तेलंगाना की राज्य सरकार सचिवालय की नई इमारत बनवा रही है। इसके लिए कुछ पुरानी इमारतें और अतिक्रमण हटाने पड़े हैं। इस कोशिश में फिलहाल एक नया विवाद खड़ा हो गया है, क्योंकि पुराने निर्माण हटाने की चपेट में एक मंदिर और मस्जिद भी आ गई। सरकार की इस कार्रवाई के बाद काफी राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं।
समय की नजाकत को देख, मुख्यमंत्री ने सरकारी खर्चे पर सचिवालय परिसर में मंदिर और मस्जिद बनाने का निर्णय लेकर, हालत को बिगड़ने से बचा लिया। माहौल गर्म होने के डर से मुख्यमंत्री को परिसर में ही मंदिर-मस्जिद बनाने का निर्णय लेना पड़ा। ऐसा अब चर्चा यह हो रही है कि जब परिसर में ही मंदिर-मस्जिद बनाने थे, फिर तोड़े क्यों?
तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने प्रेस वार्ता के दौरान इस मामले से जुड़ी जानकारी साझा की। केसीआर ने कहा सरकार ने एक नए सचिवालय भवन का निर्माण शुरू किया है इसके लिए पुरानी इमारतों को तोड़ना पड़ रहा है। मुझे इस बात की जानकारी मिली है कि इसी दौरान नज़दीक का एक मंदिर और मस्जिद प्रभावित हुए हैं। उनके कुछ हिस्से शायद टूट गए हैं। हम इसके लिए खेद जताते हैं, ऐसा नहीं होना चाहिए था।
We'll construct a temple and mosque in Secretariat premises in a more spacious way even it means spending of crores of rupees. We will construct these at the government cost and hand them over the people concerned. This is my promise: Telangana CMO quotes CM KC Rao https://t.co/9jgLNPTHFr— ANI (@ANI) July 10, 2020
केसीआर ने कहा कि सचिवालय भवन के भीतर ही सरकार एक मंदिर और मस्जिद बनवाएगी। पूरा निर्माण सरकारी ख़र्च पर होगा। निर्माण पूरा होने के बाद सरकार मंदिर और मस्जिद संबंधित लोगों को सौंप देगी।
दरअसल सचिवालय भवन के निर्माण के दौरान ऐसे कुल 3 स्थल थे जिनकी वजह से निर्माण कार्य में परेशानी आ रही थी। लेकिन राजनीतिक ज़मीन पर होने वाली हर छोटी बड़ी घटना अपने हिस्से का घर्षण लेकर ज़रूर आती है।
नतीजतन एआईएमआईएम नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी समेत कुछ नेताओं ने यूनाइटेड मुस्लिम फोरम के तहत इस घटना को असंवैधानिक और दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। इसके अलावा उनका कहना है कि जिस तरह सरकार द्वारा मस्जिदों को नुक्सान पहुँचाया गया है उसके बाद मुस्लिम समुदाय गुस्से में है।
ओवैसी ने इस घटना पर विरोध जताते हुए कहा की एआईएमआईएम और तेलंगाना राष्ट्र समिति के बीच संबंध अच्छे हैं। लेकिन सरकार नई मस्जिद बनाने में असफल होती है तो उसका दोनों दलों के संबंधों पर असर पड़ेगा। साथ ही मुस्लिम समुदाय इस कदम का विरोध करने के लिए सड़कों पर भी उतरेगा।
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