‘बाबरी मस्जिद थी और हमेशा रहेगी… परिस्थति हमेशा ऐसी नहीं होगी’ : मुस्लिम लॉ बोर्ड की धमकी

बाबरी मस्जिद मुस्लिम बोर्ड

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB), जिसकी स्थापना 1971 इंडो-पाक युद्ध में पाकिस्तान तोड़ बांग्लादेश बनाए जाने से मुस्लिम वोट बैंक को नाराज होते देख तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने इस बोर्ड की स्थापना एक NGO के रूप में कर मुस्लिम वोट को कांग्रेस से बाहर जाने से रोका था। 
समय बीतते, छद्दम धर्म-निरपेक्षों ने इस NGO को खूब भुनाया, जिस कारण इस एनजीओ को लगा कि "हम बहुत शक्तिशाली हैं, जो कुछ भी बोलेंगे और कहेंगे मुसलमान हमारी बात मानेगा।" जो चरितार्थ होते दिख भी रहा है। जो एनजीओ सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने पर खामोश रहा, अब मंदिर का शिलान्यास होने पर मुस्लिमों में जहर फैलाकर अराजकता फैला रहा है। यह इस बात को सिद्ध करता है कि इनका भारत की न्यायालय पर भरोसा नहीं। सच्चाई को स्वीकार करने में इनको अपमान दिख रहा है। फिर वही बात आती है कि "यदि खुदाई में मंदिर के प्रमाण नहीं मिलते, जितने भी छद्दम धर्म-निरपेक्ष नेता और पार्टियां इनके साथ मिल आधी रात को कोर्ट खुलवाकर मस्जिद के पक्ष में फैसला करवा लेते। 
पहले कहते थे कि जो भी सुप्रीम कोर्ट का फैसला होगा, सभी को सर्वमान्य होगा, फिर आज मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड क्यों आग उगल रहा है? किस आधार पर कह रहा है कि 'बाबरी मस्जिद थी और रहेगी', जबकि सच्चाई यह है कि कई वर्षों से यहाँ कोई नमाज तक नहीं पढ़ी गयी। सिर्फ बाबर के नाम पर अपना अधिकार जता कर मुस्लिम समाज को भ्रमित कर पागल बनाया गया, जिसे बेगुनाह मुसलमान सच मानता रहा और आज भी मान रहा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय आने पर अपने आपको ढका हुआ महसूस कर रहा है, जिसके जिम्मेदार यही एनजीओ, मुस्लिम नेता और तुष्टिकरण पुजारी समस्त छद्दम धर्म-निरपेक्ष पार्टियां हैं। इसका मतलब यह है कि यदि किसी तरह समस्त छद्दम धर्म-निरपेक्ष पार्टियां मिलकर सोनिया गाँधी के बिल एंटी-कम्युनल वायलेंस बिल संसद में पेश कर पारित करवा लेतीं, निश्चित रूप से हिन्दू मुगल राज में जीने को विवश हो गए होते।   
वैसे इस तरह के वक्तव्य देना इनकी मजबूरी हो सकती है, यदि ये लोग इस तरह नहीं बोलेंगे तो कल कोई मुसलमान इनकी बात नहीं सुनेगा। इसलिए इनकी बातों को गंभीरता से न लेते हुए, इनकी मजबूरी को समझ इनकी बातों को नज़रअंदाज़ करना ही उचित है। 

अयोध्या में श्रीराम मंदिर के भूमिपूजन समारोह से कुछ ही घंटों पहले, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए धमकी भरा सन्देश जारी किया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक ट्वीट में लिखा है कि दुखी होने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि कोई भी परिस्थिति हमेशा नहीं रहती।

AbbreviationAIMPLB
Formation7 April 1972 (48 years ago)
TypeNGO
Legal statusActive
Region served
India
Official language
Urdu, English
President
Rabey Hasani Nadvi
Key people
Muhammad Tayyib QasmiAbul Hasan Ali Hasani NadwiWali Rahmani
Staff
51
Volunteers
201
Websitewww.aimplboard.in
 इस ट्वीट में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने लिखा है –



“बाबरी मस्जिद थी, और हमेशा एक मस्जिद रहेगी। हागिया सोफिया हमारे लिए एक बेहतरीन उदाहरण है। अन्यायपूर्ण, दमनकारी, शर्मनाक और बहुसंख्यक तुष्टिकरण वाले फैसले से भूमि का पुनर्निमाण इसे बदल नहीं सकता है। दुखी होने की जरूरत नहीं है। परिस्थति हमेशा के लिए नहीं रहती है।”

आज, 05 अगस्त 2020 को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भूमिपूजन को लेकर देशवासियों में उत्साह का माहौल है। ऐसे में AIMPLB का यह धमकी भरा सन्देश स्पष्ट करता है कि उच्चतम न्यायलय के फैसले के बावजूद भी श्रीराम मंदिर निर्माण के फैसले को लेकर सेक्युलर समाज पूरी तरह से खुश नहीं है।
हागिया सोफिया दुनिया के सबसे बड़े चर्चों में से एक रहा है। हागिया सोफिया तुर्की में एक ऐतिहासिक संरचना है, जो कई वर्षों से एक संग्रहालय था। ग्रीक ऑर्थोडॉक्स कैथेड्रल के रूप में 1500 से अधिक साल पहले निर्मित यह गुंबदाकार संरचना एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल के साथ-साथ एक ऐतिहासिक स्थल रहा है।
1953 में संग्रहालय बनने से पहले 1453 में ओटोमन विजय के बाद इसे एक मस्जिद में बदल दिया गया था। यह यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल है। गत जुलाई माह की शुरुआत में ही, तुर्की की एक अदालत ने हागिया सोफिया के संग्रहालय की चली आ रही स्थिति को रद्द करते हुए कट्टरपंथी मुस्लिमों को खुश करने के लिए इसे वापस एक मस्जिद में बदल दिया। इस मस्जिद में अब नमाज शुरू हो गई है।
AIMPLB के ट्वीट में एक प्रेस बयान भी शामिल है। AIMPLB उन वादियों में शामिल था, जिन्होंने पिछले साल नवंबर में अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर की थी। कोर्ट ने केंद्र सरकार को अयोध्या में एक मस्जिद के निर्माण के लिए पाँच एकड़ जमीन आवंटित करने का भी निर्देश दिया था।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल 9 नवंबर को केंद्र सरकार को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए स्थल सौंपने का निर्देश दिया था। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए 5 फरवरी को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के गठन की घोषणा की गई थी और श्रीराम मंदिर के निर्माण की देखरेख के लिए केंद्र सरकार द्वारा ट्रस्ट को अनिवार्य किया गया है।
हालाँकि, कोर्ट के फैसले के खिलाफ AIMPLB ने कहा कि वह वैकल्पिक पाँच एकड़ जमीन को स्वीकार नहीं करेगा। एक अन्य मुस्लिम निकाय, जमीयत उलमा-ए-हिंद (JUH) ने कहा था कि वो सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का विरोध करते हैं।
बाबरी मस्जिद भूमि पूजन ओवैसी
‘बाबरी मस्जिद थी, है और रहेगी… इशांअल्लाह’ –ओवैसी ने उगला जहर 
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने एक आज सुबह-सुबह एक ट्वीट किया है। इस ट्वीट में उन्होंने लिखा है, “बाबरी मस्जिद थी, है और रहेगी। इशांअल्लाह।” इस ट्वीट के साथ ओवैसी ने दो तस्वीरें भी शेयर की हैं। एक तस्वीर में मस्जिद नजर आ रही है और दूसरे में उसके विध्वंस की घटना है।
ओवैसी के इस ट्वीट पर कई यूजर्स की प्रतिक्रियाएँ आई हैं। इनमें से अधिकांश समुदाय विशेष के हैं। इनका भी ओवैसी की तरह यही कहना है कि बाबरी मस्जिद थी और रहेगी।


एक यूजर तौसिफ रजा अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखता है, “मंदिर चाहे जितना बड़ा बन जाए। मगर हम अपनी 7 पुश्तों को बताएँगे कि पहले यहाँ बाबरी मस्जिद थी, जिसको भारतीय न्यायपालिका द्वारा तोड़कर यहाँ मंदिर बनाई गई। मस्जिद थी, ये बात भारत की न्यायपालिका ने भी माना था और बार-बार दोहराया भी था।”


वह आगे लिखता है, “अंत में भारत की न्यायपालिका ने भी अपना धर्म बदल कर हिंदुत्व अपना लिया था। हम अगर मर भी गए तो ये बताकर और नसीहत देकर जाऊँगा, ये बात अपने पुश्तों को बताऊँगा कि हम पर ज़ुल्म होते रहे, बर्बरता की सारी हदें पार हो गई हमारे ऊपर लेकिन हमें भारतीय न्यायालयों से इंसाफ़ नहीं मिला।”
वहीं, आकिफ मिर्जा नाम का दूसरा यूजर कामना करते हुए लिखता कि वक्फ बोर्ड को इस मामले में रीअपील करनी चाहिए थी। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। अगर, वक्फ बोर्ड ऐसा करता तो शायद इस फैसले पर रोक लग जाती।


आलमगीर नाम का यूजर इस मामले पर निराशा जताते हुए कहता है, “वास्तव में यह दुनिया भर के मुसलमानों के लिए अपमान की सदी है! यहाँ तक ​​कि दुनिया में 1.8 अरब के साथ एक देश में 200 मिलियन मुस्लिम आबादी एक मस्जिद की रक्षा के लिए असहाय हैं।”


इस फैसले के बाद से कट्टरपंथियों में रोष उमड़ गया था। एक ओर जहाँ फैसले से पहले हर कोई शांति की अपील कर रहा था। वहीं दूसरी ओर फैसले के बाद उसकी निष्पक्षता पर सवाल उठा दिए गए थे। ऐसे में जब राम मंदिर के भूमि पूजन की तारीख नजदीक आई तो ये परेशानी और बढ़ गई। नतीजतन ओवैसी जैसे लोग खुलकर इस फैसले के कारण हर पार्टी का विरोध करने लगे।
आजतक से बातचीत में ओवैसी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, ” कांग्रेस हमेशा खामोशी से हिंदुत्व की राजनीति करती आई है। कांग्रेस को खुलकर कह देना चाहिए कि वह हिंदुत्व की विचारधारा को मानती है। कॉन्ग्रेस पहले भी मिली हुई थी। अब उनको यह तय करना है कि वो टीम हिंदुत्व का साथ देंगे या टीम इंडिया का जो धर्मनिरपेक्षता पर विश्वास रखती है।”
इसी प्रकार उन्होंने मुलायम सिंह यादव को भी आड़े हाथों लिया और कहा, “मुलायम सिंह यादव ने भी अपनी सियासी रोटी हमारे खून पर सेकी है। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जब दोबारा मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री बने तो वो इस मामले में सोते रहे। उन्होंने केस में कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया। जिन लोगों को हमने रक्षक समझा, उन्हीं लोगों ने हमें नुकसान पहुँचाया है।”
इसके अलावा ओवैसी ने प्रियंका गाँधी के एक ट्वीट पर टिप्पणी करते हुए लिखा, “खुशी है कि वे अब और नाटक नहीं कर रहे हैं। यह अच्छी बात है कि वो भी अतिवादी विचारधार को गले से लगा रही हैं। लेकिन भाईचारे के मुद्दे पर वो खोखली बातें क्यों करती हैं। शर्म मत कीजिए, आप इस बात पर गर्व महसूस करिए कि किस तरह से आपकी पार्टी ने उस आंदोलन में योगदान दिया, जिसकी वजह से हमारे बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया।”

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