केजरीवाल सरकार जो बता रही उससे तीन गुना ज्यादा दिल्ली में कोरोना से मरे

दिल्ली, कोरोना, मौत
क्यों मरने वालों का आंकड़ा छुपाया जा रहा है?
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
आखिर क्या कारण है कि दिल्ली, महाराष्ट्र और बंगाल के मुख्यमंत्री कोरोना से होने वाली मौतों के आंकड़ों को किस कारण छुपा रही हैं? क्या मरने वाले सरकार की लापरवाही के कारण अपनी जान से गए हैं? यदि नहीं फिर किस आधार पर आंकड़ों को छुपाया जा रहा है? यानि की मौतों पर राजनीति? शर्म आनी चाहिए। अपने युवा दिनों से एक बात अपने बुजुर्गों से सुनते रहे थे कि सरकार किसी भी दुर्घटना में मरने वालों का जो भी आंकड़ा दे, उसमे जीरो(0)आंख मींच कर लगा दो, कोरोना से हुई मौतों के आंकड़े छुपाए जाने से यह बात प्रमाणित हो जाती है। 
दूसरे, कुछ दिन पूर्व चर्चा थी कि दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड मिलेनियम पार्क को कब्रिस्तान बनाना चाहा रहा है, जो इस बात पर हुए संदेह को स्पष्ट करता है, कि मौतें इतनी अधिक हुई हैं और आगे भी यही सम्भावना होने के कारण दिल्ली में कब्रिस्तानो में मुर्दों को दफ़न करने लायक जगह नहीं बचने वाली। 
कोरोना वायरस के कहर से जूझती दिल्ली सरकार पर दिल्ली नगर निगम (MCD) के भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने बड़ा आरोप लगाया है। इन नेताओं ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार द्वारा घोषित किए जा रहे कोरोना वायरस के मौत के आँकड़ों और श्मशान-कब्रगाहों से मिली संख्या में ‘भारी अंतर’ है।
इसके विपरीत, दिल्ली सरकार ने आँकड़ों में हेर-फेर के लिए अस्पतालों को दोषी ठहराया था। अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि स्वास्थ्य अधिकारी समय पर सूचना नहीं देते हैं। इसको लेकर प्रदेश सरकार ने नए दिशा-निर्देश भी जारी किए।
इससे पहले कोरोना वायरस की वजह से हुई मौत को लेकर अस्पताल द्वारा दिए जा रहे आँकड़े और दिल्ली सरकार के हेल्थ बुलेटिन में काफी अंतर पाया गया था।
NMCD में स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन जयप्रकाश ने दावा किया कि इलाके में 21 मई तक कोरोना वायरस पॉजिटिव 282 लोगों का स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल के तहत या तो अंतिम संस्कार किया गया है या उन्हें दफनाया गया है। यानी उनके इलाके में अब तक 282 लोगों की मौत कोरोना वायरस के चलते हुई है।
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस मरीजों के 270 शवों का निगम बोध में अंतिम संस्कार किया गया। 11 शवों को मंगोलपुरी के कब्रिस्तान में दफन किया गया। वहीं 1 कोरोना संक्रमित का शव रोहिणी के एक ईसाई कब्रिस्तान में लाया गया।
उन्होंने कहा, “केजरीवाल सरकार को डर है कि अगर जनता को मौत के असल आँकड़े पता चल गए तो यह उनके दावों की हवा निकाल देंगे कि दिल्ली में कोरोना वायरस के हालात नियंत्रण में हैं।”
वहीं, दक्षिण दिल्ली नगर निगम में सदन के नेता कमलजीत सहरावत ने भी दावा किया कि असलियत में मौत का आँकड़ा काफी ज्यादा है। सहरावत के अनुसार पंजाबी बाग शमशान घाट में 232 कोरोना मरीजों के शवों को लाया गया था, जबकि 68 डेड बॉडी कोरोना संदिग्धों के थे। इसके अलावा 76 शवों को ITO कब्रिस्तान में दफनाया गया और एक शव को मदनपुर खादर में दफनाने के लिए ले जाया गया।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने नीतियों का मसौदा तैयार करने से पहले SDMC के अधिकारियों से कोई परामर्श नहीं लिया। चेयरमैन भूपेंद्र गुप्ता ने मामले की जाँच की माँग की है।
दिल्ली सरकार के ‘आधिकारिक आँकड़ों’ यानी 21 मई को जारी हेल्थ बुलेटिन के मुताबिक राजधानी में तब तक 194 लोगों की मौत कोरोना वायरस के चलते हुई थी। शनिवार (मई 23, 2020) को जारी हेल्थ बुलेटिन में यह संख्या बढ़कर 231 पहुँच गई थी।
जय प्रकाश ने आरोप लगाया कि अगर NMCD और SMCD से मिले आँकड़ों को मिला लिया जाए, तो 21 मई तक ही यह संख्या 591 पहुँच जाती है, जो कि दिल्ली सरकार द्वारा किए जा रहे मौत के आँकड़ों का तीन गुना है। आम आदमी पार्टी की सरकार अपना चेहरा बचाने के लिए मौत के आँकड़ों को कम बता रही है।
इससे पहले, एक समाचार चैनल द्वारा अपलोड किए गए एक वीडियो में स्वास्थ्य अधिकारियों को मृतक के शरीर को कोरोना वायरस प्रोटोकॉल के अनुसार दफन करते देखा गया था। दफनाने के लिए गड्ढा खोदने के लिए एक जेसीबी मशीन भी लगाई गई थी।
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ग्राउंड रिपोर्टर मिलन शर्मा ने बताया था कि ITO कब्रिस्तान के रिकॉर्ड के मुताबिक वह 96वाँ शव था, जिसे वहाँ दफनाने के लिए ले जाया गया था। इस तरह कोरोना वायरस से हुई मौतों को लेकर दिल्ली सरकार के आधिकारिक आँकड़े और जमीनी हकीकत में भारी अंतर दिख रहा है।

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