अब राजदीप और रविश कुमार कुछ बोलते क्यों नहीं हैं?

Author Profile :Vani Prakashan
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
जैसे-जैसे दिल्ली हिन्दू विरोधी दंगों की जाँच आगे बढ़ रही है, बिलों में छुपे दंगाई पुलिस के हाथ लग रहे हैं। जो यह सिद्ध कर रहा है कि नागरिकता संशोधक कानून के विरोध का चोला ओढे छद्दम धर्म-निरपेक्ष जेहादियों के साथ घुलमिल कर दिल्ली को जलाने का प्रयास कर रहे थे। 
दिक्कत यह हो रही है कि इनके सिर मुंढाते ओले पड़ने शुरू हो गए। तीन तलाक, कश्मीर से अनुच्छेद 370 ,नागरिकता संशोधक कानून, अयोध्या मुद्दे हल होते गए, जिन से जनता को गुमराह कर अपनी तिजोरियां भरी जा रही थीं। जबकि काशी, मथुरा, समान नागरिकता(Uniform Civil Code), जनसंख्या नियंत्रण आदि के अतिरिक्त वो मुद्दे जो संविधान के अनुसार हर भारतीय को मिलने चाहिए, जिन्हे तुष्टिकरण के चलते ठंठे बस्ते में डाला हुआ था, लाइन में खड़े हैं।
सबसे बड़ी बेचैनी इन छद्दम धर्म-निरपेक्षों को आतंकवादियों और पाकिस्तान की नाक में नकेल डालने से हुई है, वह भी पाकिस्तान के, जिसका इन छद्दमों ने हौआ बनाया हुआ था। आज विश्व में अकेला पड़ गया।   
दिल्ली सरकार से अपेक्षा करना दीवार से सिर मारने से कम नहीं, केंद्र सरकार को अब तक पकडे गए आरोपी एवं संग्धित्वों और उनके परिवार के हर सदस्य के बैंक खातों की भी जाँच करनी चाहिए। क्योकि कोई बिना लेन-देन के अपनी जान जोखिम में नहीं डालेगा।  
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की अक्सर उनकी मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति और मुस्लिम आरोपितों के प्रति नरम रुख रखने के कारण आलोचना होती रही है। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पुरुषोत्तम पाठक ने कहा कि दिल्ली सरकार से मँजूरी लेने के लिए कोई निश्चित समयावधि का प्रावधान नहीं है। हालाँकि, वो ये कहने से भी नहीं चूके कि इस मामले की सुनवाई में होने वाली किसी भी प्रकार की देरी उस उद्देश्य को ही गैर-ज़रूरी रूप से ख़त्म कर देगी, जिसके लिए स्पेशल कोर्ट का गठन हुआ।
दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने माना है कि दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन के भड़काने पर एक समुदाय के लोग हिंसक हुए थे और दूसरे समुदाय के लोगों पर पथराव शुरू कर दिया था। कड़कड़डूमा कोर्ट ने कहा कि दंगे सुनियोजित तरीके से हुए और इसके लिए तैयारी की गई थी। ताहिर हुसैन आम आदमी पार्टी का पूर्व पार्षद है। दिल्ली दंगों में नाम आने के बाद उसे पार्टी निलंबित कर चुकी है। लेकिन इसी ताहिर हुसैन को आरोपी बनाए जाने पर खुद को लिबरल और सेकुलर बताने वाले कथित पक्षकार राजदीप सरदेसाई ने हो-हल्ला मचाया था। लेकिन अब राजदीप की जुबान खुल नहीं रही है। वे कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं राजदीप आप चुप क्यों हैं, कुछ बोलते क्यों नहीं?
हमेशा मुस्लिम पक्ष में खड़े होने वाले और खुद को सेकुलर बताने वाले जावेद अख्तर, रोहिणी सिंह और रवीश जैसे लोगों ने भी ट्विटर पर विधवा विलाप किया था। लेकिन कोर्ट के फैसले के बाद ये लोग चुप्पी साधे हुए हैं।


24-25 फ़रवरी को चाँदबाग़ पुलिया के नजदीक स्थित मस्जिद के पास से ताहिर हुसैन दंगाई भीड़ का नेतृत्व कर रहा था और अपने छत पर भी दंगाइयों को सामग्रियाँ उपलब्ध कराई, जिससे दूसरे समुदाय की संपत्ति और जान-माल को खासा नुकसान पहुँचा। इस दौरान हसी, नाजिम, कासिफ, समीर, अनस, फिरोज, जाएद, गुलफाम और शोएब जैसे दंगाई उसके साथ शामिल थे। साथ ही भीड़ ने खतरनाक हथियारों से अंकित शर्मा की हत्या कर सबूत मिटाने के उद्देश्य से उनकी लाश को फेंक दिया।
50 पेज की चार्जशीट में ताहिर हुसैन को मुख्य आरोपित बनाया गया है। बताया गया है कि ताहिर हुसैन के भड़काने पर उनकी पीट-पीट कर हत्या की गई थी। उस पर दंगा, अपराध के समय भड़काते हुए उपस्थित रहने, आगजनी की सामग्रियाँ इस्तेमाल करने, सबूत मिटाने और आपराधिक षड्यंत्र सहित कई मामले दर्ज किए हैं। कहा गया कि ताहिर हुसैन ने वहाँ के निवासियों के मन में डर का माहौल बनाया।




हालाँकि, कोर्ट को ये भी सूचित किया गया कि दिल्ली पुलिस अब तक ताहिर हुसैन के खिलाफ देशद्रोह का मामला चलाने के लिए सम्बंधित प्राधिकरण से मँजूरी नहीं ले सकी है। यही हाल दिल्ली दंगों के अन्य आरोपितों के मामले में भी है। बता दें कि देशद्रोह का मामला चलाने के लिए दिल्ली पुलिस को राज्य सरकार से मँजूरी लेनी पड़ती है। अभी तक आम आदमी पार्टी की सरकार ने इस मामले में मँजूरी नहीं दी है।



मुफ्त की रेवड़ियां खाने वाले हिन्दुओं अब खुले दिमाग और आंख से अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी का हिन्दू विरोधी चेहरा देख लो। आखिर क्या कारण है कि ताहिर के विरुद्ध इतने सबूत होने के बावजूद उस पर और उसके साथियों पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने की अरविन्द केजरीवाल क्यों नहीं दे रहे इजाजत? जब ताहिर का नाम दंगों में आने पर पार्टी से निकाल दिया था, फिर किस कारण दिल्ली पुलिस को इजाजत नहीं दी जा रही?


 
इतना ही नहीं दिल्ली दंगों की साजिश में गिरफ्तार खालिद सैफी कर चुका है राजदीप, अभिसार और रवीश जैसे पत्रकारों से मुलाकात
ताहिर हुसैन के साथ दिल्ली के चांद बाग हिंसा में खालिद सैफी को भी गिरफ्तार किया गया था। खालिद सैफी पर चांद बाग में हुई हिंसा की साजिश में शामिल होने का आरोप है। बताया जाता है कि सैफी ने ही दिल्ली दंगों के पहले शाहीनबाग में उमर खालिद और ताहिर हुसैन के बीच मीटिंग करवाई थी। शाहीनबाग में 8 जनवरी को हुई बैठक में उमर खालिद, ताहिर हुसैन के साथ खालिद सैफी भी मौजूद था। खालिद सैफी यूनाइटेड अगेंस्ट हेट नाम का संगठन चलाता है और वह जगतपुरी दंगों में भी गिरफ्तार हो चुका है।

खालिद सैफी के गिरफ्तार होने के बाद सोशल मीडिया पर उसकी कुछ एजेंडा पत्रकारों के साथ मुलाकात की तस्वीरें वायरल हुई थी। जिन पक्षकारों के साथ खालिद की तस्वीरें वायरल हुई उनमें इंडिया टुडे के राजदीप सरदेसाई, एनडीटीवी के रवीश कुमार, द वॉयर के सिद्धार्थ वरदराजन के साथ अभिसार शर्मा और अरफा खानम शामिल हैं। 

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