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| शार्ली एब्दो ने पैगंबर मोहम्मद के कार्टून को फिर छापने पर कहा - हार नहीं मानेंगे |
इसकी संपादकीय टीम ने इसे आवश्यक बताते हुए लिखा कि अब कार्टून को पुनः प्रकाशित करने का सही समय है, क्योंकि ट्रायल शुरू हो रहा है। पत्रिका का कहना है कि उन्हें 2015 से ही पैगम्बर मोहम्मद पर और भी कैरिकॉर्ड्स को प्रिंट करने का निवेदन आता रहा है।
President Macron of France:— Tarek Fatah (@TarekFatah) September 2, 2020
”I won't condemn cartoons of Prophet Mohammad” | Reuters https://t.co/hXbXx78Zve
सम्पादकों का कहना है कि इसके बावजूद हमने हमेशा ऐसा करने से इनकार किया है, इसलिए नहीं कि यह निषिद्ध है – कानून हमें ऐसा करने की अनुमति देता है – लेकिन क्योंकि ऐसा करने के लिए एक अच्छे कारण की आवश्यकता थी, एक कारण, जिसका कोई मकसद हो।
इस मामले में पेरिस में सितम्बर 2 से ट्रायल शुरू हो रहा है। मैगजीन के हालिया संस्करण में कवर पेज पर दर्जनभर कार्टून प्रकाशित किए गए हैं। कवर पेज के बीच में पैगंबर मोहम्मद का कार्टून भी मौजूद है जिसे जीन काबूट ने बनाया था। 2015 में हुए आतंकी हमले में उनकी जान चली गई थी। पत्रिका के फ्रंट पेज की हेडलाइन है, “यह सब, बस उसी के लिए।”
शार्ली एब्दो के इस फैसले ने ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ की बहस को एकबार फिर जीवित कर दिया है। एक ओर जहाँ कुछ लोग इसे फ्री स्पीच का लीडर कह रहे हैं तो वहीं, दूसरी ओर कुछ लोगों का मानना है कि शार्ली एब्दो ने लाइन क्रॉस की थी।
अवलोकन करें:-
फ्रांस के पेरिस में जनवरी 7, 2015 में 2 इस्लामिक बंदूकधारी भाइयों ने व्यंग्य-पत्रिका ‘शार्ली एब्दो’ के दफ्तर पर हमला बोल दिया था। इस हमले में कम से कम 12 लोगों के मरने की खबर आई थी जबकि काफी लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। पत्रिका के संपादक स्टीफन चारबोनियर की भी हमले में मौत हो गई थी। बंदूकधारी हमलावर इस मैगजीन में छपे पैगंबर मुहम्मद के कार्टून से नाराज थे। पत्रिका काफी समय अपने कथित ‘इस्लाम विरोधी’ सामग्री की वजह से कट्टरपंथियों के निशाने पर थी।

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