जिस प्रकार शाहीन बाग़ में नागरिकता संशोधक कानून का विरोध कम 'हिन्दू', 'हिन्दुत्व', 'योगी' और 'मोदी' के विरोध में अधिक नारेबाजी हुई थी, जिसे बेशर्म हिन्दुओं के अलावा 'गंगा-जमुनी तहजीब' जैसे भ्रमिक नारेबाजी करने वाले धूर्त नेता भी समर्थन देते रहे, ठीक उसी स्थिति से आज किसान आंदोलन गुजर रहा है। क्योकि शाहीन बाग़ों में भी बच्चे खूब मोदी को मारने की बात कर रहे थे, उसी तरह किसान आंदोलन में भी दिखाई दे रहा है, जिसे देख इस किसान आंदोलन के आयोजक अच्छा है, समय रहते अपनी इस चौपाल को समेट लें। जो राकेश टिकैत बिल पास होने पर ख़ुशी जाहिर करने वाला नेता किस आधार पर विरोध कर रहा है, इस बात को समझने की जरुरत है। मोदी का विरोध करने के अनेक तरीके हैं, लेकिन जनता को परेशान कर रास्ते रोककर नहीं। विरोध अपनी जगह है, लेकिन मोदी को मारूंगा का क्या मतलब है? मुर्ख यह भी नहीं जानते कि मोदी देश का प्रधानमंत्री है और जब एक प्रधानमंत्री की हत्या होगी, जानते हो हश्र? क्यों जनता और अपने इन समर्थकों की जान के दुश्मन बन रहे हो। सरकार के संयम की परीक्षा न लें।
जनता को भी चाहिए मोदी और योगी सरकारों से अनेक कष्ट और विरोध हो सकते हैं, लेकिन उस विरोध के आड़ में 'हिन्दू' और 'हिन्दुत्व' का विरोध और समर्थन करने वाले नेताओं एवं पार्टियों का बहिष्कार करना ही हितकर होगा। ये प्रमाण दे रहे हैं कि ये लोग अपनी कुर्सी की खातिर किसी के हाथ की कठपुतली बन जनता के साथ कुछ भी कर सकते हैं।
अराजकतावादियों के लिए देश में घटनाक्रम कोई भी रहा हो, उन्होंने अपने लक्ष्य पर सबसे आगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही रखा है। ऐसे वाकए तो लिबरल जमात अक्सर ही दोहराती आई है, गत वर्ष शाहीनबाग के बहाने इस वर्ग ने अपनी घृणा को स्पष्ट रूप से जमीन पर उतारना शुरू कर दिया।
कुछ लोग किसान आंदोलनों को शाहीनबाग-2 की संज्ञा दे रहे हैं। इसके पीछे एक बड़ी वजह प्रदर्शनकारियों द्वारा ‘शाहीनबाग मॉडल’ को अपनाना भी है। हमने देखा कि पिछले कुछ समय से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गाली देना ट्रेंड बन गया। इसके लिए तरीके भी बेहद ‘रचनात्मक’ अपनाए जाते रहे हैं।
बच्चों के मुँह से ‘मोदी मुर्दाबाद’ बुलवाना, बच्चों से कहलवाना कि वो मोदी को गोली मारना चाहते हैं या फिर मोदी को फाँसी लगाना चाहते हैं। ऐसा ही एक वीडियो सोशल मीडिया पर एक बार फिर चर्चा में बना हुआ है, जिसमें एक पगड़ी पहने हुए बच्चा ये कहते हुए देखा जा सकता है कि वो बड़े होकर मोदी को फाँसी लगाना चाहता है और जब उससे पूछा गया कि आखिर उसने ये कहाँ से सीखा तो बच्चा जवाब में NDTV और बीबीसी जैसे वामपंथी प्रोपेगेंडा मीडिया संस्थानों का नाम लेता है।
इंस्टाग्राम पर ‘Intrepid saffron’ नाम के अकाउंट ने एक वीडियो शेयर किया है जिसमें लिखा है, “अपने बच्चों को NDTV मत देखने दें, इस वीडियो को देखें।” ‘Intrepid saffron’ द्वारा शेयर किए गए इस वीडियो पर लिखा है कि वामपंथियों के विषैले प्रोपेगेंडा को फ़ैलाने के लिए बच्चों का इस्तेमाल किया जा रहा है।”
इसमें सर पर पगड़ी पहने एक बच्चा कहता है, “मुझे ये भी लगता है कि ये जो मोदी है न, ये सारे पैसे लेकर भाग जाएगा। मैं बड़ा होकर आईएएस बनना चाहता हूँ। क्योंकि अगर मेरे जिले में ऐसे लोग पैदा हुए, वो गंदे लोग अगर मोदी की तरह पीएम हुए न, तो मैं उन्हें जेल में नहीं अंकल, फाँसी के ‘कंधे’ पर लटका दूँगा।”
जब एंकर बच्चे से पूछता है कि उसने आखिर ये सब कहाँ से सीखा तो बच्चे ने चैनल्स के नाम लिए- “एनडीटीवी और बीबीसी।”
यही वीडियो ट्विटर पर ‘आलू बोंडा’ नाम के अकाउंट द्वारा भी शेयर किया गया है। ‘आलू बोंडा’ ने ये वीडियो शेयर करते हुए लिखा है, “मोदी जैसे गंदे लोगों को फाँसी पर लटका दूँगा ~ नन्हा सरदार!”
" मोदी जैसे गंदे लोगो को फांसी पर लटका दूंगा" ~ नन्हा सरदार!!
— आलू बोंडा (@ek_aalu_bonda) January 15, 2021
Who is teaching them such anti modi things?
- NDTV, BBC. pic.twitter.com/uxnnZUW81G
फिर वही शाहीन बाग की कहानी।अबकी बार किसानों की आड़ में। pic.twitter.com/NftBGG5tIY
— 🇮🇳 Prabhat Yadav 🇮🇳 (@prabhatkumar76) January 15, 2021
Ndtv bbc news , end me suna😂 chronology smjo anti nationals ki😂
— Rowl Baba (@RowlBaba) January 15, 2021
ये हम कहा जा रहे है, विरोध की आड़ में बच्चो को क्या शिक्षा दे रहे हैं, क्या सीख दी जा रही , अभी से उनके मन मे जहर, इतनी के कुटिलता, ......ये ठीक नही,
— Amar Shukla (@AmarShukla1010) January 15, 2021
विरोध करना ठीक है, अगर आप सहमत नही, ये लेकिन ये नीचता ठीक नही...और ये बिकाऊ मीडिया क्या कर रही है वहा... इसकी भी जवाबदेही तय हो
यह खुद ही अपने बच्चों को ब्रेनवाश करते हैं और जब इनके बच्चे आतंकवादी बन जाए तो बहाना ढूंढते हैं की इनके बच्चों के खिलाफ अत्याचार हुआ जिसके कारण इनके बच्चे आतंकवादी बन गए और उसे माफ कर दिया जाए।
— Desi Rock (@DesiRock13) January 15, 2021
ये किसी सरदार दा पुत्तर है या सरदार के भेष में, शाहीनबाग वाले दा ?
— बेबाक राय (@rks_14) January 15, 2021
यदि सरदार का है तो लगता है कि इसे शाहीनबाग से ट्रेनिंग कराके मीडिया के सम्मुख लाया गया है!
हालाँकि, ये वीडियो कहाँ की है और कब की है यह स्पष्ट नहीं है। लेकिन सोशल मीडिया में किसान आंदोलनों के बीच बड़े स्तर पर शेयर किया जा रहा है। इससे पहले सीएए विरोधी आंदोलन के दौरान भी इसी तरह बच्चों में जहर भरने के मामले सामने आए थे। याद दिला दें कि इसी प्रकार बच्चों का इस्तेमाल पिछले साल सीएए/एनआरसी के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन में हुआ था। लोगों ने अपने बच्चों को प्रदर्शन पर लाकर बिठा दिया था और बच्चों से नारे लगवाए गए थे, “जो हिटलर की चाल चलेगा, वो हिटलर की मौत मरेगा, जामिया तेरे खून से इंकलाब आएगा, जेएनयू तेरे खून से इंकलाब आएगा.. हम लड़कर लेंगे आजादी।”
नागरिकता कानून के विरोध के बाद कोरोना वायरस की महामारी के दौरान मध्य प्रदेश के इंदौर में इंडेक्स मेडिकल कॉलेज से डिस्चार्ज हुए एक मुस्लिम परिवार के 6 साल के बच्चे ने नारा लगाकर कहा था कि हम मोदी को मारेंगे।
किसानों के नाम पे कलंक है ऐसे लोग 😠 pic.twitter.com/6W1fmBRffN
— Hindustan Ka Sher 🚩 #AP (@Official_Anubhv) January 13, 2021
राजनीतिक हितों के नाम पर बच्चों का इस तरह इस्तेमाल सही चलन नहीं है, चाहे वह कोई भी समाज हो। हमारा इस खबर को प्रकाशित करने का मकसद है कि लोग अपने बच्चों को ऐसे तत्वों से दूर रखें जो उनके बालमन में इस प्रकार का जहर बोते हैं।

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