नॉर्वे में कोरोना वैक्सीन लगाने के बाद अब तक 29 लोगों की मौत हो चुकी है। ये सभी 75 वर्ष के थे, जिनके शरीर में पहले से कई बीमारियाँ थीं। जनवरी 16, 2021 को मौत का आँकड़ा 29 पहुँच गया। उत्तरी यूरोप के स्कैंडिनेविया प्रायद्वीप में स्थित नॉर्वे में दिसंबर 27, 2020 को ही टीकाकरण अभियान चालू हो गया था। अब तक वहाँ 25,000 लोगों का टीकाकरण किया जा चुका है। नॉर्वे की जनसंख्या 55 लाख के करीब है।
इससे पहले कहा जा रहा था कि वैक्सीन लेने के लिए सही उम्र 80 वर्ष तक है, लेकिन अब माना जा रहा है कि 75 वर्ष की उम्र तक ही इसे रखा जाना चाहिए। नार्वेजियन मेडिकल एजेंसी (NMA) का कहना है कि फ़िलहाल देश में Pfizer और BioNTech द्वारा बनाई गई वैक्सीन को ही मंजूरी मिली है और अब तक हुई मौतें भी इन्हीं दोनों से सम्बंधित हैं। एजेंसी ने कहा कि 13 मौतों का विश्लेषण हो चुका है, बाकी 16 के बारे में पता लगाया जा रहा है।
Norway has registered more deaths among people over the age of 75 who had their first Covid-19 vaccination shot https://t.co/DaMtT3krKj
— Bloomberg (@business) January 16, 2021
Also, the vaccine doesn't begin working immediately.
— Pravduh (@Pravduh15) January 16, 2021
So, continue wearing masks.
After week 4 or so, mortality begins to go down, which is when the 2nd dose should be prescribed.
20,000.
— Leathedoggo (@leathedoggo) January 16, 2021
You have a higher chance of dying to christmas trees than a vaccine
No, because 88% of people that die from it will be vaccinated.
— Dave from Chelmsford (@DavidOs31814060) January 16, 2021
Any increase will be almost all amongst the younger healthier population.
एजेंसी ने बताया कि जिनकी मौतें हुई हैं, वो पहले से कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे उम्रदराज लोग थे। स्थानीय वैक्सीनेशन साइट्स पर लोगों ने शिकायत की है कि उन्हें जी मचलने, उलटी होने और बुखार होने की समस्याएँ आ रही हैं। साथ ही पहले से मौजूद बीमारी भी तेज़ हो जा रही है। नॉर्वेजियन इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ (NIPH) का कहना है कि जिन लोगों की उम्र कम बची है, उन पर वैक्सीन का प्रभाव काफी कम होगा या फिर नहीं ही होगा।
संस्थान ने कहा कि जो लोग उम्र के कारण ज्यादा बीमारियों से पीड़ित हैं या कमजोर हैं, उन पर इन वैक्सीन्स का काफी बुरा प्रभाव पड़ सकता है। Pfizer और BioNTech अभी तक इन मौतों की जाँच की बात ही कह रही है। इन संस्थाओं का कहना है कि ये आँकड़े चौंकाने वाले नहीं हैं और उनकी आशंका के मुताबिक ही हैं। हालाँकि, युवा और स्वस्थ लोग अभी भी वैक्सीन ले रहे हैं। उन्हें नहीं रोका गया है।
जनवरी 14 तक ही स्थानीय मीडिया ने वैक्सीन लगाने के बाद मरने वाली की संख्या 23 बताई थी। शनिवार को 6 अतिरिक्त लोगों की मृत्यु हो गई। नॉर्वे की एजेंसियों का कहना है कि वैक्सीन के कारण कुछ साइड इफेक्ट्स समान्य हैं, उनके कारण ही मौतें हुई होंगी। अब वैक्सीन के दिशा-निर्देशों को बदल कर नया गाइड जारी किया गया है। ये दोनों कंपनियों की वैक्सीन्स कई अन्य देशों में भी दी जा रही हैं।
जहाँ तक भारत की बात है, यहाँ जनवरी 16 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरुआत की और पहले ही दिन लगभग 2 लाख फ्रंटलाइन वॉरियर्स को वैक्सीन दिए गए। हालाँकि, ये आँकड़े भले ही लक्ष्य से पीछे हों लेकिन संतुष्टिजनक बात ये है कि इनमें से अब तक एक को भी किन्हीं भी कारणों से अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ी। पश्चिम बंगाल में दो लोगों की तबियत जरूर खराब हुई, लेकिन अब उनकी स्थिति स्थिर है।
मोदी ने बताया कि भारतीय वैक्सीन विदेशी वैक्सीन की तुलना में बहुत सस्ती हैं और इनका उपयोग भी उतना ही आसान है। उन्होंने कहा कि विदेश में तो कुछ वैक्सीन ऐसी हैं, जिसकी एक डोज 5,000 हजार रुपये तक में हैं और जिसे -70 डिग्री तापमान में फ्रीज में रखना होता है। उन्होंने जानकारी दी कि हर हिंदुस्तानी इस बात का गर्व करेगा कि दुनिया भर के करीब 60% बच्चों को जो जीवन रक्षक टीके लगते हैं, वो भारत में ही बनते हैं और भारत की सख्त वैज्ञानिक प्रक्रियाओं से होकर ही गुजरते हैं।

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