दिल्ली की एक अदालत ने जुलाई 29, 2020 को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र शरजील इमाम को गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (UAPA) के तहत अपराधों का संज्ञान लेते हुए, इस साल जनवरी माह में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में एक भड़काऊ भाषण देने के आरोप में दोषी करार दिया है।
दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया कि उसने शरजील इमाम के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा चलाने के लिए दिल्ली सरकार से मंजूरी माँगी है लेकिन, अभी तक दिल्ली सरकार ने इसकी मंजूरी नहीं दी है।
जाँच एजेंसी ने अदालत को बताया कि शरजील इमाम के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी का अभी तक इंतजार है। इसके बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने अन्य सेक्शन का संज्ञान नहीं लिया, जिनमें राजद्रोह (124A) और 153 A (धर्म के खिलाफ की गई सजा या हमले के लिए सजा आदि) शामिल हैं।
"क्या दिल्ली सरकार दंगाइयों के समर्थकों द्वारा चलायी जा रही है?"
अब तो मुफ्त की रेवड़ियों के लालच में आकर आम पार्टी को वोट देने वाले भी प्रश्न करने लगे हैं कि "क्यों फ्री के चक्कर में आकर केजरीवाल को फिर से सत्ता थमा दी?" दंगाइयों पर कार्यवाही करने में रुकावटें डाले जाने से लोग इस शंका में हैं कि "क्या दिल्ली सरकार दंगाइयों के समर्थकों द्वारा चलायी जा रही है?" केजरीवाल को डर है कि यदि दिल्ली सरकार दंगाइयों के विरुद्ध कार्यवाही की इजाजत दे देगी तो चुनावों में पार्टी को कौन वोट देगा?
दरअसल, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (कोड ऑफ़ क्रिमिनल प्रोसीजर इन्वेस्टिगेटिंग) के तहत, जाँच एजेंसियों को राजद्रोह के मामलों में आरोप पत्र दाखिल करते समय राज्य सरकार की मंजूरी लेनी होती है।
जुलाई 29, 2020 को, अतिरिक्त सरकारी वकील इरफान अहमद ने अदालत को बताया कि यूएपीए के तहत अभियोजन की मंजूरी दी गई थी, जबकि राजद्रोह के मामले में मंजूरी के लिए सक्षम प्राधिकारी से अनुरोध किया गया है।
दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में कहा था कि शरजील इमाम जामिया यूनिवर्सिटी कैंपस के बाहर देश विरोधी बयानबाजी कर रहा था। शरजील इमाम ने युवाओं को भड़काने का प्रयास किया था, जिसके बाद ही जामिया में हिंसा हुई थी।
दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया था कि शरजील इमाम अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के बाहर भी देश के टुकड़े करने की बात कर रहा था। शरजील इमाम के ऐसे कई वीडियो क्राइम ब्रांच को मिले थे। इन वीडियो की वॉयस और शरजील की वॉयस के सैंपल लिए गए थे, जो फॉरेंसिक जांच में मैच कर गए हैं। शरजील इमाम के खिलाफ दिल्ली समेत कई राज्यों में राजद्रोह के मुकदमे दर्ज हैं।
अवलोकन करें:-
शरजील इमाम को दिल्ली पुलिस ने बिहार के जहानाबाद से 28 जनवरी को गिरफ्तार किया था। 18 अप्रैल को जामिया मिलिया इस्लामिया के बाहर हुए दंगों के सिलसिले में पुलिस ने इमाम के खिलाफ पहली चार्जशीट दायर की थी, इस दौरान प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए थे।
दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया कि उसने शरजील इमाम के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा चलाने के लिए दिल्ली सरकार से मंजूरी माँगी है लेकिन, अभी तक दिल्ली सरकार ने इसकी मंजूरी नहीं दी है।
जाँच एजेंसी ने अदालत को बताया कि शरजील इमाम के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी का अभी तक इंतजार है। इसके बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने अन्य सेक्शन का संज्ञान नहीं लिया, जिनमें राजद्रोह (124A) और 153 A (धर्म के खिलाफ की गई सजा या हमले के लिए सजा आदि) शामिल हैं।
"क्या दिल्ली सरकार दंगाइयों के समर्थकों द्वारा चलायी जा रही है?"
अब तो मुफ्त की रेवड़ियों के लालच में आकर आम पार्टी को वोट देने वाले भी प्रश्न करने लगे हैं कि "क्यों फ्री के चक्कर में आकर केजरीवाल को फिर से सत्ता थमा दी?" दंगाइयों पर कार्यवाही करने में रुकावटें डाले जाने से लोग इस शंका में हैं कि "क्या दिल्ली सरकार दंगाइयों के समर्थकों द्वारा चलायी जा रही है?" केजरीवाल को डर है कि यदि दिल्ली सरकार दंगाइयों के विरुद्ध कार्यवाही की इजाजत दे देगी तो चुनावों में पार्टी को कौन वोट देगा?
Delhi government has not yet given the prosecution sanction to prosecute Sharjeel Imam under sedition. Court takes cognizance of chargesheet under UAPA. pic.twitter.com/6DkhaiWi8W— Raj Shekhar Jha (@rajshekharTOI) July 30, 2020
Arvind Kejriwal Ka haath jihadio ke saath— Maverick 🇮🇳 (@DiAltoK10) July 30, 2020
Those who've voted Aap should be ashamed of this kind of politics !They cannot even manage covid-19 on their own! but free bijli/pani milagi!? 😕— Lopa shah (@saha_lopa) July 30, 2020
Delhi Govt. is now run by the likes of Amanatullah khan, hence Kejriwal's hands shake while permitting any action against Izlamists.— Tarun ཊརུན (@YearOfMonk) July 30, 2020
Jihadi to @ArvindKejriwal ke laadle hai, kaise de sakta hai permission.— K Singh (@Dhani_Marwar) July 30, 2020
दरअसल, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (कोड ऑफ़ क्रिमिनल प्रोसीजर इन्वेस्टिगेटिंग) के तहत, जाँच एजेंसियों को राजद्रोह के मामलों में आरोप पत्र दाखिल करते समय राज्य सरकार की मंजूरी लेनी होती है।
जुलाई 29, 2020 को, अतिरिक्त सरकारी वकील इरफान अहमद ने अदालत को बताया कि यूएपीए के तहत अभियोजन की मंजूरी दी गई थी, जबकि राजद्रोह के मामले में मंजूरी के लिए सक्षम प्राधिकारी से अनुरोध किया गया है।
दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में कहा था कि शरजील इमाम जामिया यूनिवर्सिटी कैंपस के बाहर देश विरोधी बयानबाजी कर रहा था। शरजील इमाम ने युवाओं को भड़काने का प्रयास किया था, जिसके बाद ही जामिया में हिंसा हुई थी।
दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया था कि शरजील इमाम अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के बाहर भी देश के टुकड़े करने की बात कर रहा था। शरजील इमाम के ऐसे कई वीडियो क्राइम ब्रांच को मिले थे। इन वीडियो की वॉयस और शरजील की वॉयस के सैंपल लिए गए थे, जो फॉरेंसिक जांच में मैच कर गए हैं। शरजील इमाम के खिलाफ दिल्ली समेत कई राज्यों में राजद्रोह के मुकदमे दर्ज हैं।
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शरजील इमाम को दिल्ली पुलिस ने बिहार के जहानाबाद से 28 जनवरी को गिरफ्तार किया था। 18 अप्रैल को जामिया मिलिया इस्लामिया के बाहर हुए दंगों के सिलसिले में पुलिस ने इमाम के खिलाफ पहली चार्जशीट दायर की थी, इस दौरान प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए थे।
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