मुसलमान अब अकेला है, कांग्रेस और कमलनाथ से हमारा कोई ताल्लुक नहीं रहा: जामिया निजामिया


आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
अयोध्या में राम मंदिर भूमिपूजन ने एक तरफ इस्लामी कट्टरपंथियों के चेहरे का नकाब हटा दिया है तो दूसरी ओर कांग्रेस की मुसीबतें बढ़ा दी है। कांग्रेस नेताओं का राम राम करना न इस्लामिक संगठनों को न भाया है और न पार्टी के सहयोगी दलों को। यहॉं तक कि पार्टी के भीतर भी मतभेद सामने आ चुके हैं। दूसरे अर्थों में कहा जाए तो कांग्रेस अपने ही बुने तुष्टिकरण जाल में फंस गयी है, और यही स्थिति अब अन्य गैर-भाजपाइयों की होने वाली है।  
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भूमिपूजन के मौके पर हनुमान चालीसा का पाठ और दीपोत्सव किया। इसके कारण पार्टी से जुड़े कई मुस्लिम समूह के लोग नाराज हो गए और खुलकर इस पर अपनी आपत्ति जताई।
जामिया निजामिया, कॉन्ग्रेसक्या हिन्दू अपनी पूजा-पद्धति के लिए इनसे पूछेंगे? क्या हिन्दुओं को अपने आराध्य भगवान की स्तुति करने का अधिकार नहीं? है किसी में इनसे यह पूछने का साहस? ये कट्टरपंथियों के संगठन हर उस अमनपरस्त मुसलमान की रहनुमाई नहीं करते, सिर्फ संस्थाओं को मिलने वाली जकात और तुष्टिकरण करती पार्टियों से मिल रहे गुप्त दानों पर ही बोलते हैं। 
इस हो रहे विरोध से कांग्रेस और अन्य गैर-भाजपाई पार्टियों को विरोध की गहराई में जाकर मंथन करने का समय आ गया है। जब तक ये समस्त गैर-भाजपाई इन मुग़ल-परास्त मुस्लिम संगठनों की गुलामी करते रहेंगी, स्वयं तो धर्म-संकट में पड़ेंगी देश को डाल देंगीं। समय आ गया है, कि इनसे मस्जिदों और दरगाहों से होने वाली आय का हिसाब देने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाना चाहिए। देश में कितनी मस्जिदें और दरगाहें हैं, जो सरकार को अपनी आय बताती हैं। जिस तरह बड़े मंदिरों में कांग्रेस ने अपने कार्यकाल में ट्रस्ट बनाए, उसी भांति बड़ी-बड़ी मस्जिदों और दरगाहों में ट्रस्ट का गठन किया जाए। इनके गरीब और मजलूम ड्रामे को दरकिनार कर मस्जिदों और दरगाहों की आय का हिसाब माँगा जाए। हर मुसलमान तुम्हारे खिलाफ नहीं होगा, ये सिर्फ मुठ्ठी भर हैं, #intolerence, #not in my name, #mob lynching और #award vapasi आदि गैंस्टरों के समर्थन से अराजकता फ़ैलाने का डर दिखाकर ब्लैकमेल करते रहे हैं। हर शांतिप्रिय मुसलमान आपके साथ खड़ा होगा, इनके पीछे नहीं। किसी उपद्रव की स्थिति में केंद्र सरकार का कठोर से कठोर कार्यवाही करने में साथ दें, न की हिन्दू-मुसलमान की घिनौनी सियासत करें। ये अवार्ड वापसी गैंग की बदमाशी देखी, सिर्फ अवार्ड वापस किए,  किसी  ने अवार्ड के साथ मिले माल को नहीं। क्यों? ये मगरमच्छी आंसू बहाना छोड़ो। 
तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने जिस एम जे अकबर के दबाव में आकर आरिफ मोहम्मद खान की बात न मान शाहबानो के पक्ष में आए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को समाप्त कर दिया था, हिन्दुओं द्वारा विरोध करने पर अयोध्या में रामजन्मभूमि मंदिर के ताले खुलवा दिए। लेकिन वक़्त पलटा, मोदी सरकार में तीन तलाक को ख़त्म करने पर कुछ हुआ क्या, जबकि आज वही एम.जे अकबर आज भाजपा में है? जरुरत है इच्छाशक्ति की, जिसकी कांग्रेस और अन्य गैर-भाजपाइयों में कमी है। 
अब जामिया निजामिया ने इस मामले पर बयान जारी कर कहा है कि मुसलमानों ने जो कांग्रेस और कमलनाथ पर भरोसा किया था, वह बेकार गया। अब मुसलमानों को इस बारे में दोबारा सोचने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदायों को शुरुआती समय से ही उन पर यकीन नहीं था। लेकिन फिर भी जब उन्होंने यह आश्वासन दिया कि वह हिन्दुओं से निपट लेंगे तो मुस्लिम कौम ने उन पर भरोसा कर लिया।






मगर, पिछले दिनों जो चेहरा कमलनाथ का देखने को मिला उससे कई चीजें स्पष्ट हो गई। जामिया निजामिया ने कमलनाथ ने अपनी हिन्दू परस्ती के बहुत नमूने दिए। कभी हनुमान की पूजा की और कभी राम मंदिर बनने का स्वागत किया। इन सबसे कौम को बहुत तकलीफ हुई और ये पता चला कि उन्हें मुसलमानों से कभी कोई हमदर्दी नहीं थी। मुसलमान उनके लिए सियासत करने के लिए प्यादे थे।
जामिया निजामी ने समुदाय के लोगों को कमलनाथ पर यकीन न करने की सलाह दी है। साथ ही कहा कि आपका साथ देने वाले प्रतिनिधि को सोच-समझकर वोट दें। बयान में कहा गया है, “इस देश का मुसलमान अब अकेला है। इसलिए इस दौर में हमें अपने लिए सोच समझकर नेता का चयन करना होगा।”
इस बयान में जामिया निजामिया की ओर से कहा गया, “हमें विश्वास है कि अकाबिरों की बताए हुए रास्ते से हटना बड़ा नुकसान का कारण बन सकता है।” इसके बाद इसमे यह भी स्पष्ट किया गया कि अब उनका कमलनाथ और कांग्रेस से कोई ताल्लुक नहीं है। वह दीन पर बयान और फिक्र को लेकर हमेशा अपनी आवाज को बुलंद रखेंगे, क्योंकि उस्मत का नेतृत्व करना वह अपना दीनी कर्तव्य समझते हैं।
ठाकरे-केजरीवाल
आज ‘भक्त’ बने कांग्रेस-केजरी-ठाकरे-लिबरल जमात ने कैसे उड़ाया था मजाक
अयोध्या में श्रीराम मंदिर भूमिपूजन के सम्पन होने के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और दिल्ली में उन्हीं के समकक्ष अरविंद केजरीवाल ने 4 अगस्त, 2020 को राम मंदिर भूमिपूजन का अनिच्छा से स्वागत किया है।
हालाँकि, ऐसा करने वालों की लिस्ट बेहद लम्बी है, और इसमें कई इस्लामी विचारधारा के समर्थक और कांग्रेसी नेता भी मौजूद हैं, जिन्होंने कानूनी अड़चनों के कारण विलम्ब होने पर अतीत में राम मंदिर निर्माण का मखौल उड़ाया था, और अब हिन्दुओं के बीच अपनी छवि सुधारने के प्रयास में राम मंदिर निर्माण की बधाई देते देखे जा रहे हैं।
वर्ष 2015 में, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एक रैली को संबोधित करते हुए राम मंदिर के निर्माण में देरी पर कटाक्ष किया था। लगभग 30 सेकंड के वीडियो में कोई भी ठाकरे को यह कहते हुए सुन सकता है कि ‘मंदिर वहीं बनाएँगे, लेकिन तारीख नहीं बताएँगे।’





इसी तरह, 2019 के आम चुनावों के दौरान, दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने भी राम मंदिर के निर्माण का मजाक उड़ाया था।




कांग्रेसी नेताओं ने भी समय-समय पर इस कटाक्ष के रूप में इस्तेमाल किया है।

दिलचस्प बात यह है कि नई-नई रामभक्त प्रियंका गाँधी वाड्रा को भी श्रीराम मंदिर भूमिपूजन पर सॉफ्ट हिन्दुत्व वाले कारनामों के लिए लोगों द्वारा निशाना बनाया गया।
JNU की फ्रीलांस प्रोटेस्टर शेहला रशीद भी इस जुमले को कई बार इस्तेमाल कर चुकी हैं।

स्वघोषित फैक्ट चेकर और इस्लामिक प्रोपेगेंडाबाज मोहम्मद जुबैर भी ‘मंदिर वहीं बनाएँगे, तारीख नहीं बताएँगे’ को ट्विटर पर कटाक्ष की तरह लिखते देखा गया है।

स्वाति चतुर्वेदी का भी यह पसंदीदा वाक्यांश रहा है।

स्वाति चतुर्वेदी की सहयोगी और ‘द वायर’ की पत्रकार रोहिणी सिंह भी कई मौकों पर श्रीराम मंदिर निर्माण का मजाक बना चुकी हैं।


दागी पूर्व पुलिस अधिकारी संजीव भट्ट, जो इन्टरनेट लिब्रल्स के बीच बेहद पसंदीदा थे, ने भी श्रीराम मंदिर का मजाक उड़ाया था।

आम आदमी पार्टी के सोशल मीडिया हेड अंकित लाल भी श्रीराम मंदिर निर्माण का मज़ाक बना चुके हैं।

तमाम इन्टरनेट लिबरल और प्रोपेगेंडाबाजों के दावों के विपरीत अगस्त 05, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या श्रीराम मंदिर का शिलान्यास किया। भाजपा ने 2019 के आम चुनावों से पहले अपने घोषणापत्र में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा शामिल किया था और मंदिर निर्माण को लेकर संकल्प जाहिर किया था।

No comments: