अपने विद्यार्थी जीवन में गाय के प्रस्ताव में पढ़ा था कि गाय के मूत्र से दवाइयां बनती हैं, वैसे मिथ्या भी नहीं, आयुर्वेद में गो मूत्र का वर्णन भी है। जिसका मुस्लिम समाज विरोध भी करता है कि यह इस्लाम के विरुद्ध है। ऊंटनी का दूध तो चलन में है, परन्तु अब ऊंट मूत्र पीने की बात, वो भी सऊदी अरब में हैरान करना वाला समाचार है। सऊदी अरब में एक वीडियो को लेकर विवाद खड़ा हो गया है, जिसके आधार पर ‘ऊँट का मूत्र परोसने वाला पहला इस्लामी कैफे’ खोले जाने की बात कही जा रही है। सोशल मीडिया में भी यह वीडियो खासा वायरल हो रहा है।
‘ऊँट का मूत्र’ को कई लोगों ने इस्लाम के खिलाफ माना है। इस वीडियो को सबसे पहले ‘टुगेदर अगेंस्ट रिलिजन ट्रेडर्स’ नामक पेज ने शेयर किया था। इस वीडियो के बारे में अभी कुछ खास पुष्टि नहीं हो सकी है।
इसमें देखा जा सकता है कि एक व्यक्ति रेगिस्तान में बैठा हुआ है और एक गाड़ी से कुछ ड्रिंक्स बेच रहा है। वहाँ कई दाढ़ी वाले लोग भी हैं, जो उससे वो ड्रिंक्स खरीद रहे हैं।
#SaudiArabia: Video clip of cafe offering camel urine goes viral, sparks controversy. It is not yet known if the video has been fabricated https://t.co/77L2dqBN9Q
— Gulf News (@gulf_news) February 5, 2021
ये साफ़ नहीं है कि ये कौन सी जगह है, या फिर इसकी भी पुष्टि नहीं हुई है कि ये वीडियो असली है या फिर इससे कोई छेड़छाड़ हुई है। सऊदी अरब के लेखक और राजनीतिक विश्लेषक तुर्की अल हमद ने चिंता जताते हुए कहा कि ऐसे लोगों की मौजूदगी में इस्लाम सचमुच खतरे में है।
सऊदी अरब में ऊँट का मूत्र पीने को लेकर अभी भी समाज दो हिस्सों में बँटा हुआ है और इस पर अक्सर वाद-विवाद होता रहता है, ताज़ा कैफे विवाद नया नहीं है।
‘सऊदी सेंटर फॉर मेडिकल रिसर्च’ ने 2009 में दावा किया था कि ऊँट के मूत्र का इस्तेमाल उस कैप्सूल को बनाने में किया जा सकता है, जो कैंसर व अन्य बीमारियों के खिलाफ लड़ाई में कारगर सिद्ध होगा। ईरान के एक इस्लामी मेडिकल विशेषज्ञ ने कोरोना से लड़ने के लिए ईरान के लोगों को ऊँट का पेशाब पीने की सलाह दी थी।
ईरान में ‘इस्लामी मेडिसिन’ का खूब चलन है और इसे लेकर अजीबोगरीब दावे होते रहे हैं। वहाँ ‘साइंटिफिक एजुकेशनल एसोसिएशन ऑफ इमाम सदगेहज मेडिसिन’ के इंस्टाग्राम पर 60000 फॉलोवर्स हैं और मेहदी सबिली इसके मुखिया हैं।
मेहदी सबिली ने लोगों को दिन भर में 3 बार ऊँट का मूत्र पीने की सलाह दी थी। उत्तरी ईरान में एक मौलवी ने कोरोना के मरीजों को एक खास परफ्यूम सूँघने को दिया था। उनमें से एक कुछ दिनों बाद चल बसा।
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