दिल्ली हिन्दू विरोधी दंगा : ताहिर हुसैन के ही कर्मचारियों ने खोले राज

ताहिर हुसैन
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
दिल्ली और उत्तर प्रदेश में बेगुनाहों के खून की होली खेलने वालों के साथ सख्ती से पेश आने पर जनता को शायद अब समझ आ रहा होगा कि नरेन्द्र मोदी विरोधी गोधरा-गोधरा क्यों चिल्ला-चिल्ला कर मोदी के विरुद्ध माहौल बनाते थे। हिन्दू-मुसलमान कर अपनी कुर्सी बचाते और अपनी तिजोरियां भरते थे। जनहित और विकास पर खर्च होने धन कर्फ्यू आदि पर खर्च होने के कारण जनता अपनी समस्याओं से झूझती रहती है। और फिसाद करवाने वाले शुभचिंतक बने रहते हैं। 
एक और प्रमाण देखिए, जिस निर्भय कांड पर दिल्ली के वर्तमान मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को त्याग-पत्र देने के लिए गला फाड़-फाड़ चिल्लाते थे, वही केजरीवाल सत्ता आने पर उसी निर्भय के एक बलात्कारी को मशीन और धन देकर सम्मानित करने से नेताओं की दोगली नीति भी समझ नहीं आयी और मुफ्त की हड्डी चूसते हुए  तीन बार मुख्यमंत्री बना दिया। यानि नेताओं को दोष देने से पहले जनता को ही सुधरना होगा।    
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगों के मामले में आम आदमी पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन के ख़िलाफ़ दायर चार्जशीट को लेकर एक नया खुलासा हुआ है। चार्जशीट में पुलिस ने ताहिर के यहाँ काम करने वाले दो कर्मचारियों को मुख्य गवाह बनाया है।
इन दोनों की पहचान गिरिष पाल और राहुल कसाना के रूप में हुई है। दोनों ने पुलिस को बताया है कि वे 24 फरवरी को खजूरी खास इलाके में हुसैन के कार्यालय में ही मौजूद थे। इन्होंने पुलिस को दिए बयान में बताया कि आखिर दंगों के दिन ताहिर हुसैन क्या कर रहा था और उस दिन उन लोगों ने क्या-क्या देखा।
चार्जशीट के मुताबिक, इन दोनों ने उस दिन ताहिर हुसैन के घर के बेसमेंट पर कई लोगों को इकट्ठा होते हुए देखा था और ताहिर उनके साथ बहुत ही गोपनीय तरीके से बात कर रहा था।
इन दोनों ने बताया कि ताहिर हुसैन जिनसे बात कर रहा था, उनमें आरोपित शाह आलम, इरशाद, आबिद, अरशद प्रधान, राशिद और शादाब भी अन्य आरोपितों के साथ वहाँ मौजूद थे।
इसमें कहा गया है कि पुलिस ने इन दोनों को मुख्य गवाह बनाया। जो बाद में बाहर भीड़ की आवाज सुनकर और कार्यालय में तनाव को परखते हुए वहाँ से चले गए थे।
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पिछले महीने ताहिर हुसैन और 14 अन्य के खिलाफ मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पवन सिंह राजावत के समक्ष आरोप-पत्र दाखिल किया था। अब कोर्ट इस चार्जशीट पर अगस्त में सुनवाई करेगा।
इस चार्जशीट में राजबीर सिंह यादव नाम के शख्स को भी गवाह बनाया गया है। राजबीर ने अपने बयान में कहा है कि यादव हुसैन के घर के पास एक पार्किंग स्थल में शादी के लिए खाने की तैयारियों को देख रहे थे। मगर, भीड़ ने उनके दोस्त की बेटी की शादी के लिए तैयार खाने को बर्बाद कर दिया और आरोपित रियाकत अली ने उनसे 62,000 रुपए लूट लिए।
चार्जशीट में शाह आलम नाम के आरोपित की मौजूदगी का भी उल्लेख है। चार्जशीट में कहा गया है कि रियाकत के साथ उस दिन शाह आलम व कई अन्य लोग मौजूद थे और हुसैन भी उसी भीड़ का हिस्सा था।
एक अन्य गवाह के अनुसार, हुसैन उस दिन अपने घर की छत पर मौजूद रहकर न केवल पत्थर फेंक रहा था बल्कि साथ मौजूद अन्य लोगों को निर्देश भी दे रहा था, जो पार्किंग की तरफ पत्थर और पेट्रोल बम भी फेंक रहे थे।
चार्जशीट में बताया गया है कि जाँच के दौरान, निजी और सरकारी कैमरों से घटना के CCTV फुटेज को इकट्ठा करने की कोशिश की गई, लेकिन पास में कोई भी CCTV नहीं होने के कारण कोई वीडियो नहीं मिला।
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24 फरवरी के दिन चाँद बाग में हुई हिंसा मामले में ताहिर हुसैन को 14 अन्य लोगों के साथ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामले में आरोपित बनाया गया है। उसपर कड़े आतंकवाद रोधी कानून गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसके अलावा उसपर हिंसा में पूर्व निर्धारित साजिश का हिस्सा होने के मामले में अलग से मामला दर्ज हुआ है।

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