जब राष्ट्रपति भवन ने सोनिया गाँधी के लिए बदल दिया था प्रोटोकॉल : पुस्तक The Indian Newsroom में रहस्योघाटन

Book Launch: "Newsroom in India Has Become Event-Driven Studio for ...
आज कांग्रेस और इसके समर्थक दल द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा का कदम-कदम पर विरोध करने पर जनमानस के दिमाग मोदी सरकार के विरुद्ध जान विरोधी तस्वीर उभरकर आती है। बात-बात पर मोदी सरकार का विरोध करने की सच्चाई यह है कि इनका एकछत्र राज का समाप्त होना, जिसकी दूर तक वापसी की कोई उम्मीद भी नहीं। वैसे सोंचना भी नहीं चाहिए। 
भूतपूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी से लेकर अब NDTV के संदीप भूषण द्वारा लिखी पुस्तकों ने सोनिया गाँधी की तानाशाही को उजागर किया है। मुख़र्जी ने तो सोनिया को हिन्दू विरोधी तक करार किया है। उसके बावजूद हिन्दुओं का कांग्रेस से जुड़े रहने पर उनके हिन्दू होने पर संदेह होना स्वाभाविक है। क्या कांग्रेस और इसके समर्थक दलों में सम्मिलित हिन्दुओं को नहीं मालूम कि साध्वी प्रज्ञा, स्वामी असीमानंद, कर्नल पुरोहित एवं अन्य हिन्दू बेकसूर साधु-संतों को इस्लामिक आतंकवाद को बचाने के लिए जेलों में डाला गया था? क्या इन हिन्दुओं को नहीं मालूम था कि इस्लामिक आतंकवाद को बचाने "हिन्दू आतंकवाद" और "भगवा आतंकवाद" का शोर मचाकर भारत ही नहीं विश्व को भ्रमित किया जा रहा है?   
NDTV समाचार चैनल के पूर्व कर्मचारी द्वारा The Indian Newsroom नाम की एक किताब लिखी गई है। इस किताब में कॉन्ग्रेस और मीडिया के बीच उस वक्त के तमाम बड़े खुलासे किए गए हैं। किताब को उस संदीप भूषण ने लिखा है, जिन्होंने इस समाचार चैनल में लम्बे समय तक काम किया है।
इस किताब में एनडीटीवी और भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के बीच मधुर संबंधों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। किताब यहाँ तक दावा करती है कि यह चैनल महज़ कॉन्ग्रेस का समर्थन ही नहीं करता बल्कि पार्टी के भीतर भी अच्छी भली सक्रियता रखता है।
किताब के 110वें पृष्ठ पर संदीप भूषण एनडीटीवी पर बेहद गंभीर आरोप लगाते हैं। वह लिखते हैं कि एनडीटीवी समेत इसके तमाम कर्मचारी बस वही ख़बरें चलाते थे, जिनसे कॉन्ग्रेस पार्टी को फ़ायदा होता।
Former NDTV employee's book exposes the channel's nexus with Congressसोनिया गाँधी के लिए राष्ट्रपति भवन ने बदला था प्रोटोकॉल 
यूपीए-1 के दौर में जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे और सोनिया गाँधी पार्टी मुखिया, तभी संदीप के एक सहकर्मी ने रिपोर्ट तैयार की थी। रिपोर्ट में यह बताया गया था राष्ट्रपति भवन के अशोक हॉल में हुए शपथग्रहण के दौरान प्रोटोकॉल्स ही बदल दिए गए थे, ताकि सोनिया गाँधी न सिर्फ उस कार्यक्रम का हिस्सा बन पाएँ बल्कि उन्हें पहली पंक्ति में बैठने की जगह भी मिले।
हैरानी की बात यह हुई कि इस रिपोर्ट को चैनल ने सिरे से खारिज कर दिया। जिसके बाद रिपोर्ट तैयार करने वाले संदीप के सहकर्मी ने नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया। हालाँकि इस एक्सक्लुसिव खबर को खारिज करने की कोई वजह तब के संपादकों ने उस रिपोर्टर को कभी नहीं बताई।
इसके अलावा संदीप भूषण ने एनडीटीवी के कई वरिष्ठ कर्मचारियों पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि कुछ वरिष्ठ पत्रकार कॉन्ग्रेस पार्टी में इतना उलझे रहते थे कि वह चुनाव के दौरान महीनों तक गाँधी परिवार के पीछे भागते हुए बिता देते थे।
जब NDTV ने नटवर सिंह को हटाने के लिए चलाया कैंपेन 
कॉन्ग्रेस पार्टी और एनडीटीवी के बीच संबंधों पर संदीप भूषण ने कई बड़े खुलासे किए और ऐसा ही एक खुलासा था नटवर सिंह को लेकर। अपनी किताब के 117वें पन्ने पर उन्होंने दावा किया कि एनडीटीवी की ख़ास ‘वोल्कर रिपोर्ट’ की वजह से नटवर सिंह को कैबिनेट से हटाया गया। लेकिन यह ‘वोल्कर रिपोर्ट’ आम रिपोर्ट नहीं थी बल्कि इसके पीछे कॉन्ग्रेस की एक पूरी लॉबी थी।
संदीप भूषण ने किताब में लिखा है कि साल 2005 में एनडीटीवी के भीतर एक अलग टीम तैयार की गई थी। जिसकी अगुवाई सोनिया सिंह और बरखा दत्त कर रही थीं। इस टीम ने सिरे से अभियान चलाया, जिससे नटवर सिंह को कैबिनेट से बाहर निकाला जा सके। तभी ऐसी ख़बरें चलाई गईं कि वह संयुक्त राष्ट्र के ऑइल फॉर फ़ूड प्रोग्राम के अंतर्गत अवैध रूप से ईराक का कच्चा तेल बेचने में शामिल थे।
इस घटना से एक बात साफ़ हो गई थी कि एनडीटीवी सिर्फ कॉन्ग्रेस के पक्ष में ही काम नहीं कर रहा था बल्कि उसकी पार्टी के भीतर भी अहम भूमिका है।
संदीप भूषण ने लिखा है कि बही और खातों की औसत समझ और जानकारी रखने वाले एक रिपोर्टर को इसके लिए रखा गया था। बाकी के रिपोर्टर्स को भी हर दिन इससे जुड़ी ख़बर खोजने के लिए भेज दिया जाता था। किताब में इस बात का अच्छे से उल्लेख किया गया है कि कैसे हर दिन सम्पादकीय टीम की बैठक सिर्फ इस बात पर केन्द्रित होती थी कि ‘किस तरह नटवर सिंह को कैबिनेट से बाहर निकलवाया जाए।
हद तो तब हो गई जब नटवर सिंह को कैबिनेट से निकाला गया। अमूमन किसी मीडिया ऑर्गेनाइजेशन के लिए किसी मंत्री को भ्रष्टाचार मामले में रिपोर्टिंग के दम पर कैबिनेट से निकलवा देना बड़ी सफलता मानी जाती है और वो इसे सार्वजनिक (बड़ी खबर, बड़ा असर… जैसे शब्दों के साथ) भी करते हैं। लेकिन एनडीटीवी के इस कैम्पेन का नाम तो दूर, कहीं ज़िक्र तक नहीं आया।
नटवर सिंह के खिलाफ एनडीटीवी का यह कैम्पेन उस वक्त उभर कर सामने आया, जब यहाँ के एक सम्पादक ने इस मामले को तूल दिया। यही सम्पादक नटवर सिंह की बहू नताशा से जुड़े आत्महत्या के मामले की तहकीकात में भी शामिल थे।
नटवर सिंह ने अपनी आत्मकथा “One Life is not enough” में उन ताकतों को दोष देते हैं, जो उनके साथ हुए गलत व्यवहार के लिए ज़िम्मेदार थे। वह अपनी किताब में लिखे हैं, “मीडिया ने पहले ही तय कर लिया था कि मैं दोषी हूँ, यह पंक्ति उनके ज़हन में कुछ दिग्गज मंत्रियों के द्वारा भरी गई थी।”
जब राजदीप सरदेसाई ने बदलवा दी थी रिपोर्ट  
इसके अलावा संदीप भूषण ने राजदीप सरदेसाई पर भी कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने अपनी किताब में लिखा कि राजदीप सरदेसाई किसी रिपोर्टर को कॉन्ग्रेस से जुड़ी निष्पक्ष और संतुलित पत्रकारिता करने का मौक़ा ही नहीं देते थे। एक बार तो खुद संदीप की रिपोर्ट राजदीप ने बदलवाई थी।
संदीप भूषण ने लिखा है, “मुझे याद है कि साल 2005 के दौरान मैं सोनिया गाँधी के आवास पर एक लाइव शो कर रहा था। उस रिपोर्ट में इस बात की जानकारी थी कि झारखंड के तत्कालीन राज्यपाल सिब्ते राज़ी ने संविधान की अवहेलना की। जिसे देखते ही राजदीप सरदेसाई ने पूरी तरह बदलने का निर्देश दे दिया। और तो और, राजदीप सरदेसाई ने ठीक मेरे पीछे खड़े होकर अंत तक निगरानी रखी कि मैं उनके बताए हुए बदलाव कर रहा हूँ या नहीं।”

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