
शुरुआत में उसने अपने ही मकान में फर्नीचर कि फैक्ट्री खोली थी, जिसके माध्यम से वो विभिन्न कंपनियों के शोरूम तैयार करता था। बिजनेस बढ़ने के साथ उसने ग्रेटर नोएडा, बेंगलुरू और कोलकाता में भी अपनी फैक्ट्री के ब्रांच खोले। साथ ही उसने 2012-13 में दिल्ली के खजूरी खास में अपने लिए मकान खरीदा और वहाँ फैक्ट्री भी स्थापित की। उसी इमारत मे वो रहता भी था और साथ ही उसका दफ्तर भी उसी में था।
अपने बयान में ताहिर हुसैन ने बताया है कि वो आम आदमी पार्टी से निगम पार्षद चुना गया लेकिन पार्टी ने अभी उसे निलंबित कर रखा है। उसने बड़ा खुलासा किया है कि वो CAA के समर्थकों को सबक सिखाना चाहता था। उसके कबूलनामे के अनुसार, उसने कहा कि जिस तरह से CAA के विरोध मे दंगे हो रहे थे। इसके समर्थन मे भी धरनों कि तैयारी थी। दंगों कि साजिश ने बारे में उसने बताया है:
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चार्जशीट का एक भाग |
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ताहिर का कबूलनामा |
यानी उसने ‘काफिरों को मारने’ और ‘हिन्दुओं को सबक सिखाने’ के लिए ये सब किया। आपको पता है कि अपने बयान के अंत में ताहिर हुसैन ने क्या कहा- ‘मुझसे गलती हो गई। मुझे माफ़ कर दीजिए।‘ ऑपइंडिया ने आईबी में कार्यरत रहे अंकित तिवारी हत्याकांड में भी ताहिर हुसैन की संलिप्तता को लेकर कई लेख और ख़बरें प्रकाशित की थी। अब चार्जशीट के बाद इसकी एक के बाद एक परत खुल रही है।
ताहिर हुसैन ने जानकारी दी कि उसने मुस्लिम भीड़ को अपनी छत पर खड़े होकर गोलीबारी और पत्थरबाजी करने को कहा क्योंकि उसे लगता था कि उसका घर ऊँचा है तो वो हिंदुओं को आसानी से निशाना बना सकता है। उसने कबूल किया है कि भीड़ पेट्रोल बम लेकर आई थी। उसने बताया कि उसके भाई शाह आलम ने समर्थकों संग मिल कर महक सिंह की पार्किंग में आग लगाई थी।
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‘द वायर’ ने की थी ताहिर हुसैन को बचाने की कोशिश |
उसने बताया कि शाम को जब पुलिस आई थी तो हिन्दू समुदाय के लोग ‘दिल्ली पुलिस ज़िन्दाबाद’ के नारे लगा रही थी और मुस्लिम लोग ‘अल्लाहु अकबर’ बोल रहे थे। इस दौरान ताहिर हुसैन जाकिर नगर मे अपने परिचित तारिक मोइन रिजवी के घर मे छिपा हुआ था। फिर वो मूँगा नगर में इलियास के घर में छिपा। वो इस दौरान भीड़ को फिर से भड़काने की साजिश रचता रहा। अगले दिन भी वो अपने घर गया लेकिन अर्धसैनिक बलों के जवानों को देख वापस लौट गया।
ताहिर हुसैन ने स्वीकार किया है कि चाँदबाग पुलिस के पास फरवरी 25, 2020 को उसके इशारे पर ही हजारों मुसलमानों की भीड़ जमा हुई थी। इसके बाद हिंदुओं की दुकानों को आग के हवाले किया जाने लगा, लूटा जाने लगा और पत्थरबाजी चालू हो गई। ताहिर ने कहा कि इस दौरान वो बार-बार पुलिस को फोन कर के अपने बचने की भूमिका भी तैयार कर रहा था। पूरे कांड को अंजाम देने के बाद वो छिपता फिरता रहा।
अवलोकन करें:-
चार्जशीट में पुलिस ने ताहिर के यहाँ काम करने वाले दो कर्मचारियों को मुख्य गवाह बनाया है। इन दोनों की पहचान गिरिष पाल और राहुल कसाना के रूप में हुई है। दोनों ने पुलिस को बताया है कि वे 24 फरवरी को खजूरी खास इलाके में हुसैन के कार्यालय में ही मौजूद थे। इन्होंने पुलिस को दिए बयान में बताया कि आखिर दंगों के दिन ताहिर हुसैन क्या कर रहा था और उस दिन उन लोगों ने क्या-क्या देखा।
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