साभार
इज़रायल से वीज़ा समझौते के महीने भर बाद संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने कुल 13 देशों के नागरिकों को वीज़ा जारी करने पर पाबंदी लगा दी है जिसमें ईरान, सीरिया, अफगानिस्तान और पाकिस्तान भी शामिल हैं। इन 13 देशों में ज़्यादातर मुस्लिम बाहुल्य देश हैं। यह एकदम उस समय की स्थितियों को देखते हुए ‘सुरक्षा कारणों’ के आधार पर उठाया गया।
18 नवंबर को यह आदेश जारी होने के बाद पाकिस्तान इकलौता ऐसा देश है, जिस पर इसका सबसे बुरा प्रभाव पड़ा है। यूएई द्वारा वीज़ा जारी करने पर रोक लगाए जाने के बाद पाकिस्तान में 3000 नौकरियाँ ख़त्म हो गई हैं।
इस आदेश के बाद यूएई में 3000 पाकिस्तानी नागरिक अपनी नौकरी खो चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ वीज़ा पर पाबंदी के आदेश के बाद सिर्फ रावलपिंडी की एक एजेंसी में 3000 नौकरियों का नुकसान हुआ है। इतना सब कुछ ऐसे समय में हो रहा है, जब पाकिस्तान पहले ही आर्थिक मोर्चे पर तमाम चुनौतियों का सामना कर रहा है।
शुरुआत में यह पाबंदी पर्यटन संबंधी वीज़ा तक सीमित थी लेकिन अब इसका दायरा बढ़ा आकर रोजगार और कार्य क्षेत्र को भी इसमें ही शामिल कर लिया गया है। दुबई एयरपोर्ट फ्री ज़ोन द्वारा जारी किए गए पत्र के मुताबिक़, “नवीनतम आदेश के अनुसार अप्रवासियों के लिए प्रवेश अनुमति आवेदन विभाग (Immigration Department Entry Permit Applications) नए वीज़ा, जिसमें रोजगार वीज़ा और न्यूज़ विजिट वीज़ा शामिल हैं, इन पर अगले आदेश तक पाबंदी जारी रहेगी।”
साल 2019 तक यूएई में लगभग 2.11 लाख पाकिस्तानी नौकरी करते थे और 4 बिलियन डॉलर सालाना घर भेजते थे। पाकिस्तान के अलावा 12 अन्य ‘इज़रायल विरोधी’ देशों के नागरिकों के लिए नए वीज़ा जारी करने पर पाबंदी लगाई गई है।
आने वाले समय में पाकिस्तान को खाड़ी के देशों की तरह ही पाबंदी का सामना करना पड़ सकता है। Eurasia Times की रिपोर्ट के मुताबिक़ पाकिस्तान ने साल 2016 में 3,26,000, साल 2017 में 2,75,000, साला 2018 में 2,08,000, साल 2019 में 2,11,000 और यहाँ तक कि महामारी के दौरान अक्टूबर महीने तक 51,000 पाकिस्तानी (कामगार) यूएई भेजे थे।
पाकिस्तान के रिश्ते सऊदी अरब और यूएई से क्या भारत की वजह से बिगड़े? पाकिस्तान के कराची शहर से वरिष्ठ पत्रकार वुसअतुल्लाह ख़ान की टिप्पणी. pic.twitter.com/wIrgIor9T2
— BBC News Hindi (@BBCHindi) November 29, 2020
सुरक्षा कारण या कोरोना का खतरा
Eurasia Times के मुताबिक़ यूएई द्वारा पाकिस्तान पर लगाए गए वीज़ा प्रतिबंध के रोचक पहलू हैं। रिपोर्ट की मानें तो इज़रायल और यूएई के बीच रिश्ते सामान्य होने के भी पहले इज़रायल ने माँग उठाई थी कि पाकिस्तान इज़रायल को स्वीकार करे और उनके प्रति अपना रोष ख़त्म करे। बल्कि इज़रायल के समाचार पत्र हर्तीजा (harteeza) में 11 अगस्त 2020 को प्रकाशित एक ख़बर का शीर्षक था, ‘इज़रायल के लिए पाकिस्तान की अस्वीकृति पाकिस्तान के लोगों के लिए ख़तरा बन सकती है।’ यानी मतलब साफ़ था कि इज़रायल को देश के रूप में नहीं स्वीकार करने पर पाकिस्तान को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती थी।
जब इज़रायल और यूएई के बीच रिश्ते सामान्य हुए, तब पाकिस्तान ने अपने ‘इज़रायल विरोधी’ विचार से पीछे हटने से मना कर दिया। इस पर कड़ा संदेश देने के लिए यूएई ने पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इज़रायल दूतावास को ‘उपहार’ भेजा था। इसके बावजूद जब पाकिस्तान का विरोध जारी रहा, तब यूएई ने पाकिस्तान पर अस्थायी वीज़ा प्रतिबंध लगा दिया।
रिपोर्ट्स की मानें तो पाकिस्तान यूएई सरकार के निर्णय पर राज़ी नहीं हो पाया था। वह इस आदेश में ढील देने की आशा कर रहा है क्योंकि शुरुआत में यह प्रतिबंध पर्यटन वीज़ा तक ही सीमित था, जिसे कोरोना महामारी के एहतियात के रूप में भी देखा जा रहा था। फिर पाकिस्तानी सेनेटर अनवर बेग ने कहा था कि यह प्रतिबंध पाकिस्तान के लिए असामान्य था क्योंकि यहाँ के लाखों लोग वहाँ काम करते हैं।
पाकिस्तान ने वीज़ा प्रतिबंध की गेंद कोरोना महामारी के पाले में डालने का पूरा प्रयास किया था। जबकि Eurasia Times ने बताया कि यह (पाकिस्तान) अव्यवस्था के चलते अपने लोगों बेचने का प्रयास कर रहे हैं क्योंकि भारत समेत कई देशों से वीज़ा की अनुमति मिली हुई है। इसलिए मुट्ठी भर देशों पर वीज़ा की पाबंदी लगाने का कोई अर्थ नहीं निकलेगा।
यह भी उल्लेखनीय है कि जितने देशों पर वीज़ा प्रतिबंध लगाया गया है, उसमें लगभग सभी मुस्लिम देश हैं, पाकिस्तान, तुर्की, सीरिया, यमन, ईरान आदि। और तो और, इनमें से किसी भी देश ने इज़रायल को स्वीकार नहीं किया है। इसमें एक अपवाद भी है, ‘तुर्की’ जहाँ इज़रायली दूतावास है लेकिन इस देश का इस्लामी एजेंडा किसी से छुपा नहीं है।
UAE और इजराइल का वीजा समझौता
पाकिस्तान पर लगाए गए वीज़ा प्रतिबंध के मामले में एक और ख़ास बात है। यह निर्णय उसके बाद आया है, जब दोनों देशों (इज़रायल और यूएई) ने वीज़ा समझौते पर सहमति जताई थी, जिससे दोनों देशों के नागरिकों को वीज़ा की आवश्यकता के बिना एक दूसरे का दौरा करने की आज़ादी मिलती।
अमेरिका द्वारा कराए गए शांति समझौते के बाद दोनों देशों ने सितंबर में कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। वीज़ा माफ़ी समझौते के अलावा, जिसमें हवाई सेवा संबंधी मामलों में सहयोग, निवेश, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे अहम मुद्दे शामिल थे। 19 अक्टूबर को वीज़ा माफ़ी समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद यूएई ने 1 नवंबर को इसकी पुष्टि की थी और इज़रायल ने 23 नवंबर को इसकी पुष्टि की थी। एक यहूदी और अरब देश के बीच इस तरह का पहला समझौता है।
No comments:
Post a Comment