कांग्रेस नेताओं और भाजपा विरोधियों ने फर्जी खबरें फैलाईं : मोदी की लेह सैन्य अस्पताल विजिट को कहा दिखावा

घायल सैनिकों के साथ पीएम मोदी
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के पीएम मोदी को झूठा बताने की कोशिश के बाद अब कांग्रेस नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लेह-लद्दाख यात्रा को लेकर झूठ फैलाने की कोशिश की गई है। इस झूठ का हर बार की तरह ही कुछ भाजपा विरोधी लोगों ने बड़े पैमाने पर प्रचार करना शुरू कर दिया है।
दरअसल विरोधियों द्वारा फैलाए जा रहे प्रोपेगेंडा में दावा किया गया कि लेह के सैन्य अस्पताल में घायल सैनिकों के साथ पीएम की बैठक का मंचन किया गया था।
वास्तव में कांग्रेस और मोदी विरोधियों द्वारा मोदी की लेह यात्रा की आलोचना करने का कारण है, एक, जवाहर लाल नेहरू से लेकर आज तक कांग्रेस और इसके समर्थक चीन के प्रति नरम रुख अख्तियार किए हुए थे, जिस कारण वह भारत की धरती पर अपने पैर जमाता रहा, परन्तु मोदी के सख्त रुख ने चीन को दुनियां में बेनकाब कर दिया, यही कारण है कि युद्ध की स्थिति में अधिकांश देश भारत को हर संभव सहायता देने को तैयार हैं। दूसरे युद्ध से चीन इसलिए भी पीछे भाग रहा है कि 'यदि युद्ध के दौरान भारतीय फौजें अगर चीन के अंदर घुस गयीं, और किसी कारण युद्ध विराम होने पर मोदी नयी सीमा वहीँ से मानेगा जहाँ तक भारतीय सैनिक चीन के अंदर पहुँच चुके होंगे। फिर 1962 के अतिरिक्त चीन अभी कोई युद्ध नहीं जीता है।
इतना ही नहीं, मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पूर्व तक आतंकवाद को लेकर पिछली सरकारों ने भारतीय जनमानस में पाकिस्तान का हौआ बनाया हुआ था, उसे प्रधानमंत्री मोदी ने निरस्त ही नहीं किया, बल्कि पाकिस्तान को समस्त विश्व में बेनकाब कर अलग-थलग कर दिया। कांग्रेस और मोदी विरोधियों की असली परेशानी यही है कि जिस डर को दिखाकर हम वोट मांगकर राज करते थे, वह अधिकार शून्य हो रहा है।  
कांग्रेस और इसके समर्थकों को सबसे बड़ी परेशानी यह भी है कि मोदी ने पहले चीन के उत्पादनों पर पाबन्दी लगाकर आर्थिक चोट मारी, फिर लेह पहुँच चीन को जवाब भी दे दिया। यदि मोदी सरकार का यही रवैया रहा और चीन आर्थिक रूप से कमजोर हो गया, फिर हमारी आर्थिक सहायता कौन करेगा?
मोदी की यात्रा के दौरान की तस्वीरों को पोस्ट करते हुए कांग्रेस नेता अभिषेक दत्त ने शुक्रवार (03 जुलाई, 2020) को दावा किया कि यह एक अस्पताल की तरह नहीं दिखता है, क्योंकि अस्पताल में ना तो कोई ड्रिप है, बेड के पास कोई दवा नहीं है, और डॉक्टरों के बजाय वहाँ फोटोग्राफर हैं।
इस ट्वीट के सामने आते ही सैकड़ों कांग्रेस समर्थकों और सोशल मीडिया यूजर्स ने दावा किया कि पीएम द्वारा अस्पताल का वास्तव में मंचन किया गया था, कुछ ने यह भी दावा किया कि तस्वीरों में दिखाई देने वाले मरीज सैनिक नहीं, बल्कि एक्टर हैं।
दूसरों ने दावा किया कि मोदी की तस्वीरें लेने के लिए एक कॉन्फ्रेंस हॉल को अस्पताल में तब्दील कर दिया गया था। इसमें बीजेपी विरोधी जाने माने ट्विटर हैंडल @RealHistoryPic और तथाकथित स्वास्थ्य पत्रकार विद्या कृष्णन जैसे लोग शामिल हैं, जो देश में कोरोना वायरस महामारी के दौरान फर्जी खबरें फैलाने में सबसे आगे रहे हैं।

कई लोगों ने क्रिकेटर लेफ्टिनेंट कर्नल एमएस धोनी की एक पुरानी तस्वीर भी पोस्ट की, जिसमें वो एक हॉल में कार्यक्रम में शिरकत कर रहे थे। धोनी के कार्यक्रम का हॉल और पीएम मोदी ने जिस अस्पताल का दौरा किया था, उसका अंदरूनी हिस्सा लगभग समान है। लोगों ने इस फोटो को शेयर करते हुए दावा किया कि हॉल को फोटो-ऑप के लिए जल्दबाजी में अस्पताल में बदल दिया गया। ट्विटर यूजर ने यह भी दावा किया कि रूम में सीलिंग माउंटेड प्रोजेक्टर और व्हाइट स्क्रीन है, यानी कि यह एक कॉन्फ्रेंस रूम है, जिसे फर्जी अस्पताल बनाया गया है।
क्या है सच, ये है सच 
जुलाई 4 को पहला मौका नहीं था कि जब लेह मिलिट्री हॉस्पिटल में सैनिकों के ठीक होने की तस्वीरें सार्वजनिक की गई हों। 23 जून को पीएम मोदी की यात्रा से 10 दिन पहले भी सेना के प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने सैनिकों से मिलने के लिए अस्पताल का दौरा किया था। इस दौरान उनकी तस्वीरें सेना के सोशल मीडिया द्वारा शेयर की गई थीं। यात्रा की तस्वीरें और वीडियो भी मीडिया द्वारा प्रकाशित किए गए थे।
तस्वीरों में देखा जा सकता है कि यह पीएम मोदी द्वारा दौरा किया गया वही कमरा है। इसलिए इससे यह साफ होता है कि पीएम मोदी के अस्पताल दौरा का मंचन नहीं किया गया था बल्कि गलवान घाटी में हुए संघर्ष में घायल हुए सैनिकों का वास्तव में वहाँ इलाज किया जा रहा है।
अब अगर इस दावे की बात करें कि पीएम मोदी ने जिस अस्पताल का दौरा किया वह अस्पताल जैसा दिखाई नहीं दे रहा है तो ऐसा इसलिए है कि यह वास्तव में एक कॉन्फ्रेंस हॉल है, जिसे अस्पताल के वार्ड में बदल दिया गया है। इस बीच हमें यह भी याद रखना चाहिए कि कोरोना वायरस महामारी के बीच में पूरी दुनिया और सभी प्रकार की सार्वजनिक सुविधाओं को कोरोना मरीजों के इलाज के लिए अस्थायी अस्पतालों में बदला जा रहा है।
यहाँ तक कि बड़े-बड़े होटल, हॉस्टल, आश्रम, स्कूल और रेलवे के कोचों को भी कोरोना मरीजों के इलाज के लिए सुविधाओं में बदल दिया गया है। इसलिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि एक कॉन्फ्रेंस हॉल का उपयोग घायल सैनिकों के इलाज के लिए किया जा रहा है, लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि यह कोई मंचन और फर्जी है।

इसके अलावा लेह सैन्य अस्पताल का दौरा करने वाले लोगों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि कॉन्फ्रेंस हॉल वास्तव में फिलहाल एक अस्पताल है, जिसे पिछले महीने चीनी घुसपैठियों के साथ बहादुरी से लड़ने के दौरान घायल हुए सैनिकों के इलाज के लिए एक भर्ती वार्ड में बदल दिया गया था।
वार्ड में ड्रिप जैसे चिकित्सा उपकरणों के अभाव की बात करें तो अस्पताल में भर्ती सभी लोगों को इन सभी सुविधाओं की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा दो सप्ताह से सैनिकों का इलाज किया जा रहा है, इसलिए यह संभव है कि उनकी चोटें ज्यादातर ठीक हो गई हैं और इसीलिए उनके पास बैंडेज आदि नहीं हैं। पूर्व सैन्य आरक्षक नवदीप सिंह भी बताते हैं कि वार्ड में दिख रहा है कि चिकित्सा सुविधाओं की कमी है।
उनका कहना है कि शायद वार्ड में सैनिकों की चोटें मामूली थीं, इसलिए ऐसा है, लेकिन उन्हें उस रात के कष्टदायक अनुभव से बचने के लिए आराम और शांतिपूर्ण वातावरण में रखा गया है।

दरअसल युद्ध के दौरान ड्यूटी पर तैनात सैनिकों के लिए शारीरिक चोट एकमात्र चिंता का विषय नहीं होता, उनका मानसिक रूप से स्वस्थ्य होना भी उतना ही जरूरी होता है, जितना कि शारीरिक रूप से स्वस्थ होना। युद्ध की स्थितियों में शामिल होने के बाद सैनिक अक्सर पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) से गुजरते हैं, और उन्हें उसी के मनोवैज्ञानिक प्रभाव से उबरने की आवश्यकता होती है।
तस्वीरों में दिखाई दे रहे सैनिक शायद उसी दौर से गुज़र रहे होंगे, और जब वे अपने कर्तव्यों में शामिल होने से पहले वे डीब्रीफिंग प्रक्रिया से गुजरेंगे तो उन्हें थोड़ा आराम मिल सकता है।

इन सभी के बावजूद भी कांग्रेस नेता और भाजपा विरोधी यूजर्स दावा कर रहे हैं कि यह एक फर्जी अस्पताल है। हालाँकि, काफी लोग इसका विरोध कर रहे हैं, इसमें कुछ कांग्रेस विचारधारा के लोग भी शामिल हैं। ऐसे ही एक चर्चित भाजपा विरोधी ट्विटर यूजर के मित्र ने अपने दोस्तों से कहा कि वे इसका फर्जी दावा करना बंद कर दें, क्योंकि पीएम मोदी द्वारा इसका मंचन नहीं किया गया था, क्योंकि सीओएएस ने भी 10 दिन पहले उसी जगह का दौरा किया था।
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आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज लेह पहुंचकर चीन को तगड़ा संदेश दिया। शुक्रवार, 3 जुल....
इसलिए यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि पीएम मोदी के साथ फोटो-ऑप के लिए नकली सैनिकों वाला एक फर्जी अस्पताल का दावा पूरी तरह से निराधार है। वे लेह आर्मी अस्पताल के कॉन्फ्रेंस हॉल में इलाज कराने वाले असली भारतीय सेना के जवान थे, जिसका 10 दिन पहले सीओएएस ने भी दौरा किया था।
अस्पताल के कॉन्फ्रेंस हॉल को मामूली चोटों वाले सैनिकों के लिए अस्पताल में बदल दिया गया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इसका मंचन करने के लिए यह सब किया गया था।

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