आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
कोरोना संक्रामक बीमारी में भी दिल्ली मुख्यमंत्री सेकुलरिज्म का खेल खेलेंगे ऐसी संभावनाएं पहले से ही व्यक्त की जा रही थीं, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुख्यमंत्रियों के साथ लॉक आउट पर वीडियो कांफ्रेंस में तब्लीग़ियों द्वारा स्थिति को जिम्मेदार ठहराते हुए लॉक आउट को आगे बढ़ाने की बात कही थी, लेकिन कांफ्रेंस के बाद अपनी छद्दम धर्म निरपेक्षता सियासत पर आ गए। इस वैश्विक बीमारी में भी केजरीवाल को अपने वोटबैंक की चिंता हो रही है।
कोरोना वायरस संक्रमण पर दिल्ली सरकार रोज अपडेट देती है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के रोजाना प्रेस कॉन्फ्रेंस के अलावा यह होता है। तबलीगी जमात के निजामुद्दीन स्थित मरकज से संक्रमण के मामले सामने आने के बाद से दिल्ली सरकार रोज बताया करती थी कि संक्रमितों में कितने जमात से जुड़े हैं। लेकिन अब उसने ऐसा करना बंद कर दिया है।
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग (DMC) की माँगों के आगे झुकते हुए राज्य सरकार ने डेली हेल्थ बुलेटिन से तबलीगी जमात का नाम हटा दिया है। अब जमाती ‘स्पेशल ऑपरेशन्स’ के अंतर्गत आते हैं। वैसे यह कोई नई बात नहीं है। ‘सेकुलरिज्म’ के कारण पहले भी मुसलमानों को ‘समुदाय विशेष’ कहा जाता रहा है।
दिल्ली सरकार ने बताया है कि ‘स्पेशल ऑपरेशन्स’ के तहत केवल मरकज ही नहीं, कई और भी क्षेत्र हैं। लिहाजा तबलीगी जमात या मरकज़ जैसे शब्दों का प्रयोग अब नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री कार्यालय ने शनिवार (अप्रैल 11, 2020) को जो अपडेट्स जारी किए, उसमें बताया गया कि दिल्ली में फिलहाल कोरोना के 1069 मामले हैं। इनमें से 712 ‘स्पेशल ऑपरेशन्स’ के तहत आते हैं। यानी, दिल्ली के कुल मामलों में से 66% (दो तिहाई) जमाती ही हैं। 27 लोग इलाज के बाद ठीक हो चुके हैं, वहीं 19 लोगों की मौत हुई है। गुरुवार को जो बुलेटिन जारी किया गया था उसमें मरकज़ का नाम है।
डीएमसी के अध्यक्ष ज़फरुल इस्लाम ख़ान ने केजरीवाल की सरकार से माँग की थी कि डेली बुलेटिन में ‘मरकज़ से संबंधित’ वाले कॉलम को हटा दिया जाए। उनके पत्र के बाद दिल्ली सरकार ने इसे बदल दिया। इस्लाम ने अपने पत्र में लिखा था:
“कोरोना वायरस पर दिल्ली सरकार के डेली बुलेटिन में ‘मरकज़ रिलेटेड’ वाला कॉलम इस्लामोफोबिया को बढ़ावा देने वाला है। ऐसा बेहूदा वर्गीकरण गोदी मीडिया और हिन्दुत्ववादी ताकतों के आगे सरेंडर करने के सामान होगा। इसके बाद देश भर में मुसलमानों पर हमलों की वारदातों में वृद्धि आ जाएगी। नार्थ-ईस्ट दिल्ली के हरेवली गाँव में एक मुस्लिम लड़के की लिंचिंग कर दी गई। कहीं-कहीं मुसलमानों का बॉयकॉट किया जा रहा। इसे बदल दिया जाए।”
अवलोकन करें:-
ख़ान ने दिल्ली सरकार को ‘वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन’ की उस सलाह की याद दिलाई, जिसमें दुनिया भर के देशों को कोरोना का नाम किसी मजहब या संप्रदाय से न जोड़ने की बात कही गई है। बता दें कि तबलीगी जमात के लगभग 2500 लोग दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज़ से निकाले गए थे। मरकज़ के कार्यक्रमों में मुसलमानों को सलाह दी गई थी कि वे मेडिकल सलाह न मानें और अल्लाह पर भरोसा रखें।
कोरोना संक्रामक बीमारी में भी दिल्ली मुख्यमंत्री सेकुलरिज्म का खेल खेलेंगे ऐसी संभावनाएं पहले से ही व्यक्त की जा रही थीं, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुख्यमंत्रियों के साथ लॉक आउट पर वीडियो कांफ्रेंस में तब्लीग़ियों द्वारा स्थिति को जिम्मेदार ठहराते हुए लॉक आउट को आगे बढ़ाने की बात कही थी, लेकिन कांफ्रेंस के बाद अपनी छद्दम धर्म निरपेक्षता सियासत पर आ गए। इस वैश्विक बीमारी में भी केजरीवाल को अपने वोटबैंक की चिंता हो रही है।
कोरोना वायरस संक्रमण पर दिल्ली सरकार रोज अपडेट देती है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के रोजाना प्रेस कॉन्फ्रेंस के अलावा यह होता है। तबलीगी जमात के निजामुद्दीन स्थित मरकज से संक्रमण के मामले सामने आने के बाद से दिल्ली सरकार रोज बताया करती थी कि संक्रमितों में कितने जमात से जुड़े हैं। लेकिन अब उसने ऐसा करना बंद कर दिया है।
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग (DMC) की माँगों के आगे झुकते हुए राज्य सरकार ने डेली हेल्थ बुलेटिन से तबलीगी जमात का नाम हटा दिया है। अब जमाती ‘स्पेशल ऑपरेशन्स’ के अंतर्गत आते हैं। वैसे यह कोई नई बात नहीं है। ‘सेकुलरिज्म’ के कारण पहले भी मुसलमानों को ‘समुदाय विशेष’ कहा जाता रहा है।
दिल्ली सरकार ने बताया है कि ‘स्पेशल ऑपरेशन्स’ के तहत केवल मरकज ही नहीं, कई और भी क्षेत्र हैं। लिहाजा तबलीगी जमात या मरकज़ जैसे शब्दों का प्रयोग अब नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री कार्यालय ने शनिवार (अप्रैल 11, 2020) को जो अपडेट्स जारी किए, उसमें बताया गया कि दिल्ली में फिलहाल कोरोना के 1069 मामले हैं। इनमें से 712 ‘स्पेशल ऑपरेशन्स’ के तहत आते हैं। यानी, दिल्ली के कुल मामलों में से 66% (दो तिहाई) जमाती ही हैं। 27 लोग इलाज के बाद ठीक हो चुके हैं, वहीं 19 लोगों की मौत हुई है। गुरुवार को जो बुलेटिन जारी किया गया था उसमें मरकज़ का नाम है।
🏥Delhi Health Bulletin - 10th April 2020 🏥#DelhiFightsCorona pic.twitter.com/D3U6sbxca1— CMO Delhi (@CMODelhi) April 10, 2020
🏥Delhi Health Bulletin - 11th April 2020 🏥#DelhiFightsCorona pic.twitter.com/TeMFB2ig5z— CMO Delhi (@CMODelhi) April 11, 2020
डीएमसी के अध्यक्ष ज़फरुल इस्लाम ख़ान ने केजरीवाल की सरकार से माँग की थी कि डेली बुलेटिन में ‘मरकज़ से संबंधित’ वाले कॉलम को हटा दिया जाए। उनके पत्र के बाद दिल्ली सरकार ने इसे बदल दिया। इस्लाम ने अपने पत्र में लिखा था:
“कोरोना वायरस पर दिल्ली सरकार के डेली बुलेटिन में ‘मरकज़ रिलेटेड’ वाला कॉलम इस्लामोफोबिया को बढ़ावा देने वाला है। ऐसा बेहूदा वर्गीकरण गोदी मीडिया और हिन्दुत्ववादी ताकतों के आगे सरेंडर करने के सामान होगा। इसके बाद देश भर में मुसलमानों पर हमलों की वारदातों में वृद्धि आ जाएगी। नार्थ-ईस्ट दिल्ली के हरेवली गाँव में एक मुस्लिम लड़के की लिंचिंग कर दी गई। कहीं-कहीं मुसलमानों का बॉयकॉट किया जा रहा। इसे बदल दिया जाए।”
अवलोकन करें:-
ख़ान ने दिल्ली सरकार को ‘वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन’ की उस सलाह की याद दिलाई, जिसमें दुनिया भर के देशों को कोरोना का नाम किसी मजहब या संप्रदाय से न जोड़ने की बात कही गई है। बता दें कि तबलीगी जमात के लगभग 2500 लोग दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज़ से निकाले गए थे। मरकज़ के कार्यक्रमों में मुसलमानों को सलाह दी गई थी कि वे मेडिकल सलाह न मानें और अल्लाह पर भरोसा रखें।
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