हाथरस : क्या न्याय’ माँग रहे कांग्रेस ‘दलित नेता’ उदित राज पिकनिक मनाने गए हैं?

लाशों पर रोटियां सेकने का ही नाम राजनीति है, जिसे कांग्रेस और इसके समर्थक स्वयं सिद्ध कर रहे हैं। अगर लाशों पर सियासत नहीं की, सियासत किस काम की? लेकिन कांग्रेस शासित राजस्थान में हो रहे बलात्कारों पर ये छद्दम दलित प्रेमी सूरदास ही नहीं, मुंह में दही जमाए बैठे हैं। क्योकि हाथरस में कांग्रेस का नहीं भाजपा का राज है और योगी की सख्ती से ये जितने भी छद्दम दलित प्रेमी हैं, सब परेशान हैं, इन्हे विरोध का कोई नया बहाना नहीं मिल रहा है, इस कटु सच्चाई को नकारा नहीं जा सकता। 

ये दलित प्रेम उस समय कहाँ था, जब समाजवादी पार्टी के कार्यकाल में मायावती के साथ गेस्ट हाउस कांड में यदि आरएसएस कार्यकर्ता समय रहते नहीं शोर सुनकर नहीं पहुँचता, मायावती का शील भंग होने से कोई रोकने वाला नहीं था। मायावती स्वयं बता सकती हैं। क्या मायावती दलित नहीं? क्यों नहीं उस समय ये छद्दम दलित प्रेमी गैंग सड़क पर उतरा, क्योकि उस समय उत्तर प्रदेश में भाजपा सत्ता में नहीं थी। अखिलेश यादव के कार्यकाल में हो रहे बलात्कारों पर मुलायम सिंह ने कहा था कि "बच्चों से गलती हो जाती है।" दूसरे, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो में एकदम विपरीत कहानी सामने आ रही है। https://www.facebook.com/permalink.php?story_fbid=178172950508854&id=100049484505257
फिर महाराष्ट्र में इनके ही राज में महिला के साथ क्या सलूक हो रहा है, करेगा कोई प्रदर्शन? नहीं, क्योकि वहां शासन में भाजपा नहीं है। 
 
कांग्रेस नेता लगातार हाथरस मामले को जातीय कोण देकर प्रदेश में राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। एक ओर जहाँ एक वंचित समाज की बेटी ने कथित तौर पर कुछ ‘सवर्णों’ के कारण अपनी जान गवाई है, वहीं कांग्रेसी राजनेताओं के लिए मृतक पीड़िता का घर अब पिकनिक स्पॉट बन गया है।

कुछ दिन पहले हमने हाथरस की तरफ कूच कर रहे राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी वाड्रा को वीडियो में हँसते हुए व लॉन्ग ड्राइव का आनंद उठाते देखा था। अब अक्टूबर 05, 2020 को यही दृश्य दलित नेता उदित राज के पहुँचने पर देखने को मिला।

हालाँकि, उदित राज को पहले यूपी गेट के पास गाजियाबाद पुलिस ने रोका क्योंकि उनके पास वहाँ जाने की अनुमति नहीं थी। मगर, उन्होंने दावा किया कि उन्होंने जिला प्रशासन और हाथरस एसपी व आगरा डीजीपी से अनुमति ले ली है। इसके बाद उन्होंने सड़क पर बैठकर प्रदर्शन किया, जिसकी बाद में वीडियो भी वायरल हुई।

वीडियो में देख सकते हैं कि ‘भारत माता की जय’ का नारा लगाते हुए प्रदर्शन पर बैठे कांग्रेस नेता किस तरह ठहाके लगा रहे हैं। वहीं, उदित राज कांग्रेस की महिला समर्थक से हँसी-मजाक भी कर रहे हैं।

 वीडियो में स्पष्ट देख सकते हैं कि पहले उदित राज महिला के कंधे पर हाथ रखकर उनके कान में कुछ फुसफुसाते हैं और उसके बाद सब मिल कर हँसने लगते हैं। गौर करने वाली बात है कि ऐसा दृश्य उस प्रदर्शन में देखने को मिलता है जहाँ कहने को एक मृत लड़की के लिए इंसाफ की माँग की जा रही हो।

इस वीडियो के सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद उदित राज की बहुत आलोचना हो रही है। उन्हें उनके असंवेदनशील बर्ताव के लिए सोशल मीडिया यूजर्स उन्हें ट्रोल कर रहे हैं। उनसे सवाल पूछा जा रहा है कि क्या वह पिकनिक पर आए हैं?

उल्लेखनीय है कि हाथरस मामले के तूल पकड़ने के बाद से जिला मजिस्ट्रेट ने इलाके में सीआरपीसी की धारा 144 लगाई हुई है। इसमें 5 लोगों से ज्यादा को इकट्ठा होने की अनुमति नहीं है।

गाजियाबाद पुलिस का कहना है कि उदित राज हाथरस में एक रैली निकालना चाहते थे, लेकिन उन्हें ऐसा नहीं करने दिया गया। हालाँकि 6 वाहनों के साथ उन्हें पीड़ित परिवार से मिलने की अनुमति दे दी गई।

जब उदित राज लड़की के घर पहुँचे तो उन्होंने पीड़ित परिवार के सदस्यों को गले लगाया। उन्होंने फोटो खिंचवाते हुए दावा किया कि वह मृतक लड़की के परिवार के साथ खड़े हैं, मगर जैसे ही फोटो खिंच गई वो फौरन लड़की के पिता के बगल से हट गए।

उन्होंने पीड़ित परिवार से मिलते हुए कोई कोरोना में जारी गाइडलाइन का पालन नहीं किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर करते हुए कहा कि परिवार से मिल कर उन्होंने अपनी संवेदना व्यक्त की है और दावा किया कि वह अन्याय के ख़िलाफ़ लड़ेंगे।

इससे पहले वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी को भी संवेदनहीनता के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा था। लोगों ने उनकी वीडियो शेयर करके ध्यान आकर्षित करवाया था कि कैसे पीड़ितों से मिलने जाते वक्त दोनों भाई-बहन हँस रहे हैं।

हाथरस मामले में पीड़िता की मौत के बाद से तरह-तरह के दावे किए जा रहे हैं। शुरू में पीड़िता के घरवालों ने कहा था कि उसका रेप हुआ है। वहीं पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि रेप की बात गलत है। बाद में, स्थानीय पुलिस में परिवार द्वारा दर्ज किए गए प्रारंभिक बयान और पुलिस रिपोर्टें सामने आईं, जिसमें किसी भी बलात्कार या यौन हमले का उल्लेख नहीं किया गया था। जिससे पूरी घटना में सामने आए बयानों पर संदेह पैदा हो गया। इसके बाद आरोपितों की जाति को आधार बनाकर विपक्ष ने योगी सरकार पर निशाना साधा और पूरे मामले का राजनीतिकरण करने में जुट गए। ज्ञात हो कि इस केस में पुलिस ने चारों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है।

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