TikTok वाली कम्पनी को हुआ ₹45300 करोड़ रुपए का घाटा

TikTok, Bytedance, चीन
लद्दाख स्थित गलवान घाटी में चीन के सैनिकों की करतूतों के कारण भारतीय सेना से हिंसक झड़प के बाद भारत-चीन के बीच तनाव चरम पर पहुँच गया। भारत ने हाल ही में चीन के 59 एप को बैन करने का निर्णय किया, जिससे चीनी कंपनियों को तगड़ा झटका लगा है।
ज्ञात हो, कुछ वर्षो से स्वदेशी जागरण मंच द्वारा भारत के उद्योगों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से विदेशी सामान के बहिष्कार किए जाने के लिए आंदोलन चलाए। लेकिन कभी सफलता नहीं मिली, क्योकि चीनी उत्पाद सस्ते और ज्यादा लाभ देने के कारण व्यापारी स्वदेशी उत्पाद की बजाए चीनी उत्पाद मंगवाकर अधिक लाभ कमा, अपनी तिजोरियां भरते रहे, और पुराने एवं बेकार चीनी उत्पाद को चौराहों पर जलाकर आंदोलन को अपना समर्थन देने का नाटक करते रहे। इतना ही नहीं, स्वदेशी उद्योग को बढ़ावा देने हिंदुस्तान लीवर के उत्पादनों की बजाए स्वदेशी उत्पादनों को प्रोत्साहन देने की बातें होती रहीं। सत्ता बदलने के साथ-साथ जनता के दिल-ओ-दिमाग भी बदलने शुरू हो गए। उसी का प्रमाण है कि आज चीन के उत्पाद tiktok को इतना भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। 
जब बाबा रामदेव ने स्वदेशी आंदोलन में तेजी लाने के लिए पतंजलि के नाम से स्वदेशी उत्पादनों को बाजार में उतारा, चहुँ ओर से निंदा होनी शुरू हो गयी, लेकिन रामदेव अपने उद्देश्य से पीछे नहीं हटे। परिणाम यह हुआ कि कल तक जो कंपनियां जनता को जिन चीजों के प्रयोग करने से सावधान कर हमारी जेबों पर डाका डाल रहे थे, आज वही कंपनियां उन्ही चीजों का प्रयोग कर, अपने खोये व्यापार को स्थापित कर रहे हैं।  भारत के इस फ़ैसले के बाद से ही चीन की परेशानी साफ़ झलक रही है। चीन के मुखपत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने अब माना है कि भारत में प्रतिबंधित किए जाने के बाद TikTok की पैरेंट कंपनी Bytedance को 600 करोड़ डॉलर (मतलब आज की करेंसी एक्सचेंज के अनुसार लगभग 45300 करोड़ रुपए) का नुकसान हो सकता है।
चीन सरकार के अनाधिकारिक प्रवक्ता के रूप में काम करने वाले और भारत को समय-समय पर झूठी गीदड़ भभकी देने वाले अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने ट्वीट कर के बताया है कि पिछले महीने लद्दाख में लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर हिंसक संघर्ष के बाद भारत सरकार की तरफ से चीन के 59 एप पर प्रतिबन्ध लगाने से TikTok की पैरंट कंपनी बाइटडांस को 6 अरब डॉलर (45,309 करोड़ रुपए) का बड़ा नुकसान हो सकता है।
प्रतिबंधित किए जाने से पहले टिकटॉक भारत में काफी मशहूर वीडियो एप्लिकेशन था, जिसकी पहुँच सुदूर गाँवों तक थी। इस एप के लगभग 20 करोड़ यूजर्स अकेले भारत में थे, जो इस एप पर शॉर्ट वीडियोज अपलोड कर के मनोरंजन करते थे।
केंद्र सरकार ने बीते दिनों इस एप पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसके बाद लिबरल गिरोह आग-बबूला हो उठा। इसके अलावा हेलो, यूसी न्यूज, यूसी ब्राउजर समेत 58 और चीनी ऐप को प्रतिबंधित कर दिया था। 
इधर वरिष्ठ वकील और कॉन्ग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने बुधवार (जुलाई 1, 2020) को कहा कि वो चीनी ऐप टिकटॉक की तरफ से कोर्ट में पैरवी नहीं करेंगे। सिंघवी ने बताया कि टिकटॉक के लिए उन्होंने एक साल पहले सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की थी और वे जीते भी थे। हालाँकि, इस बार वो कोर्ट में चीनी ऐप के लिए खड़े नहीं होंगे।
इससे पहले देश के शीर्ष वरिष्ठ अधिवक्ताओं में शुमार पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने भी चीनी ऐप टिकटॉक का मुकदमा लड़ने से इनकार कर दिया। रोहतगी ने बुधवार को कहा कि वह एक चीनी ऐप के लिए भारत सरकार के खिलाफ अदालत में खड़े नहीं होंगे। 
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जहाँ एक तरफ भारत में कुछ प्रपंची वामपंथी और विपक्षी नेता ये कह रहे थे कि मोदी सरकार द्वारा 59 चीनी एप्लिकेशंस को बैन करने से चीन का क्या बिगड़ जाएगा, वहीं दूसरी तरफ चीन भारत के इस क़दम से बौखला गया है और उसने अपने बयान में कहा है कि वो जल्द ही इसकी पूरी समीक्षा कर के आगे क़दम उठाएगा। चीन ने कहा है कि वो भारत सरकार के इस क़दम से ख़ासा चिंतित है।

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