स्वरा-मंडली : फहद अहमद अब बना ‘किसान नेता’, पहले था CAA विरोधी छात्र नेता

                                       फहद अहमद TISS का छात्र नेता है, जो कई प्रदर्शनों का आयोजक है

कहते हैं कि 'इतिहास लिखा नहीं जाता, दोहराया जाता है' जो वर्तमान परिस्थितियों में निरंतर सिद्ध होते देखा जा सकता है। नरेंद्र मोदी का मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक विरोध किया जा रहा है, विरोध होना भी चाहिए, परन्तु विरोध का आधार होना चाहिए। मोदी-योगी विरोध में विरोधियों की बुद्धि इतनी अधिक कुटिल हो चुकी है, जिसका उल्लेख करने में ग्रन्थ लिखे जा सकते हैं। 

मुंबई में स्थित ‘टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS)’ की तुलना आजकल अक्सर दिल्ली के ‘जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU)’ से होती है, क्योंकि वहाँ भी छात्रों की राजनीति और बात-बात पर विरोध प्रदर्शन अब आम हो गया है। वहाँ Ph.D कर रहा एक छात्र नेता है फहद अहमद, जो CAA विरोधी प्रदर्शनकारी हुआ करता था, अब वो ‘किसान नेता’ है। वो स्वरा भास्कर, बरखा दत्त और हामिद अंसारी जैसों के साथ मिलता-जुलता रहता है।

आजकल वो मुंबई में ‘किसान आंदोलन’ को हवा देने में लगा हुआ है और अक्सर इसके वीडियोज और फोटोज डालता रहता है, जिसमें कई सिख प्रदर्शनकारी भी होते हैं। वो तीनों कृषि कानूनों को किसान विरोधी बताते हुए भाषण भी देता है। वहीं जनवरी 2020 में जब वानखेड़े स्टेडियम में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच ODI मैच चल रहा था, तब उसने अपने साथियों के साथ मिल कर CAA और NRC विरोधी टीशर्ट्स पहन कर प्रदर्शन किया था।

CAA विरोध प्रदर्शनों के दौरान वामपंथी मैगजीन्स ने उस पर कवर स्टोरी भी की थी और TISS में मोदी विरोधी माहौल बनाने के लिए वो लगातार प्रयासरत है। उसने इस कानून को केंद्र सरकार की ‘गलत प्राथमिकता’ बताते हुए कहा था कि ये मानवता, महिलाओं और गरीबों के खिलाफ है। उसने अपने 50 साथियों के साथ मिल कर कई जगह घूम-घूम कर लोगों को भड़काया था। उसने सरकार पर सरकारी संस्थानों को निशाना बनाने के आरोप भी लगाए थे।

उसके बयान “मोदी सरकार का ईगो भारत से भी बड़ा है, ऐसे घमंडी नेता देश के लिए खतरा हैं” को खूब प्रचारित किया गया था। मुंबई के अगस्त क्रांति मैदान में हुए जिस विरोध प्रदर्शन में कई बॉलीवुड सेलेब्स भी हिस्सा बने थे, उसमें भी इसने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था। कन्हैया कुमार, उमर खालिद, ज़ीशान अयूब और मक़सूर उस्मानी जैसे कथित एक्टिविस्ट्स के साथ मिल कर ये लगातार काम कर रहा था।

इससे पहली वो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में था, जहाँ की ‘ट्रेनिंग’ की वो अभी भी दाद देता है। प्रशांत कनोजिया, शेहला रशीद, अरुंधति रॉय और खालिद सैफी जैसे कट्टर विवादित चेहरों के मार्गदर्शन में वो काम करता रहा है। उसने मुकेश अम्बानी पर किसानों की जमीने हड़पने का आरोप लगाते हुए लोगों को भड़काया। उसने सोशल मीडिया फीड्स किसान आंदोलन की तस्वीरों और वीडियोज से भरे हुए हैं।

फहद अहमद मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बहेड़ी का रहने वाला है और अलीगढ़ के ही ‘ज़ाकिर हुसैन मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल’ में उसकी शुरुआती शिक्षा-दीक्षा हुई है। AMU में उसने कॉमर्स की पढ़ाई की। उसने सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ हिमाचल प्रदेश से ‘सोशल वर्क’ की डिग्री ले रखी है। साथ ही वो ‘सोच’ नामक NGO का संस्थापक भी है। फेसबुक ने उसके पेज को वेरीफाई कर रखा है। TEDx ने भी उसे बोलने के लिए बुलाया था।

फरवरी 2020 में TISS में सोशल वर्क स्कूल के ‘समीक्षा सामाजिक कार्यक्रम’ में आपत्तिजनक नारों और भड़काऊ पोस्टरों का इस्तेमाल करते हुए CAA व NRC का विरोध किया गया था। इसमें ‘जम्मू कश्मीर में तालाबंदी: हमें चाहिए आज़ादी’, “जम्मू कश्मीर पर तुमने कब्जा कर रखा है, 200 से भी ज्यादा दिनों की तालाबंदी ख़त्म करो, आज़ादी दो’ और ‘कश्मीर को आज़ादी दो। फ्री कश्मीर’ जैसे पोस्टर्स लहराए गए थे।

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