दिल्ली हिन्दू विरोधी दंगा : मुसलमान होने की मिली है सजा : अमानतुल्लाह खान, केजरीवाल का विधायक

ताहिर हुसैन, अमानतुल्लाह खान
आर.बी.एल निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगों में चार्जशीट दाखिल होने के बाद आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान ने पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन का बचाव किया है। ताहिर के कुकृत्यों पर मजहब का पर्दा डालने की उसने कोशिश की है।
अमानतुल्लाह खान ने ट्वीट कर कहा, “दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में ताहिर हुसैन को दिल्ली दंगों का मास्टरमाइंड बनाया है, जबकि पूरा देश जानता है कि दंगे किसने कराए। असल दंगाइयों से अभी तक पुलिस ने पूछताछ तक नहीं की। मुझे लगता है कि ताहिर हुसैन को सिर्फ मुसलमान होने की सज़ा मिली है।”
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया है, “अमानतुल्लाह खान, दिल्ली पुलिस ने अभी ताहिर हुसैन को पकड़ा है तो इतनी बौखलाहट। तब क्या हाल होगा तुम्हारा जब पर्दे के पीछे के असली किरदार पकड़े जाएँगे। चिंता मत करो, दिल्ली पुलिस ईमानदारी से कार्य कर रही है। दिल्ली जलाने वाले 1 भी व्यक्ति को छोड़ेंगे नहीं।”
2 जून को दिल्ली पुलिस ने दंगों के मामले में 2 चार्जशीट दायर की थी। इस चार्जशीट में ताहिर को मुख्य आरोपित बनाया गया है। चार्जशीट में दिल्ली पुलिस ने कहा है दंगे कराने के लिए ताहिर हुसैन ने करोड़ों ख़र्च किए थे। इस दौरान वह जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद से लगातार संपर्क में था।
उसने उमर खालिद से कहा था कि जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत आने वाले हैं, तब कुछ बड़ा होने वाला है, जिसके लिए सबको तैयार रहना है। उसने अपने समर्थकों को ‘बड़े एक्शन’ के लिए तैयार रहने को कहा था। उसने सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच भी रुपए बाँटे थे। 
अमानतुल्लाह ने इससे पहले भी मार्च महीने में एक ट्वीट कर ताहिर का बचाव किया था। जिसमें उन्होंने ताहिर के खिलाफ़ होती कार्रवाई को देखकर कहा कि ये सब इसलिए हो रहा है क्योंकि ताहिर एक मुसलमान है।
ऐसे में ज्वलंत प्रश्न यह भी होता है कि मुसलमान कोई भी गैर-संवैधानिक काम करे, गैर-मुस्लिमों को चाहे जितना प्रताड़ित करे, अगर पकडे जाने पर उस पर कोई कार्यवाही होने पर Muslim victim card खेलकर उसे निर्दोष सिद्ध करने का छद्दम धर्म-निरपेक्ष और गंगा-जमुना तहजीब की बात करने वाले उठ खड़े होते हैं। अपने आपको गरीब, मज़लूम और नसमझ सिद्ध करने में एकजुट होते नज़र आने लगते हैं। स्थिति विपरीत होने पर ये ही लोग सड़क से लेकर संसद तक आसमान सिर पर उठा लेते हैं, अब इसे दोगली चाल न कहा जाये तो क्या नाम दिया जाए? 


अमानतुल्लाह ने कहा था,  “आज ताहिर हुसैन सिर्फ इस बात की सजा काट रहा है कि वो एक मुस्लिम है। शायद आज हिन्दुस्तान में सबसे बड़ा गुनाह मुस्लिम होना है। ये भी हो सकता है कि आने वाले वक्त में ये साबित कर दिया जाए कि दिल्ली की हिंसा ताहिर हुसैन ने कराई है।”
अमानतुल्लाह शुक्र मनाओ तुम हिन्दुस्तान में हो, वरना जितनी निर्भीकता से इस संगीन मुद्दे पर अपराधी का बचाव कर रहे हैं, शायद यही प्रयास किसी मुस्लिम देश में किया होता, अपराधी के साथ-साथ अमानतुल्लाह को भी उचित जगह पहुंचा दिया होता। 
हैरानी इस बात पर भी होती है, अरविन्द केजरीवाल इस मुद्दे पर क्यों चुप्पी साधे हुए हैं? क्या किसी अपराधी का बचाव करना उचित है?
हालाँकि, स्पष्ट हो कि न्यायिक प्रक्रियाओं के बीच अपने मुसलमान होने को लाने वाले अमानतुल्लाह जैसे लोग आज तक यह साबित नहीं कर सके हैं कि अगर सिर्फ मुस्लिम होने के कारण किसी को निशाना बनाया जाता है तो फिर उन्हीं के जैसे दंगाई मानसिकता के लोग बाहर खुले घूमकर इस तरह का जहर कैसे उगलते आ रहे हैं?
गत फरवरी माह में पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगों की लगभग सभी परतें खुल चुकी हैं। इसमें यह भी स्पष्ट हो चुका है कि किस तरह से शाहीनबाग से लेकर जामिया, JNU के उग्रवादियों ने इसमें अहम भूमिका निभाई।
वही शाहीनबाग, जहाँ ‘फक हिन्दुत्व’ से लेकर गाय और गोमूत्र के बहाने हिन्दुओं की आस्था का उपहास बनाया गया। फ़ैज़ और इकबाल के बहाने काफिरों के खिलाफ तमाम बातें की गईं।
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जब यही शाहीनबाग दंगों के रूप में बाहर आया, तब ‘काफिरों’ पर तमाम क्रूरता की हदों को लांघा गया। महज 20 साल के दिलबर नेगी के हाथ और पाँव काटकर शरीर के भाग को जिंदा जलती आग में झोंक दिया गया। IB अधिकारी अंकित शर्मा को इसी दंगाई ताहिर हुसैन के घर के बाहर मारा गया। उनके शरीर पर घाव के 51 गहरे निशान थे।

1 comment:

Surinder Kumar Pruth said...

He and his leaders may also be involved ....