कोरोना टेस्ट की सिफारिश करने पर डॉक्टर को मिला नोटिस
देश में सबसे अधिक महाराष्ट्र में कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं। सरकारी अस्पतालों पर बढ़ते दबाव को देखते हुए बीएमसी (Brihanmumbai Municipal Corporation)ने निजी अस्पतालों को भी इलाज की अनुमति दी है। लेकिन इसी बीच एक डॉक्टर को भेजे गए नोटिस ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या उद्धव सरकार कोरोना मरीजों की वास्तविक संख्या को छिपाना चाहती है? क्या उद्धव सरकार नहीं चाहती कि राज्य में कोरोना की वास्तविक स्थिति के बारे में लोगों को जानकारी हो?
बीएमसी ने घाटकोपर के एक डॉक्टर चेतन वेलानी को कोविड 19 के स्वैब टेस्ट की सिफारिश करने पर नोटिस भेजा है, जिसमें आईसीएमआर के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। साथ ही बीएमसी ने 24 घंटे में नोटिस का जवाब नहीं देने पर डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन रद्द करने की धमकी दी है। बीएमसी की इस नोटिस के बाद विवाद उत्पन्न हो गया है। कोई डॉक्टरों ने बीएमसी के इस नोटिस पर सवाल खड़ा किया है और ज्यादती करने का आरोप लगाया है।
नोटिस मिलने के बाद डॉक्टर चेतन वेलानी ने कहा कि मैं प्रति दिन 40 रोगियों को देख रहा हूं। मैं उन्हीं मरीजों को टेस्ट के लिए सिफारिश करता हूं, जिन्हें कोरोना के संक्रमण के कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। मैंने जिनकी सिफारिश की है, उनमें से अधिकतर कोरोना पॉजीटिव पाये गए हैं।
डॉ वेलानी के एक सहयोगी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि बीएमसी हमें डराने की कोशिश कर रही है। बीएमसी चाहती है कि हम कोरोना टेस्ट की सिफारिश नहीं करें, ताकि कोरोना मरीजों की संख्या को कम-से-कम दिखा सके। अगर हम अपने प्रोफेशनल अनुभव के आधार पर टेस्ट की सिफारिश करते हैं, तो बीएमसी को हमें रोकने का कोई अधिकार नहीं है।
नियम के मुताबिक किसी डॉक्टर के लाइसेंस को रद्द करने का अधिकार सिर्फ इंडियन मेडिकल काउंसिल को है। महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉक्टर शिवकुमार अत्रे ने कहा कि बीएमसी डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन रद्द नहीं कर सकती। डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का अधिकार सिर्फ हमारे पास है।
21 मार्च को जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने निजी लैब्स में कॉविड-19 टेस्ट के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिसमें कहा गया था, “लैब्स टेस्ट सिर्फ आईसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) दिशा-निर्देशों के अनुसार किसी योग्य डॉक्टर द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर किया जाना चाहिए।)
देश में सबसे अधिक महाराष्ट्र में कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं। सरकारी अस्पतालों पर बढ़ते दबाव को देखते हुए बीएमसी (Brihanmumbai Municipal Corporation)ने निजी अस्पतालों को भी इलाज की अनुमति दी है। लेकिन इसी बीच एक डॉक्टर को भेजे गए नोटिस ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या उद्धव सरकार कोरोना मरीजों की वास्तविक संख्या को छिपाना चाहती है? क्या उद्धव सरकार नहीं चाहती कि राज्य में कोरोना की वास्तविक स्थिति के बारे में लोगों को जानकारी हो?
बीएमसी ने घाटकोपर के एक डॉक्टर चेतन वेलानी को कोविड 19 के स्वैब टेस्ट की सिफारिश करने पर नोटिस भेजा है, जिसमें आईसीएमआर के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। साथ ही बीएमसी ने 24 घंटे में नोटिस का जवाब नहीं देने पर डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन रद्द करने की धमकी दी है। बीएमसी की इस नोटिस के बाद विवाद उत्पन्न हो गया है। कोई डॉक्टरों ने बीएमसी के इस नोटिस पर सवाल खड़ा किया है और ज्यादती करने का आरोप लगाया है।
Thanks @RupsaChak for highlighting the ridiculousness of what UTha govt is doing. Taking away the right of a doctor to ask for a COVID test based on his clinical judgment, makes one suspect that Mah govt does not want the true extent of the problem to be revealed. pic.twitter.com/TdOXmgqeSj— Amit Thadhani (@amitsurg) May 24, 2020
नोटिस मिलने के बाद डॉक्टर चेतन वेलानी ने कहा कि मैं प्रति दिन 40 रोगियों को देख रहा हूं। मैं उन्हीं मरीजों को टेस्ट के लिए सिफारिश करता हूं, जिन्हें कोरोना के संक्रमण के कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। मैंने जिनकी सिफारिश की है, उनमें से अधिकतर कोरोना पॉजीटिव पाये गए हैं।
This is dr Chetan velani— DR AMARINDER S MALHI MBBS/MD/DM/AP AIIMS NEW DELHI (@drasmalhi) May 24, 2020
I received this notice today
I have been seeing up to the tune of 40 patients per day and all symptomatic patients only are asked for the test
Since many of my patients come positive it is hitting their statistics
Hence this notice pic.twitter.com/iaDpSXGZTH
डॉ वेलानी के एक सहयोगी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि बीएमसी हमें डराने की कोशिश कर रही है। बीएमसी चाहती है कि हम कोरोना टेस्ट की सिफारिश नहीं करें, ताकि कोरोना मरीजों की संख्या को कम-से-कम दिखा सके। अगर हम अपने प्रोफेशनल अनुभव के आधार पर टेस्ट की सिफारिश करते हैं, तो बीएमसी को हमें रोकने का कोई अधिकार नहीं है।
नियम के मुताबिक किसी डॉक्टर के लाइसेंस को रद्द करने का अधिकार सिर्फ इंडियन मेडिकल काउंसिल को है। महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉक्टर शिवकुमार अत्रे ने कहा कि बीएमसी डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन रद्द नहीं कर सकती। डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का अधिकार सिर्फ हमारे पास है।
21 मार्च को जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने निजी लैब्स में कॉविड-19 टेस्ट के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिसमें कहा गया था, “लैब्स टेस्ट सिर्फ आईसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) दिशा-निर्देशों के अनुसार किसी योग्य डॉक्टर द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर किया जाना चाहिए।)
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