हाथरस मामला : पीड़िता के भाई ने ही की हत्या: अधिवक्ता AP सिंह का दावा

अधिवक्ता एपी सिंह आरोपितों की तरफ से
इस केस में पैरवी करेंगे (फाइल फोटो)
भागवत गीता में स्पष्ट लिखा है, "विनाश काले विपरीत बुद्धि", जो हाथरस में हुए हंगामे ने फिर से चरितार्थ कर दिया। योगी विरोधी उत्तर प्रदेश में दंगा करवाने के उद्देश्य से अपने दलाल मीडिया से जातिवाद की मनगारंध आग फ़ैलाने का प्रयास कर रहे थे। लेकिन जैसे-जैसे जाँच आगे बढ़ रही है, सच्चाई सामने आने लगने से योगी विरोधियों और इनकी दलाल मीडिया को शर्मिंदा होना पड़ रहा है। अपनी TRP बढ़ाने को लालायित मीडिया को भ्रामक खबरें फ़ैलाने से पहले मौके पर मौजूद होने पर जमीनी हकीकत से रूबरू होना था, ना कि योगी विरोधियों के हाथ खेलकर भाजपा शासित राज्य में हिंसा फ़ैलाने में मददगार होना। अगर किसी कारण से राज्य में हिंसा हो गयी होती, कौन जिम्मेदार होता?कहाँ लुप्त हो गयी इनके खोजी पत्रकारों की पत्रकारिता? मीडिया अपनी नींद तब भी नहीं जागी, जब पीड़ित परिवार सीबीआई और नार्को जाँच से पीछे हट रहा है। विपरीत इसके आरोपी परिवार सीबीआई और नार्को दोनों जांचों की मांग कर रहा है। मीडिया को इन्हीं कारणों से बिकाऊ और दलाल कहा जाता है। 
भाजपा शासित राज्य में जिस उत्सुकता से मीडिया लगी हुई थी, वही मीडिया राजस्थान में हुए बलात्कारों पर क्यों मौन रही, वह इस लिए कि वहां आरोपी मुस्लिम समाज से हैं? आखिर ये दोगलापन किस लिए? क्यों नहीं यही मुस्तैदी राजस्थान में दिखाई? अब जिस तरह हाथरस कांड की सच्चाई सामने आ रही है, क्या उस मीडिया पर, जो सच्चाई से कोसों मील दूर सियासतखोरों के हाथ खेल रही थी, जनता यकीन करेगी? इन चैनलों ने अपनी विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगवा लिया है। 
हाथरस मामले में आरोपितों के वकील एपी सिंह ने पीड़ित परिवार पर बड़े आरोप लगाए हैं। उन्होंने इसे ‘ऑनर किलिंग’ का मामला बताते हुए कहा कि पीड़िता को उसके भाई ने ही मारा है। साथ ही वकील एपी सिंह ने इस मामले का राजनीतिकरण करने के भी आरोप लगाए। उन्होंने आरोप लगाया कि घटना के एक सप्ताह बाद जब नेताओं ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की, उसके बाद ही बलात्कार का मामला दर्ज किया गया।

वकील एपी सिंह ने कहा कि उन्होंने आरोपितों के परिजनों से बातचीत की है और साथ ही कहा कि अब तक मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार की कोई पुष्टि नहीं हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, निर्भया मामले के दो वकील एक बार फिर से आमने-सामने हो सकते हैं। निर्भया के दोषियों के खिलाफ पैरवी करने वाली वकील सीमा समृद्धि कुशवाहा ने हाथरस पीड़िता का केस लड़ने का ऐलान किया है।

एपी सिंह ने बताया कि आरोपितों के वकील के अलावा भारतीय क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री मानवेंद्र सिंह ने भी उनसे सपर्क कर के इस मामले में आरोपितों की तरफ से केस लड़ने को कहा है। मानवेन्द्र सिंह ने कहा है कि उनका संगठन वकील की फीस भरने के लिए धन इकठ्ठा करेगा। उन्होंने एससी-एसटी एक्ट के दुरूपयोग का आरोप लगाते हुए कहा कि सवर्ण समाज को बदनाम करने के लिए ऐसा किया जा रहा है, जिससे राजपूत समाज आहत हुआ है।

वहीं पीड़ित परिवार की तरफ से सीमा समृद्धि कुशवाहा ने वकालतनामे पर हस्ताक्षर भी कर दिया है। उन्होंने कहा है कि वो सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर के इस मामले की सुनवाई दिल्ली स्थानांतरित करने की माँग करेंगी। उन्होंने कहा कि वो हाथरस की बेटी को न्याय दिलाएँगी और दोषियों को सज़ा मिलेगी लेकिन ये तब तक संभव नहीं हो पाएगा, जब तक मामला उत्तर प्रदेश से बाहर नहीं जाता।

उधर हाथरस मामले की जाँच कर रही SIT को इस मामले में रिपोर्ट सौंपने के लिए 10 दिनों का अतिरिक्त समय दिया गया है। इससे पहले बुधवार (अक्टूबर 7, 2020) को ही रिपोर्ट सौंपी जानी थी।गृह सचिव भगवान स्वरूप इस SIT की अगुवाई कर रहे हैं। SIT ने गाँव में जाकर इस मामले की पूरी छानबीन की है। इस मामले में यूपी सरकार सीबीआई जाँच की सिफारिश भी कर चुकी है। SIT ने चश्मदीदों के साथ क्राइम सीन क रिक्रिएट भी किया था।

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भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने हाथरस पीड़िता के भाई से पूछताछ की माँग की है। उन्होंने कहा है कि आरोपित और पीड़ित परिवार के बीच कई फोन कॉल हुए। अक्टूबर 2019 से मार्च 2020 के बीच लड़की के भाई के नाम से रजिस्टर्ड फोन नंबर से 100 से अधिक फोन कॉल किए गए थे। 19 वर्षीय पीड़िता का भाई कथित तौर पर आरोपित के संपर्क में था। अमित मालवीय ने कहा कि यह मामला आपसी रंजिश का परिणाम हो सकता है।

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