
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
क्या हरियाणा का मेवात मिनी पाकिस्तान है? यह सवाल पूर्व जस्टिस पवन कुमार की अगुवाई वाली 4 सदस्यीय जॉंच समिति की रिपोर्ट से खड़ी हुई है। यह रिपोर्ट बताती है कि मुस्लिम बहुल मेवात कैसे हिंदुओं खासकर दलितों के लिए कब्रिस्तान बनता जा रहा है। महिलाओं को अगवा करना, दुष्कर्म और जबरन धर्म परिवर्तन की कई घटनाएँ वैसे ही सामने आए हैं, जैसी खबरें पाकिस्तान से आती रहती है।
हैरानी की बात यह है कि दलितों पर हो रहे घोर अत्याचारों का न किसी भीम आर्मी, मायावती, राहुल गाँधी, प्रियंका गाँधी, अखिलेश यादव एवं अन्य छद्दम दलित प्रेमियों को होश है, क्योकि यह काम उनके शान्तिदूतों द्वारा किया जा रहा है। तुष्टिकरण भक्त #intolerance, #mob lynching, #not in my name और गंगा-जमुना तहजीब आदि की राग अलापने वाले सारे गैंगस्टर मुंह में दही जमाए खामोश बैठे हैं। फिर जब कोई कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर या प्रवेश वर्मा कुछ बोलेगा तो गरीब, मज़लूम भोले-भाले बन सारा दोष इन लोगों पर डाल साम्प्रदायिकतों और दंगा-परस्तों की हिमायत में खड़े हो जायेंगे।
हरियाणा श्री वाल्मीकि महासभा ने इस कमिटी का गठन किया था। इससे संबंधित एक प्रेस विज्ञप्ति विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने भी ट्वीट की है।
जब ऑपइंडिया ने इस संबंध में पूर्व न्यायधीश पवन कुमार से संपर्क किया, तो कई बातें निकलकर सामने आई। पूर्व न्यायाधीश ने बताया कि मेवात में समुदाय विशेष (बहुसंख्यक आबादी) का अल्पसंख्यकों पर अत्याचार इतना भीषण है कि जिले के करीब 500 गाँवों में से 103 गाँव ऐसे हैं जो हिंदूविहीन हो चुके हैं। 84 गाँव ऐसे हैं जहाँ अब केवल 4 या 5 हिंदू परिवार ही शेष हैं।
पूर्व न्यायाधीश पवन कुमार इस संबंध में बताते हैं कि वह दलितों पर अत्याचार के मामले में जाँच के लिए स्वयं मेवात गए थे। यहाँ उन्होंने 48 पीड़ितों को पूछताछ के लिए बुलाया। लेकिन, स्थानीय दलितों में समुदाय विशेष के लोगों की इतनी गहरी दहशत है कि इनमें से केवल 19 लोग ही उनके पास आए। इनमें से कुछ स्वयं पीड़ित थे और कुछ पीड़ितों के परिजन। यहाँ उन्होंने स्वंय उनसे बातचीत की, उनके बयान रिकॉर्ड किए।
दलितों का कब्रिस्तान बनता जा रहा है मेवात : जस्टिस पवन कुमार
पवन कुमार कहते हैं कि इन लोगों से बातचीत करने के बाद उन्हें मालूम चला कि मेवात में दलितों की स्थिति बेहद बुरी है। वहाँ लड़कियों से रेप, वधुओं का अपहरण, धर्मांतरण, दलितों से मारपीट की घटनाएँ आम हो गई है।
पूर्व न्यायाधीश कुछ घटनाओं का जिक्र करते हैं, जिनका उल्लेख विज्ञप्ति में भी है। वे बताते हैं कि कुछ समय पहले समुदाय विशेष के 4 लड़कों ने एक पुलिस वाले के घर में ही एक बच्ची का रेप किया। लेकिन जब बाद में इस मामले पर शिकायत दर्ज हुई, तो आगे कोई कार्रवाई नहीं की गई।
इसके अलावा एक और घटना का उल्लेख करते हुए पूर्व न्यायधीश बताते हैं कि कुछ समय पहले एक लड़की को नौकरी का झाँसा देकर अगवा किया गया। फिर उसे कई दिनों तक बंधक बनाया गया और इस बीच 9 लोगों ने उसका रेप किया। मगर, जब दरिंदों के चंगुल से छूटकर लड़की ने थाने में आपबीती सुनाकर शिकायत दर्ज कराई, तो मामले पर कोई उपयुक्त कार्रवाई नहीं हुई। नतीजतन एक दिन उसका गला काटकर उसे मारने की कोशिश हुई, लेकिन न जाने कैसे वो उस समय बच गई। किंतु अगली बार फिर उस पर हमला हुआ और उसकी अंतत: हत्या कर दी गई।
उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले मेवात में दो बच्चों की माँ को पहले एक मुस्लिम लड़का भगाकर ले गया। बाद में उसने उसे अवैवाहिक बताकर जबरन उसका धर्म परिवर्तन करवा दिया। लेकिन, तब भी पुलिस ने इस मामले पर कार्रवाई करनी उचित नहीं समझी। जबकि महिला की बेटियाँ इस संबंध में बताती रहीं कि उस लड़के के व्हॉट्सअप पर मैसेज आते थे कि तुम धर्म परिवर्तन करो।
पुलिस की ढिलाई पर ध्यान आकर्षित करवाते हुए गठित जाँच समिति के अध्यक्ष पवन कुमार बताते हैं कि मेवात में हालात इतने बुरे हैं कि पैसे माँगने पर दलितों को इतना मारा जाता है कि वो मुश्किल से बच पाते हैं। लेकिन जब वही पीड़ित जाकर पुलिस से इस संबंध में शिकायत करता है तो पुलिस एक्शन लेने की बजाय पीड़ित पर ही समझौते का दबाव बनाती है।
प्रेस विज्ञप्ति में बिछोर गाँव की एक और घटना का जिक्र होता है। इस संबंध में रिटायर्ड जज हमें बताते हैं कि वहाँ रामजीलाल को पेट से काटा गया। बाद में उसे जिंदा जला दिया गया। किंतु जब बात आरोपितों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की आई तो पुलिस ने ये कहकर फाइल बंद कर दी कि वो आसमानी बिजली के कारण मरा है। पवन कुमार कहते हैं कि खुद सोचिए बिजली से कोई व्यक्ति मरेगा तो पेट थोड़ी काटा जाएगा? इस घटना में मृतक के घरवाले इतना ज्यादा डर गए कि उन्होंने गाँव से ही पलायन कर लिया।
मेवात की बहुसंख्यक आबादी धीरे-धीरे दलितों के श्मशान घाट पर कब्जा कर रही है। साथ ही सरकार द्वारा मुहैया कराए गए उनके प्लॉट भी समुदाय विशेष के लोगों द्वारा धीरे-धीरे हड़पे जा रहे हैं। वहीं, मारपीट, उधारी का पैसा माँगने पर हमले की घटनाएँ तो मानो बेहद सामान्य हो गई हैं।
पूर्व न्यायाधीश स्पष्ट शब्दों में कहते हैं कि मेवात में प्रशासन ढीला है और पुलिस के शह में ये सारा काम होता है। नतीजतन 104 गाँव से हिंदू बिलकुल गायब हो चुके हैं, जबकि 84 गाँव में 4-5 की संख्या में हिंदू परिवार बचे हैं। पवन कुमार कहते हैं कि मेवात में 500 गाँव हैं। लेकिन इनमें एक तिहाई गाँवों में से हिंदू गायब हो चुके हैं।
मामले में आगे की कार्रवाई पर पवन कुमार बताते हैं कि उन्होंने इस विषय में सभी तथ्य जुटाने के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार करके मुख्यमंत्री को भेज दी है। इसके अलावा ये रिपोर्ट गृह मंत्रालय को और अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन को भी भी दी गई है। अब इन तथ्यों की जाँच से उनका उद्देश्य केवल दलित समाज को न्याय दिलाने का और मेवात में कानून स्थापित करने का है।
वह कहते हैं कि मेवात में इस समय दलितों की जो स्थिति है, वैसी तो शायद पाकिस्तान में जो हिंदू बचे हैं, उनकी भी स्थिति न हो। जाँच टीम अध्यक्ष अध्यक्ष पवन कुमार स्पष्ट बताते हैं कि पाकिस्तान में रह रहे हिंदुओं भी बदतर हालात मेवात में दलितों की है।
आरोपों पर पुलिस का कहना
श्री वाल्मीकि महासभा द्वारा गठित इस 4 सदस्यीय जाँच टीम ने अपनी पड़ताल पूरी करके यह निष्कर्ष निकाला है कि दलितों पर अत्याचार प्रशासन और पुलिस की शह पर हो रहा है। विज्ञप्ति में कहा गया पहले तो दलितों की शिकायतें ही दर्ज नहीं होती थी दर्ज हो भी जाएँ, तो कार्यवाही नहीं होती।
इसके साथ ही इस रिलीज के जरिए पुलिस पर ये भी आरोप लगाया गया कि पुलिस वहाँ पीड़ितों को समझौता करने के लिए धमकाती है और पीड़ित पर ही झूठा केस दर्ज कराने की धमकी देते हैं। ऐसे में जब हमने इस संबंध में मेवात एसपी से बात की और पुलिस पर लग रहे आरोपों के बारे में पूछा तो उन्होंने मामलों में कार्रवाई के लिए चरणबद्ध प्रक्रिया का हवाला दिया।
उन्होंने कहा, “जब भी पुलिस के पास कोई दलित उत्पीड़न का कोई मामला आता है तो उस पर शिकायत दर्ज होती है और मामले में नियमानुसार कार्रवाई होती है। अगर कोई शिकायतकर्ता आता है तो उसके लिए एसएचओ का एवेन्यू खाली है, वह डीएसपी से मिल सकता है, एसपी से मिल सकता है।”
यहाँ छोटी-छोटी बच्चियों व महिलाओं का रेप होता है। बाद में उनकी हत्या हो जाती है। लेकिन पुलिस उनपर कोई कार्रवाई नहीं करती है।
स्थिति ये आन पड़ी है कि अब लड़कियाँ स्कूल जाने में डरने लगी हैं। इसके अलावा अनुसूचित जाति के बच्चों पर वहाँ बहुसंख्यक आबादी के बच्चे फब्तियाँ कसते हैं। इससे स्कूल जाने वाले बच्चों की संख्या कम हो गई है और हालात इतने गंभीर हैं कि वे सब पलायन की योजना बना रहे हैं। महावीर भारद्वाज कहते हैं कि स्वतंत्र भारत में, हरियाणा की धरती पर ऐसे मिनी पाकिस्तान बनाकर पाक से ज्यादा अत्याचार किए जा रहे हैं।
मेवात में बहुसंख्यक आबादी मुस्लिमों की है। ऐसे में इन अत्याचारों से तंग आकर कई हिंदू पलायन कर गए हैं। लेकिन अनुसूचित जाति के लोग, वर्तमान में इतने समर्थ नहीं है कि वह गाँव छोड़कर शहर जाएँ, अपना मकान लें, बिजनेस शुरू करके नए तरीके से जीवन जिएँ। इसलिए बस दलित वर्ग रुका है और उनपर अत्याचार हो रहे हैं।
पूर्व न्यायाधीश की भाँति महावीर भारद्वाज भी पुलिस की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहते हैं मामला संज्ञान में आने के बाद अब FIR दर्ज करती है। मगर, बाद में उनपर समझौते का दबाव बनाती है और कहती है कि जब यही रहना है तो मिलकर रहो। भारद्वाज इस बातचीत में ये जानकारी भी देते हैं कि मेवात में यह सब बहुत पहले से हो रहा था, लेकिन पिछले एक-दो महीने में ज्यादा मामले संज्ञान में आने के बाद इस कदम को उठाया गया।
बीते दिनों हरियाणा के मेवात जिला स्थित पुन्हाना में मुक्तिधाम आश्रम के प्रमुख महंत रामदास महाराज के साथ मुस्लिम बहुल इलाके में कुछ लोगों द्वारा कथित तौर पर बदसलूकी, मारपीट और जान से मारने की नीयत से हमला करने का मामला सामने आया था। महंत के समर्थन में आए हिंदूवादी संगठनों ने ऑपइंडिया से बातचीत में बताया था कि बुधवार (अप्रैल 29, 2020) की सुबह महंत रामदास महाराज पर आरोपितों ने धार्मिक भावनाओं को निशाना बनाते हुए अभद्र धार्मिक टिप्पणियाँ की। साथ ही इलाके के सभी साधु-संतों को पुन्हाना से भगा देने की धमकी भी दी थी।
इस सन्दर्भ में विश्व हिन्दू परिषद् के महावीर भारद्वाजद्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि हरियाणा के मेवात में दलितों पर हो रहे अत्याचारों की जांच करने के बाद जांच दल के अध्यक्ष श्री पवन कुमार ने आज गुरुग्राम में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि मेवात दलितों का कब्रिस्तान बनता जा रहा है। पाकिस्तान और मेवात में कोई अंतर नहीं रह गया है। महिलाओं को जबरन अगवा करके बलात्कार किया जा रहा है, ऐसी कई खबरें सब तरफ से आ रही थी।
लंबे समय से इन शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण दलितों को यह लग रहा है कि अब उन्हें अपनी इज्जत, अपना धर्म और अपनी धरती बचाने के लिए खुद संघर्ष करना पड़ेगा। इसीलिए श्री वाल्मीकि महासभा हरियाणा ने यह निर्णय लिया है कि 4 सदस्यीय उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन करके वहां की हकीकत को तथ्यों के साथ सरकार व समाज के सामने लाया जाए।
श्री पवन कुमार( पूर्व न्यायाधीश ) को इस जांच समिति का अध्यक्ष बनाया गया तथा श्री सुल्तान बाल्मीकि ( अध्यक्ष वाल्मीकि महापंचायत हरियाणा ), श्री कन्हैया लाल आर्य( उपाध्यक्ष आर्य प्रतिनिधि सभा हरियाणा) एवं श्री देवदत्त शर्मा अध्यक्ष बार एसोसिएशन सोहना को इस जांच दल का सदस्य नियुक्त किया गया।
दलित समाज के 48 पीड़ितों को बुलाया गया था परंतु इन जिहादियों की दहशत इतनी थी कि केवल 19 लोग ही अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों की जानकारी देने के लिए नूह में आए। उनकी शिकायतें रोंगटे खड़े कर देने वाली और दिल दहला देने वाली थी।
विद्यालय जाने वाली बच्चियों और महिलाओं के साथ छेड़खानी करने वाली घटनाएं पूरे मेवात में होती हैं, जिनके कारण उनका विद्यालय में पढ़ने जाना भी दूभर हो गया है। एक 12 साल की लड़की का तो 4 मुसलमानों ने बलात्कार किया और जिस मकान में बलात्कार हुआ वह मुस्लिम पुलिस वाले का ही था। एक साल के बाद भी आज तक उस पुलिस वाले पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। फिरोजपुर नमक में तो एक महिला को बंदी बनाकर 9 मुसलमानों ने कई दिन तक बलात्कार किया। उसकी शिकायत पर कोई कार्यवाही ना होने के कारण आरोपियों ने चार दिन बाद उसकी जघन्य हत्या कर दी ।
न्यायाधीश श्री पवन कुमार ने कहा कि जबरन धर्मांतरण के पचासियों उदाहरण सामने आए परंतु किसी भी मामले में कोई कार्रवाई ना होने के कारण धर्मान्तरित व्यक्तियों के परिवारों पर भी धर्मांतरण का दबाव बनाया जा रहा है।
कई जगह उनके शमशान घाटों पर भी कब्जा किया जा रहा है। दलितों को पकड़कर उनके साथ मारपीट करना, उधारी का पैसा मांगने पर उन पर हमला करना आम घटना हो गई हैं। बिछोर गांव में तो रामजीलाल को पहले पेट से काटा गया और फिर उसे जिंदा जला दिया गया। नामजद रिपोर्ट होने पर भी उसकी आसमानी बिजली गिरने से मृत्यु हुई है, यह कहकर मामले को रफा-दफा कर दिया गया। उसका परिवार इतनी दहशत में है कि उन्होंने गाँव से पलायन कर लिया है।
दलितों के परिवारों में शादी होने पर कई बार उन पर हमला करके सामान लूट लिया जाता है और वधु को जबरन अगवा करने का प्रयास किया जाता है । इस जांच समिति का यह निष्कर्ष है कि दलितों पर अत्याचार प्रशासन और पुलिस की शह पर ही हो सकते हैं।
पहले तो दलितों की शिकायतें ही दर्ज नहीं होती थी । दर्ज हो भी जाएं, तो कार्यवाही नहीं होती और पुलिस वाले समझौता करने के लिए धमकाते हैं और पीड़ित पर ही झूठा केस दर्ज कराने की धमकी देते हैं।
दुर्भाग्य है कि देश में कहीं भी दलितों का नाखून उखड़ने पर भी आसमान उठा लेने वाले छद्म सेक्युलरवादी मुसलमानों द्वारा दलितों पर इतने अमानवीय अत्याचारों पर चुप क्यों रहते हैं? राजनीतिक स्वार्थों के कारण दलित मुस्लिम एकता का छलावा रचने वाले दलित संगठन अभी तक इन दलितों के आंसू पौछने क्यों नहीं आ सके? इन अत्याचारों की बार-बार शिकायतें करने पर भी क्यों किसी भी दल के राजनीतिज्ञ इनकी सहायता के लिए नहीं पहुंचते हैं?
इन प्रश्नों के साथ जीने वाले दलित समाज को इस जांच समिति के जाने के बाद अब अपने ऊपर विश्वास हो चला है , अब वह शिकायतें दर्ज कराने के लिए सामने भी आ रहा है और अत्याचारों से संघर्ष करने का निर्णय भी ले रहा है।
समिति के अध्यक्ष श्री पवन कुमार ने कहा कि यह रिपोर्ट हरियाणा सरकार, अनुसूचित जाति आयोग एवं केंद्र सरकार के गृह मंत्री को दी जाएगी जिससे वे दलित समाज को न्याय दिलाएं और मेवात में कानून का राज्य स्थापित करें।
1 comment:
Haryana government may deals with the issue to correct the wrong doings in 3-4 months by policia style. So gives freedom police to act for a few months by deploying extra force with bold police officers to deal with....
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