रेस नेता उदित राज ने अपने सोशल मीडिया पर शेयर किया कि कोरोना किट बनाकर 17 कंपनियां 500 रुपए में देने को तैयार थीं, लेकिन पीएम ने ठेका एक गुजराती कंपनी को दिला लिया जो किट को 4500 रुपए में बेच रही है। इस झूठी खबर का ICMR ने खंडन किया है। ICMR का कहना है कि RT-PCR के लिए 740-1150 और Rapid Test के लिए 528-795 रुपए निर्धारित किए गए हैं। कोई भी टेस्ट किट 4500 रुपए का नहीं खरीदा है। ICMR ने कहा कि अगर कोई कंपनी किट सस्ता में किट उपलब्ध कराना चाहती है कि उसके अधिकारी से संपंर्क करे।
आजतक ने डॉक्टरों के कोरोना संक्रमित होने की झूठी खबर चलाई
आजतक ने एक खबर चलाई कि अलीगढ़ के 5 डॉक्टर कोरोना संक्रमित हो गए हैं। हालांकि इस खबर में कोई सच्चाई नहीं है। अलीगढ़ के जिलाधिकारी ने इस खबर का खंडन किया है। जिलाधिकारी के ट्विटर हैंडल से कहा गया, ”जनपद अलीगढ़ में जेएन मेडिकल कॉलेज की मात्र एक डॉक्टर डॉ शबनूर ही कोरोना संक्रमित हैं। आज तक न्यूज़ चैनल पर 5 डॉक्टरों के कोरोना संक्रमित की खबर गलत प्रसारित की गई है। इसका खंडन किया जाता है।”
#PIBFactcheck— PIB India #StayHome #StaySafe (@PIB_India) April 24, 2020
Media @aajtak reported 5 doctors in Jain Medical College, Aligarh Dt contracted Corona Virus.
Truth: DM, Aligarh condemned this & clarified only one Dr Shabnoor was infected.@PMOIndia, @infodeptup, @DDNewslive @airnewsalerts @PibLucknow https://t.co/EodALgozf4
SCROLL ने फैलाई झूठी खबर
SCROLL बेवसाइट ने बिहार के जहानाबाद के बारे में झूठी खबर प्रकाशित की जिसमें कहा गया है कि जहानाबाद के बच्चे खाने नहीं मिलने के कारण फ्राग खाने को मजबूर है लेकिन जांच में यह खबर झूठी निकली। दरअसल, मीडिया के कुछ लोगों ने बच्चों को ये लालच देकर उससे ये बातें बोलने के लिए मजूबर किया और विडियो बनाया। जहानाबाद के जिलाधिकारी ने इस खबर का खंडन किया। जिलाधिकारी का कहना है कि खाने की कोई कमी नहीं है। एक वीडियो ने बच्चों ने खुद कबूला कि उन्हें ये बातें बोलने के लिए प्रलोभन दिया गया।
NDTV ने प्रकाशित की गलत खबर
एनडीटीवी ने एक खबर प्रकाशित कर कहा है कि लॉकडाउन के कारण अरुणाचल प्रदेश के लोगों की हालत खराब हो रही है। राज्य में चावल की कमी है और लोग आजकल सांप खाने को मजबूर है लेकिन इस खबर के पीछे की हकीकत कुछ और ही है। केंद्रीय खेल मंत्री किरण रिजिजू ने एनडीटीवी के इस दावे को झूठा करार दिया है। उन्होंने बताया कि न सिर्फ़ वो बल्कि राज्य सरकार भी जानवरों के शिकार और उनकी हत्या को लेकर एकदम सख्त है। उन्होंने जानकारी दी कि राज्य में पर्याप्त मात्रा में अनाज उपलब्ध है, इसीलिए भोजन की कमी के चलते कोबरा को मार कर खाने वाली बात एकदम बेवकूफाना है।साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि अरुणाचल प्रदेश में कोई भी व्यक्ति खाने के लिए कोबरा का शिकार नहीं करता।
Dear @ndtv please don't make stories without verification! I'm dead against hunting and killing of animals so is the State Govt. But to say that there's no rice left for the people leading to killing of cobra is rubbish! No one hunts snakes for consumption in Arunachal Pradesh. https://t.co/s07bX1rbEq— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) April 20, 2020
https://t.co/MrRL56wpb6— ARUNACHAL IPR (@ArunachalDIPR) April 20, 2020
Clarification: There is no shortage of rice in AP. The state has atleast three months stock at all places & is providing free ration to those who lost their livelihood. Around 20000 people have been provided free ration till date. @PemaKhanduBJP @ndtv
अरुणाचल प्रदेश सरकार ने भी एनडीटीवी के इस खबर का खंडन किया है। सरकार का कहना है कि राज्य में चावल की कोई कमी नहीं है।
फ्री इंटरनेट देने की झूठी खबर
सोशल मीडिया कर झूठी खबर पोस्ट कर यह दावा किया गया कि भारतीय दूरसंचार विभाग ने सभी मोबाइल यूजर को 3 मई 2020 तक फ्री इंटरनेट देने का ऐलान िया जिसे प्राप्त करने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करना होगा। PIB Fact heckने इस खबर का खंडन किया है। पीआईबी के अनुसार सोशल मीडिया पर यह दावा बिल्कुल ठूठ है और दिया गया लिंक फर्जी है।

15 अप्रैल को इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर में कहा गया कि अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल में धर्म के आधार पर मरीजों के लिए अलग-अलग वार्ड बनाए गए हैं। इस फेक न्यूज में कहा गया कि अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट गुणवंत एच राठौड़ ने दावा किया है कि सरकार के फैसले के अनुसार हिंदुओं और मुस्लिमों के लिए अलग-अलग वार्ड तैयार किए गए हैं।
The Health Deptt.of Govt.of Gujarat has clarified that no segregation is being done in civil hospital on the basis of religion.Corona Patients are being treated based on symptoms, severity etc.and according to treating doctors' recommendations.— PIB in Gujarat (@PIBAhmedabad) April 15, 2020
अखबार में खबर आने के बाद मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉक्टर राठौर ने कहा कि मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है कि हमने हिंदू और मुसलमानों के लिए अलग-अलग वार्ड बनवाए। ये रिपोर्ट पूरी तरह झूठी और निराधार है। उन्होंने साफ कहा कि वार्डों को महिला-पुरुष और बच्चों के लिए अलग-अलग किया गया है, वो भी उनकी मेडिकल स्थिति देखकर न कि धार्मिक आधार पर। पीआईबी फैक्ट चेक ने भी इस खबर को गलत पाया।
द कारवां ने छापी झूठी खबर
इसके पहले द कारवां ने एक झूठी खबर प्रकाशित कर लिखा कि मोदी प्रशासन ने प्रमुख निर्णयों से पहले ICMR द्वारा नियुक्त COVID-19 टास्क फोर्स से परामर्श नहीं किया गया। स्टोरी में बताया गया है कि लॉकडाउन करने के पहले ICMR से राय मशविरा नहीं किया गया।
ICMR ने कारवां की इस झूठी खबर का खंडन किया है। ICMR का कहना है कि एक मीडिया रिपोर्ट में COVID-19 टास्क फोर्स के बारे में झूठे दावे किए गए हैं। सच्चाई ये है कि पिछले महीने में 14 बार टास्क फोर्स की बैठक हुई और सभी फैसलों में टास्क फोर्स के सदस्यों को शामिल किया गया।
There is a media report which makes false claims about the COVID-19 Task Force. The fact is that the task force met 14 times in the last month and all decisions taken involve the members of the task force. Please avoid such conjectures. #COVID2019india #IndiaFightsCorona— ICMR (@ICMRDELHI) April 15, 2020
अवलोकन करें:-
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