दिल्ली हिन्दू विरोधी दंगा: हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की हत्या वाले चार्जशीट में योगेंद्र यादव का भी नाम

योगेंद्र यादव
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगे में दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की हत्या कर दी गई थी, जबकि आईपीएस अमित शर्मा और अनुज कुमार पर जानलेवा हमला किया गया था। रतन लाल की हत्या मामले में दाखिल चार्जशीट में योगेंद्र यादव का भी नाम है।
दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट में स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव के अलावा छात्र नेता कंवलप्रीत कौर और वकील डीएस बिंद्रा के नाम का भी उल्लेख किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये तीनों 17 अभियुक्तों में तो शामिल नहीं हैं, लेकिन चार्जशीट में कहा गया है, “चाँद बाग में धरना प्रदर्शन के आयोजकों के संबंध डीएस बिंद्रा (AIMIM), कंवलप्रीत कौर (AISA), देवांगना कालिता (पिंजड़ा तोड़ ग्रुप), सफूरा जगरगर और योगेंद्र यादव जैसे लोगों से मिले हैं, जो कि साफ इशारा करते हैं कि हिंसा के पीछे कोई छुपा हुआ एजेंडा था।”
पुलिस के मुताबिक, चाँद बाग का प्रदर्शन मध्य-जनवरी से चल रहा था। 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में गंभीर सांप्रदायिक दंगा हुआ जिसमें, हेड कॉन्सटेबल रतन लाल समेत 53 लोगों की जान गई। इस मामले में 750 से अधिक मुकदमे दर्ज किए गए हैं। चार्जशीट के मुताबिक 17 आरोपितों की उम्र 18 से 50 के बीच है और उनमें से ज्यादातर चाँद बाग के ही रहने वाले हैं, जबकि कुछ पड़ोसी मुस्तफाबाद, जगत पुरी और प्रेम नगर में रहते हैं।
चार्जशीट में कहा गया है, “रतन लाल और एसीपी (गोकुलपुरी) और डीसीपी (शाहदरा) और कुछ अन्य पुलिसकर्मी चाँद बाग के धरना स्थल पर मौजूद थे। इसी दौरान उन पर भीड़ ने हमला कर दिया। रतन लाल वजीराबाद रोड पर स्थित डिवाइडर को कूदकर पार नहीं कर सके और गोली तथा पत्थर लगने से वहीं गिर पड़े। बताया गया कि रतन लाल को लाठी-डंडों से भी पीटा गया। उन्हें जीटीबी अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उनका पोस्टमार्टम 25 फरवरी को हुआ। रतन लाल की मौत गोली लगने से हुई। इसके अलावा उनके शरीर पर 21 जगह चोट के निशान थे।”
चार्जशीट में कहा गया है कि विरोध स्थल पर उपस्थित एक गवाह ने भी अपने बयान में योगेंद्र यादव का नाम लिया था। गवाह ने बताया कि विरोध स्थल पर बाहर से लोगों को बुलाया जाता था। यहाँ पर भानु प्रताप, डीएस बिंद्रा, योगेंद्र यादव, जेएनयू, जामिया और डीयू के कई छात्र आते थे, जो सरकार और NRC के खिलाफ बोलते थे और कहते थे कि मुसलमानों को चिंतित होना चाहिए। यह सब जनवरी से 24 फरवरी तक, यानी 50 दिनों तक जारी रहा।
वहीं योगेन्द्र यादव ने द इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में कहा, “मैंने जो कुछ भी कहा है वह पब्लिक डोमेन में है और कोई एक घटना बता दीजिए जब मैंने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से हिंसा को भड़काने की बात कही।”
उल्लेखनीय है कि चार्जशीट में स्पष्ट रूप से जिक्र किया गया, “आरोपित व्यक्तियों ने संयुक्त रूप से खुलासा किया कि चाँद बाग दंगो के पीछे की साजिश में उनके साथ डीएस बिंद्रा, डॉ. रिज़वान, अतहर, शाहदाब, उपासना, तबस्सुम, रवीश और अन्य लोग शामिल थे।”
इसके अलावा, गिरफ्तार अभियुक्त शाहनवाज़ और इब्राहिम ने यह खुलासा किया कि इस दंगे के आयोजक डीएस बिंद्रा, डॉ. रिज़वान, सुलेमान (सलमान), सलीम खान और सलीम मुन्ना थे। यह दंगा इन्हीं लोगों द्वारा अन्य लोगों के साथ मिलकर रची गई साजिश का हिस्सा था।

1 comment:

Surinder Kumar Pruth said...

Until real culprits, who are politicians are not brought to justice, no check on such incidents can be ensures in future also.....