हाथरस के बहाने रोटियां सेंकते दलित नेता : DM-SP को माँ-बहन की गाली, CM योगी के लिए भी ‘गंदी बात’

                             मुख्यमंत्री के लिए अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करने वाले नेता (साभार - ट्विटर)
उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुई घटना का विरोध अभी तक जारी है। विरोध की आड़ में अनेक विपक्षी दल राजनीतिक रोटियाँ सेंकने का प्रयास कर रहे हैं। इस तरह की ख़बरें भी लगातार सामने आ रही हैं। ताज़ा मामले में एक दलित और पिछड़े वर्ग के नेता का वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में कमल भारती नाम के नेता ने भरी सभा में बेहद अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल किया है।

उस नेता ने वीडियो के अंत में कई प्रशासनिक अधिकारियों समेत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी अत्यंत अभद्र टिप्पणी की। विडंबना यह है कि इतनी निम्न श्रेणी की बातें कहने के बाद नेता के आस-पास मौजूद लोग ताली बजा कर उन बातों की प्रशंसा कर रहे हैं।

कुलदीप शुक्ला नाम के इंटरनेट यूज़र ने यह वीडियो ट्विटर पर साझा किया। इसमें हाथरस और उत्तर प्रदेश के तमाम प्रशासनिक-पुलिस अधिकारियों को टैग किया गया है। वीडियो के कैप्शन में यह भी लिखा गया था, “यदि इन जैसों पर कार्यवाही नहीं हुआ तो पूरे उत्तर प्रदेश में मौहाल खराब हो सकता है, मायावती जी आप अपने नेताओं के जुबान को सुनो और निकाल भगाओ ऐसे लोगों को… थोड़ी सी भी इंसानियत हो तो दो शब्द बोलो कृपया संज्ञान लें।”

वीडियो में नेता ने अपना परिचय जिलाध्यक्ष अनुसूचित जाति प्रकोष्ट, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के रूप में दिया। वीडियो की शुरुआत में कमल भारती ने कहा:

“मेरी बहन की इज़्ज़त लूटी गई है तो मैं ठाकुरों की म#या की ऐसी की तैसी करता हूँ। मैं सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का जिलाध्यक्ष हूँ अनुसूचित प्रकोष्ठ का, खुला चैलेंज देता हूँ कि जिस ठाकुर की माँ के गोद में अभी ताकत हो वह अपनी बहन बेटी को मेरे यहाँ ले आकर सुला दे। 1 करोड़ रुपया मैं उसको अपनी जायदाद बेच कर दूँगा। यदि ऐसा नहीं हुआ तो हाथरस का डीएम अपनी माँ चु# रहा था, वहाँ का एसपी अपनी बहन चु# रहा था। इस प्रदेश का मुख्यमंत्री अपनी माँ के यहाँ सो रहा था।”     

 वीडियो चर्चा में आने के बाद पुलिस ने इस मामले का तत्काल प्रभाव से संज्ञान लिया। मऊ पुलिस ने कमल भारती के विरुद्ध धारा 153 ए, 504 और आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत मामला दर्ज कर लिया है। इसके अलावा पुलिस ने कमल भारती की गिरफ्तारी के 3 टीमों का गठन भी कर दिया है। पुलिस ने इस कार्रवाई की जानकारी ट्वीट के माध्यम से दी।

इसके पहले कांग्रेस नेता निजाम मलिक ने भी हाथरस मामले पर विवादित बयान दिया था। निजाम मलिक ने कहा था कि जो हाथरस मामलों के आरोपित का सिर काट कर ले आएगा उसे उनके समुदाय की तरफ से 1 करोड़ रुपए का इनाम दिया जाएगा।

हाथरस मामले पर इस तरह के वीडियो सामने आने के बाद दंगों की साजिश के आरोप के दावे पुख्ता होते जा रहे हैं। प्रदर्शन की आड़ में सार्वजनिक रूप से इस तरह की अमर्यादित भाषा के उपयोग का उद्देश्य न्याय दिलाना कैसे हो सकता है। इसके पहले यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस घटनाक्रम पर बयान देते हुए कहा था कि विपक्ष राज्य में सांप्रदायिक दंगे भड़काने की कोशिश कर रहा है।

हत्या और कथित बलात्कार के मामले में विपक्ष द्वारा जारी विरोध-प्रदर्शनों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सीएम ने कहा, “जिसे विकास अच्छा नहीं लग रहा, वे लोग देश में और प्रदेश में भी जातीय दंगा, सांप्रदायिक दंगा भड़काना चाहते हैं। इस दंगे की आड़ में विकास रुकेगा। इस दंगे की आड़ में उनकी राजनीतिक रोटियाँ सेंकने के लिए उनको अवसर मिलेगा, इसलिए नए-नए प्रकार के षड्यंत्र करते रहते हैं।”

मीडिया के लिए पर्यटक स्थल बना हाथरस ; TRP और एजेंडा का घिनौना खेल  

हाथरस में घटी दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद यह मीडिया पर्यटक स्थल बन गया है। विभिन्न मेनस्ट्रीम न्यूज नेटवर्क के पत्रकार नई-नई तकनीकें अपनाकर टीआरपी की होड़ में आगे बढ़ने की जुगाड़ में लगे हुए हैं। इन दिनों सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ऐसे वीडियो से भरे हुए हैं, जिसमें तथाकथित पत्रकार न्याय के लिए लड़ाई की आड़ में अपनी नीच आचरण का परिचय दे रहे हैं।

हिंदी न्यूज चैनल भारत समाचार के पत्रकार द्वारा इसी तरह का वीडियो शेयर किया गया है। इसमें पत्रकार खेत के पास बैठ जाती है और पीड़ितों से मिलने की जिद करती है। इतनी ही नहीं, वो पुलिस अधिकारियों को यह कहकर उकसाती है कि क्या वे भी उसे उसी तरह जला देंगे, जैसा उन्होंने हाथरस पीड़िता के शव का दाह संस्कार किया था।

महिला पुलिस अधिकारी उस पत्रकार के सामने हाथ जोड़ती है और वहाँ से उठने का निवेदन करती है। महिला पुलिस अधिकारी पत्रकार से कहती है कि वो वहाँ से उठ जाए, किसी तरह का तमाशा न करें। वहीं दूसरी तरफ पत्रकार प्रज्ञा मिश्रा का पुलिस अधिकारियों को उकसाकर ये पूछना कि क्या वो उन्हें भी जलाएँगे, ये उनकी नैतिक स्तर का परिचय देती है।

इस तरह का व्यवहार करने के पीछे दो कारण हैं- पहला तो ये कि वह चाहते हैं कि दर्शकों को इस बात पर विश्वास को पत्रकार ग्राउंड लेवल पर जाकर भ्रष्ट सिस्टम के खिलाफ पीड़िता के लिए न्याय की लड़ रही है और दूसरा कारण है- टीआरपी, जो कि उल्लेखनीय गति के साथ घट रही है।

इसी तरह का एक वीडियो ABP न्यूज की तरफ से 2 अक्टूबर को शेयर किया गया। जिसमें मीडिया नेटवर्क की पत्रकार प्रतिमा मिश्रा हंगामा करते हुए जबरन गाँव के अंदर घुसने का प्रयास करती है। इस दौरान वो बार-बार ये कहती हैं कि वो अपना काम कर रही है। हालाँकि बाद में उन्हें और कैमरामैन को गाड़ी में बैठाकर गाँव के बाहर कर दिया जाता है। प्रतिमा मिश्रा आरोप लगाती है कि उन्हें बिना महिला पुलिसकर्मी वाली गाड़ी में बैठाकर जबरन गाँव के बाहर किया जाता है।

एबीपी न्यूज़ ने उसी दिन एक और वीडियो पोस्ट किया। इस पोस्ट का कैप्शन था, “हाथरस की बेटी के लिए एबीपी न्यूज के सत्याग्रह को पुलिस ने की रोकने की कोशिश। आखिर गाँधी जयंती पर बापू के विचारों को कुचलने वाला ‘गोडसे’ कौन?”

गाँधी जयंती पर नाथूराम गोडसे को स्मरण कर गोडसे को अमर कर दिया, लेकिन इन पाखंडियों के मुंह से गोडसे का नाम लेना शोभा नहीं देता। इन पाखंडियों को गोडसे को अपमानित दृष्टि से देखने से पूर्व उस महापुरुष के माइक से सुनाए 150 बयानों का गंभीरता से अध्ययन कर जनता को भी बताएं कि "आखिर तुष्टिकरण की अति होने के कारण ही गोडसे ने गाँधी को मारा था।"  

एक अन्य वीडियो में, एबीपी न्यूज ने दावा किया कि पीड़ित परिवार से मिलने की कोशिश कर रहे उनके पत्रकार और कैमरामैन के साथ उत्तर प्रदेश पुलिस ने छेड़छाड़ और दुर्व्यवहार किया।

‘पत्रकार’ बरखा दत्त ने भी 2 अक्टूबर को तस्वीरें पोस्ट करते हुए बताया था कि कैसे कई किलोमीटर तक पैदल चलने के बाद वो गाँव पहुँचने में कामयाब हुई, लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस ने उन्हें और उनकी मोजो टीम को पकड़कर पुलिस वैन में बैठाया और उन्हें फिर से हाइवे पर पहुँचा दिया।

जब इन वीडियो और तस्वीरों को शूट किया गया था तब धारा 144 लगाई गई थी

उल्लेखनीय है कि जिस समय पर ये तस्वीरें और वीडियो शूट किया गया है, उस समय वहाँ पर SIT जाँच को देखते हुए धारा 144 लगाई गई थी। उत्तर प्रदेश पुलिस ने मुख्य सड़क पर गाँव से लगभग 2 किमी की दूरी पर बैरिकेड्स लगा दिए थे, जिससे गाँव के सभी प्रवेश मार्ग बंद हो गए।

हालाँकि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गाँव में प्रवेश अनुमति नहीं देने के कदम पर सवाल उठाना मीडिया के अधिकार में है। लेकिन मीडिया द्वारा प्रदर्शित इन ड्रामेबाजी से लगता नहीं कि उनका मकसद पीड़ित परिवार से मिलना है।

इससे भी बुरी बात यह है कि एसआईटी जाँच पूरी होने के बाद यूपी सरकार द्वारा मीडिया को गाँव में जाने की अनुमति दिए जाने के बाद सभी चैनलों का दावा था कि ऐसा उनके दवाब की वजह से हुआ। जबकि सच्चाई यह थी कि मीडिया को अनुमति इसलिए दी गई क्योंकि एसआईटी जाँच पूरी हो चुकी थी। इस सबसे यह स्पष्ट होता है कि कोई पत्रकार या चैनल सच्चाई को सामने लाने के लिए नहीं, बल्कि अपनी गिरती टीआरपी को उठाने के लिए ये सब कर रहे थे। 

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इंडिया टुडे की पत्रकार का ऑडियो लीक

गौरतलब है कि ऑपइंडिया ने इंडिया टुडे के पत्रकार और हाथरस पीड़िता के भाई के बीच की लीक बातचीत की रिपोर्ट की थी। इसमें सुना जा सकता था कि इंडिया टुडे की पत्रकार तनुश्री मृतका के भाई संदीप को ऐसा स्टेटमेंट देने के लिए बोल रही हैं, जिसमें लड़की के पिता आरोप लगाए कि उनके ऊपर प्रशासन की ओर से बहुत दबाव था। बातचीत को सुनकर यह साफ पता चलता था कि तनुश्री पीड़िता के भाई से एक निश्चित बयान दिलवाने का प्रयास कर रही थी और संदीप की दबी आवाज सुनकर लग रहा था, जैसे वह ऐसा नहीं करना चाहते।

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