
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए ‘वोकल फॉर लोकल’ पर जोर दिया था। उन्होंने अपने संबोधन में देशवासियों से अपील की थी कि वे लोकल चीजों का ज्यादा प्रयोग करें। कुल मिलाकर देशवासियों को उनका एक ही संदेश था कि अब से नागरिकों को ना सिर्फ देश में बने सामानों का उपयोग करना है, बल्कि उसे प्रोमोट भी करना है। इसी बीच लद्दाख में सीमा पर भारत और चीन के बीच टकराव ने इस पहल को और गति दी है। कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने खुलकर चीनी सामानों के बहिष्कार और 10 जून से एक बड़ा अभियान शुरू करने का फैसला लिया है।
दरअसल, चीन की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में व्यापारी वर्ग ही जिम्मेदार है। व्यापारी को चाहिए ज्यादा लाभ, इसी कारण अपने उत्पाद को नज़रअंदाज कर सस्ते चीनी उत्पाद को बढ़ावा देकर केवल अपनी तिजोरी पर निगाह रख, बेरोजगारी को बढ़ावा दिया। व्यापारी वर्ग के एक वर्ग कहना था कि विदेशी सामान के बहिष्कार के नाम पर ख़राब चीनी उत्पाद को जलाकर सरकार और जनता को पागल बनाया गया। इस बात में वजन भी लगता है, आप स्वयं ही देख लो, क्या विदेशी माल के नाम पर जलाये गए चीनी उत्पादनों के बाद बाजार में चीनी माल आना बंद हो गया? आज कौन-सा ऐसा क्षेत्र बचा है, जहाँ चीनी उत्पाद का अधिकार न हो। क्या भारत इतना निष्क्रिय हो चुका है कि कुछ बनाने योग्य ही न रहे, क्यों? विश्व में भारतीय कुटीर उद्योग चर्चित थे, लेकिन इन अधिक लाभ के लालची व्यापारियों ने चीन को सिर पर बैठा उसकी अर्थव्यवस्था को मजबूत कर भारत को उतना ही कमजोर कर दिया और आज कोरोना के चक्कर में चीनी उत्पादनों के बहिष्कार करने में कितना दम है, आने वाला समय ही बताएगा।
2021 तक 1.5 लाख करोड़ रुपये का आयात कम करने का लक्ष्य
चीनी सामानों के बहिष्कार को लेकर कैट का शुरू होने वाला अभियान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ को प्रोत्साहन देने में मददगार होगा। कैट की ओर से कहा गया है कि हमारा लक्ष्य है कि दिसंबर 2021 तक चीनी सामानों के भारत द्वारा आयात में लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपए कम कर दिए जाएं।
कैट ने 3 हजार उत्पादों की बनायी सूची
कैट ने चीन से आयात होने वाले लगभग 3 हजार उत्पादों की ऐसी सूची बनाई है, जिन वस्तुओं के आयात न होने से भारत को कोई अंतर नहीं पड़ेगा और वह सारी वस्तुएं भारत में पहले से ही बन रही है।
‘वोकल फॉर लोकल’ को प्रोत्साहन
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा की इस अभियान के अंतर्गत जहां कैट व्यापारियों को चीनी वस्तुएं न बेचे जाने के लिए आग्रह करेगा, वहीं देश के लोगों से चीनी वस्तुओं के स्थान पर स्वदेशी उत्पादों को इस्तेमाल में लाने का आग्रह करेगा। कैट के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र गोयल ने बताया कि पीएम मोदी के आह्वान ‘लोकल पर वोकल’ को सफल बनाने में कैट एक अहम भूमिका निभाएगा।
व्यापारियों और नागरिकों ने लिया संकल्प
कैट का कहना है चीनी वस्तुओं के बहिष्कार को लेकर भारत के व्यापारी और नागरिक संकल्प ले चुके हैं। यह काम एक रात में नहीं होगा लेकिन हम इसकी शुरुआत करेंगे और अपने लक्ष्य को हासिल करेंगे।
चीन से 6 अरब डॉलर का आयात घटा
इन पहलों के परिणामस्वरूप, 2017-18 में चीन से आयात 76 अरब डॉलर से घटकर वर्तमान में 70 अरब डॉलर हो गया है। खंडेलवाल ने कहा कि यह 6 अरब डॉलर का आयात गिरावट स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग और उपभोक्ता भावनाओं को बदलने की कहानी बताता है।
सोनम वांगचुक ने की थी चीन सामान के बहिष्कार की पहल
HELP ME CHANGE CHINA!— Sonam Wangchuk (@Wangchuk66) June 7, 2020
Appealing global community to...#BoycottMadeInChina#BoycottChineseProducts
My new video in English:https://t.co/PLCc2zCTBH
Do please share widely with your friends around the world! pic.twitter.com/mbpJNFvSbD
कुछ दिन पहले सोनम वांगचुक ने यूट्यूब पर एक वीडियो पोस्ट किया था। इसमें उन्होंने बताया कि चीन को आईना दिखाने के लिए क्या किया जा सकता है। उनके हिसाब से इसके दो तरीके हैं- एक तो सेना की तैनाती और दूसरा भारतीयों की ओर से चीनी सामान का बहिष्कार। सोनम वांगचुक के इस वीडियो को लोगों ने समर्थन देते हुए सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया था।
मार्केटिंग कैंपेन में ‘वोकल फॉर लोकल’ पर बढ़ा जोर
इससे पहले देश की बड़ी कन्ज्यूमर कंपनियां अपने संकेत दिया कि वे सभी ऐडवर्टाइजिंग और मार्केटिंग कैंपेन में ‘वोकल फॉर लोकल’ पर जोर बढ़ा रही हैं। ITC, पारले प्रॉडक्ट्स, अमूल, डाबर, बिसलरी, गोदरेज, मैरिको और वोल्टास जैसी कंपनियों ने इस दिशा में कदम उठाया है। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल में 12 मई को राष्ट्र को संबोधित किया था।
चीनी कंपनी के सस्ते टीवी की सेल पर टूट पड़ी जनता, स्वदेशी अपनाओ कैंपेन की उड़ी धज्जियां
मोदी के स्वदेशी अपनाओ की अपील के बाद सोशल मीडिया पर स्वदेशी अपनाओ कैंपेन चला। चीनी सामान का बहिष्कार करो जैसे पोस्टर छपने लगे। व्हाट्सएप से लेकर फेसबुक तक सब स्वदेशी-स्वदेशी की रट लगाने लगे लेकिन भारत में कथनी और करनी का कितना फर्क है इसे ऐसे समझिए कि चीनी कंपनी रियलमी ने आज फ्लिपकार्ट पर 32 और 43 इंच के स्मार्ट टीवी की ऑनलाइन सेल की। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सिर्फ दस मिनट में कंपनी ने 15 हजार टीवी बेच लिए जो टीवी की कैटेगिरी में सेल का अबतक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है। 32 इंच टीवी की कीमत थी 12,999 और 43 इंच टीवी की कीमत थी 21,999 रूपये।
उम्मीद से कहीं ज्यादा बेहतर रिस्पॉस से चीनी कंपनी रियलमी के मालिक काफी उत्साहित हैं और अब उन्होंने एलान किया है कि वो जल्द ही भारतीय बाजारों में 55 इंच का स्मार्ट टीवी बेचेंगे। कंपनी को उम्मीद है कि जितना बेहतरीन रिस्पॉस कंपनी को अब मिला है उतना ही बेहतर रिस्पॉस आगे भी मिलेगा। जिस तरह रियलमी के टीवी बिके हैं उसे देखते हुए स्वदेशी अपनाओ जैसे नारे हवा हवाई ही नजर आते हैं।रियलमी की सेल सिर्फ इस बात का उदाहरण है कि कैसे भारतीय चीनी कंपनी के उत्पादनों पर टूट पड़ते हैं।
ये तो वही बात हो गई कि चीनी सामान के बहिष्कार वाली टीशर्ट भी चीनी कंपनियां बना रही हैं और लोग उसे पहनकर आत्मसंतुष्टि पा रहे हैं कि हां हमने आज जो स्वदेशी वाली टीशर्ट पहनी उससे कई लोगों को स्वदेशी अपनाने का संदेश गया। यही है स्वदेशी अपनाओ की हकीकत, सब एक दूसरे को स्वदेशी अपनाने का ज्ञान दे रहे हैं और खुद चीनी सामान धडल्ले से खरीद रहे हैं।
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