
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में वसीम रिजवी ने कहा कि द प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को कांग्रेस के शासन काल मे जानबूझकर बनाया गया था, ताकि हिंदुस्तान में मन्दिर-मस्जिद का विवाद हमेशा चलता रहे। रिजवी के मुताबिक इस एक्ट को तत्काल खत्म किए जाने की जरूरत है, जिससे देश में मन्दिर-मस्जिद विवाद सदैव के लिए समाप्त हो जाए। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन के मुताबिक कांग्रेस ने धार्मिक आँकड़ों के आधार पर इस देश मे लंबे समय तक हुकूमत किया।
शिया वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिज़वी ने पीएम @narendramodi
— Hemant Tiwari (@1Hemanttiwari) September 28, 2020
को पत्र लिखकर
The Place Of Worship Act 1991
का हवाला देते हुए कट्टरपंथी मुगलों द्वारा प्राचीन काल में निर्मित हिन्दू मंदिरों को तोड़कर बनाई मस्जिदों को समाप्त कर वहां मंदिरों की पुनर्स्थापना की मांग की है.@bstvlive pic.twitter.com/GmlChi1YjB
Now at least some one dare to speak out against the astrocities comitted by Mughals...
— lostsomewhere (@truehindulogy) September 29, 2020
वसीम रिजवी ने पत्र में लिखा है, “द प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 कांग्रेस की हुकूमत में इसलिए बनाया गया, ताकि मुगलों द्वारा भारत के प्राचीन पवित्र मंदिरों को तोड़ कर बनाई गई अवैध मस्जिदों को हिंदुस्तान की जमीन पर एक विवाद के रूप में जिंदा रखा जाए और यह अधिनियम बनाए जाने के लिए कांग्रेस की सरकार पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और हिन्दुस्तान के कट्टरपंथी मुल्लाओं का दबाव था, क्योंकि कांग्रेस पार्टी हिन्दुस्तान की आजादी के बाद से धार्मिक आँकड़ों के आधार पर भारत में हुकूमत करती रही है और हिन्दुस्तान का कट्टरपंथी मुसलमान जो कि मुगलों के कुकर्मों, जुल्म और ज्यादतियों का पक्षकार है, वह वोट के रूप में कांग्रेस को भारत में हुकूमत बनाए रखने में मदद कर रहा है।”
उन्होंने पत्र में आगे लिखा, “प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 एक विवादित अधिनियम है, जो किसी एक धर्म के अधिकार व धार्मिक सम्पत्ति जो उनसे मुस्लिम कट्टरपंथी मुगल शासकों ने ताकत के बल पर छीन कर उस पर अपना धार्मिक स्थल (मस्जिदें) बना दिए थे, वह सभी प्राचीन धार्मिक स्थल (मंदिर) जिस भारती हिन्दू धर्म के मानने वालों के थे, उन्हें वापस न मिलने पाए, इस अन्याय को सुरक्षा प्रदान करता है, जो कि एक धर्म विशेष के धार्मिक अधिकारों व धार्मिक संपत्तियों का हनन है।”
रिजवी ने अपने इस पत्र में कुल 9 ऐसी मस्जिदों का उल्लेख किया है जो उनके अनुसार मंदिर तोड़कर बनाई गई थीं। इनमें अयोध्या के राम मंदिर के अलावा, मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि का केशव देव मंदिर, जौनपुर का अटाला देव मंदिर, वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर, गुजरात के जिला बटना का रूद्रा महालया मंदिर, अहमदाबाद गुजरात का भद्रकाली मंदिर, पश्चिम बंगाल की अदीना मस्जिद पंडुवा, विजया मंदिर विदिशा, दिल्ली की कुतुब मीनार के पास स्थित मस्जिद कुव्वत उल इस्लाम शामिल है।
रिजवी ने प्रधानमंत्री से अपील की है कि उक्त अधिनियम को समाप्त कर मुगलों द्वारा जो मंदिर तोड़कर मस्जिदें बनाई गईं उनके स्थान पर वही प्राचीन मंदिर फिर से स्थापित करवाए जाएँ। इसके साथ ही उन्होंने खुशी जाहिर की है कि बाबरी मस्जिद-राम मंदिर विवाद सुप्रीम कोर्ट के जरिए हल हो चुका है और अब वहाँ भव्य मंदिर बनने जा रहा है।
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