आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
प्रधानमंत्री रहते डॉ मनमोहन सिंह जो अपने आप से कुछ करने में असमर्थ थे, आज बोलते दिखते हैं, अब ये नहीं पता कि अभी भी स्वतंत्र रूप से बोलते हैं या फिर परिवार के इशारे पर?
आज जो लोग चीन के साथ तनाव के समय देश की सुरक्षा और सेना पर सवाल खड़े कर रहे हैं, उन्हें यूपीए सरकार के दौरान तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह की उस चिट्ठी को जरूर पढ़ना चाहिए, जो उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखी थी। मोदी सरकार को कमजोर सरकार बताने वाले लोग समझ सकेंगे कि सेना को खुली छूट देने और सेना के हाथों को मजबूत करने का काम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समय में हुआ या फिर मनमोहन सिंह के समय।
कहीं भारत की आजादी खतरे में तो नहीं? भारतीय फौज क्या खोखली हो गई है? क्या सेना में इतना भी दम नहीं कि वह अपने पड़ोसी दुश्मन देशों के हमलों का मुंहतोड़ जवाब दे सके? इनमें कुछ सच्चाई दिखती है, क्योंकि किसी और ने नहीं, बल्कि सेना प्रमुख जनरल वी.के. सिंह ने देश की सुरक्षा को खतरे में बताया है। उन्होंने प्रधानमंत्री को एक गोपनीय चिट्ठी लिखी थी। चिट्ठी में कहा गया कि सेना के तोपों का गोला-बारूद खत्म हो चुका है। पैदल सेना के पास हथियारों की कमी है। वायुसेना के साजो-समान अपनी ताकत खो चुके हैं। शायद यही कारण था कि चीन भारत की धरती पर कब्ज़ा करता रहा और पाकिस्तान आतंकवादियों को भेज बेगुनाहों के खून से भारत की धरती को लाल करता रहा। आखिर मनमोहन को वो कौन-सी ताकत थी, जो सेना को मजबूत करने की बजाए खोखला करने को मजबूर कर रही थी? प्रधानमंत्री रहते उन्हें देश की बजाए परिवार की ही क्यों चिंता रहती थी?
तत्कालीन रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने स्वीकार किया है कि उन्हें जनरल की चिट्ठी की जानकारी है। राज्यसभा में इस मुद्दे पर बयान देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार देश की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठा रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि देश की सैनिक तैयारियां मजबूत हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री से बात करने के बाद इस मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी।
अंग्रेजी अखबार डीएनए के मुताबिक, जनरल सिंह ने सेना की खस्ता हालत के बारे में 12 मार्च को प्रधानमंत्री को 5 पृष्ठ की चिट्ठी लिखी थी। जनरल सिंह ने चिट्ठी में लिखा है कि हमारी तमाम कोशिशों और रक्षा मंत्रालय के निर्देशों के बावजूद तैयारियां नहीं दिख रही है। मैं यह सूचित करने को मजबूर हूं कि सेना की मौजूदा हालत संतोषजनक स्थिति से कोसों दूर है।
“सेना की स्थिति बहुत कमजोर है और गोला-बारूद लगभग न के बराबर”
साल 2012 के मार्च महीने में जनरल वीके सिंह की यह चिट्ठी मीडिया में भी आई, जो उन्होंने उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखी थी। वीके सिंह ने साफ-साफ लिखा था कि सेना की स्थिति बहुत कमजोर है और गोला-बारूद लगभग न के बराबर है। उन्होंने लिखा था कि अगर हमला हुआ तो देश को बचाने की गारंटी सेना नहीं ले सकती है, क्योंकि सेना के आधुनिकीकरण के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है।
“हवाई सुरक्षा के उपकरण अपनी ताकत खो चुके हैं”
अपने पांच पन्नों की चिट्ठी में जनरल वीके सिंह ने लिखा कि सेना के टैंक का गोला-बारूद खत्म हो चुका है। हवाई सुरक्षा के उपकरण अपनी ताकत खो चुके हैं। इतना ही नहीं पैदल सेना के पास हथियारों तक की कमी है। जनरल सिंह ने सेना की खस्ता हालत के बारे में 12 मार्च 2012 को यह चिट्ठी लिखी। उन्होंने लिखा, ‘हमारे सभी प्रयासों और रक्षा मंत्रालय के निर्देशों के बावजूद तैयारियां नहीं दिख रही हैं। मैं यह सूचित करने को विवश हूं कि सेना की मौजूदा हालत संतोषजनक से कोसों दूर है। ‘खोखलेपन’ की स्थिति से बहुत ज्यादा स्पष्ट अंतर नहीं दिख रहा।’
“सेना की खामियों को अविलंब दूर करने की आवश्यकता”
जनरल वीके सिंह ने आगे लिखा, ‘दो विरोधी पड़ोसियों से देश की सुरक्षा सेना की क्षमताओं से जुड़ी है। इस वजह से सेना की खामियों को तत्काल प्रभाव से दूर करने की जरूरत है। देश के प्रमुख हथियारों की हालत भयावह है। इनमें मैकेनाइज्ड फोर्सेस, तोपखाने, हवाई सुरक्षा, पैदल सेना और विशेष फोर्सेस के साथ ही इंजीनियर्स और सिग्नल्स शामिल हैं।’
सीमा पर चीन के द्वारा किए जा रहे कार्यों का भी जिक्र
प्रधानमंत्री रहते डॉ मनमोहन सिंह जो अपने आप से कुछ करने में असमर्थ थे, आज बोलते दिखते हैं, अब ये नहीं पता कि अभी भी स्वतंत्र रूप से बोलते हैं या फिर परिवार के इशारे पर?
आज जो लोग चीन के साथ तनाव के समय देश की सुरक्षा और सेना पर सवाल खड़े कर रहे हैं, उन्हें यूपीए सरकार के दौरान तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह की उस चिट्ठी को जरूर पढ़ना चाहिए, जो उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखी थी। मोदी सरकार को कमजोर सरकार बताने वाले लोग समझ सकेंगे कि सेना को खुली छूट देने और सेना के हाथों को मजबूत करने का काम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समय में हुआ या फिर मनमोहन सिंह के समय।

तत्कालीन रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने स्वीकार किया है कि उन्हें जनरल की चिट्ठी की जानकारी है। राज्यसभा में इस मुद्दे पर बयान देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार देश की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठा रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि देश की सैनिक तैयारियां मजबूत हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री से बात करने के बाद इस मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी।
अंग्रेजी अखबार डीएनए के मुताबिक, जनरल सिंह ने सेना की खस्ता हालत के बारे में 12 मार्च को प्रधानमंत्री को 5 पृष्ठ की चिट्ठी लिखी थी। जनरल सिंह ने चिट्ठी में लिखा है कि हमारी तमाम कोशिशों और रक्षा मंत्रालय के निर्देशों के बावजूद तैयारियां नहीं दिख रही है। मैं यह सूचित करने को मजबूर हूं कि सेना की मौजूदा हालत संतोषजनक स्थिति से कोसों दूर है।

साल 2012 के मार्च महीने में जनरल वीके सिंह की यह चिट्ठी मीडिया में भी आई, जो उन्होंने उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखी थी। वीके सिंह ने साफ-साफ लिखा था कि सेना की स्थिति बहुत कमजोर है और गोला-बारूद लगभग न के बराबर है। उन्होंने लिखा था कि अगर हमला हुआ तो देश को बचाने की गारंटी सेना नहीं ले सकती है, क्योंकि सेना के आधुनिकीकरण के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है।
“हवाई सुरक्षा के उपकरण अपनी ताकत खो चुके हैं”
अपने पांच पन्नों की चिट्ठी में जनरल वीके सिंह ने लिखा कि सेना के टैंक का गोला-बारूद खत्म हो चुका है। हवाई सुरक्षा के उपकरण अपनी ताकत खो चुके हैं। इतना ही नहीं पैदल सेना के पास हथियारों तक की कमी है। जनरल सिंह ने सेना की खस्ता हालत के बारे में 12 मार्च 2012 को यह चिट्ठी लिखी। उन्होंने लिखा, ‘हमारे सभी प्रयासों और रक्षा मंत्रालय के निर्देशों के बावजूद तैयारियां नहीं दिख रही हैं। मैं यह सूचित करने को विवश हूं कि सेना की मौजूदा हालत संतोषजनक से कोसों दूर है। ‘खोखलेपन’ की स्थिति से बहुत ज्यादा स्पष्ट अंतर नहीं दिख रहा।’
“सेना की खामियों को अविलंब दूर करने की आवश्यकता”
जनरल वीके सिंह ने आगे लिखा, ‘दो विरोधी पड़ोसियों से देश की सुरक्षा सेना की क्षमताओं से जुड़ी है। इस वजह से सेना की खामियों को तत्काल प्रभाव से दूर करने की जरूरत है। देश के प्रमुख हथियारों की हालत भयावह है। इनमें मैकेनाइज्ड फोर्सेस, तोपखाने, हवाई सुरक्षा, पैदल सेना और विशेष फोर्सेस के साथ ही इंजीनियर्स और सिग्नल्स शामिल हैं।’
सीमा पर चीन के द्वारा किए जा रहे कार्यों का भी जिक्र
चिट्ठी में और भी कई मुद्दों को उठाया गया। आईटीबीपी के संचालन का अधिकार सेना को दिए जाने की मांग की गई। इसके साथ ही, सेना में हवाई बेड़े की जरूरतों को पूरा किए जाने को कहा गया। उत्तरी सीमा पर चीन के द्वारा तेजी से किए जा रहे विकास कार्यों का भी जिक्र किया गया। ऐसे में राज्यों से सिंगल विंडो क्लीयरेंस के तहत बुनियादी विकास की अनुमति दिलवाने की मांग भी की गई।
अवलोकन करें:-
जनरल सिंह की चिट्ठी में किन महत्वपूर्ण तथ्यों की ओर ध्यान दिलाया गया और सेना के सामने मौजूद चुनौतियां क्या थीं…
- टैंक के बेड़े के पास गोला-बारूद लगभग खत्म
- तोपखाने में फ्यूज नहीं, अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर में खरीदी और कानूनी प्रक्रिया का अडंग़ा
- हवाई सुरक्षा के 97 फीसदी उपकरण बेकार, हवाई हमले से बचाने का भरोसा नहीं
- पैदल सेना के पास पर्याप्त हथियारों का अभाव, रात में लडऩे की क्षमता भी नहीं रही
- विशेष फोर्सेस के पास जरूरी हथियार नहीं, युद्ध में काम आने वाले पैराशूट्स भी खत्म हुए
- सेना की निगरानी में बड़े स्तर पर खामियां, यूएवी और निगरानी के लिए जरूरी रडार नहीं
- एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल्स की मौजूदा उत्पादन क्षमता और उपलब्धता बेहद कम
- लंबी दूरी तक मार करने वाले तोपखाने में वेक्टर्स (पिनाका व स्मर्च रॉकेट सिस्टम) का अभाव
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