देश भर के अस्पतालों में कोरोना महामारी के बीच ऑक्सीजन की ज़रूरत पड़ रही है और लगातार सभी राज्यों को इसकी आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। हॉस्पिटल ऑक्सीजन को लेकर शोर मचा रहे हैं। लेकिन केवल दो दिन पूर्व टीवी पर हो रही चर्चा के दौरान एक माननीय डॉक्टर ने ऑक्सीजन पर मच रहे शोर पर सरकार इसकी ऑडिट करवाने का अनुरोध किया। उस चर्चा में आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता के चेहरे से हवाइयां उड़ने लगी। लेकिन मोदी सरकार ने भी तुरंत संज्ञान लेकर सही निशाने पर तीर मार रही है। दिल्ली में केजरीवाल सरकार अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार को ही आरोपित कर अपने आपको बहुत ईमानदार मुख्यमंत्री सिद्ध करने में व्यस्त रहे। मोदी सरकार को भी दूध का दूध और पानी का पानी करने के लिए केजरीवाल सरकार के विरोध के बावजूद दिल्ली में ऑक्सीजन ऑडिट करवानी चाहिए, चाहे इस काम के लिए कोर्ट का सहारा ही क्यों न लेना पड़े। बहुत बना लिया दिल्ली को पागल।
जहाँ दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने ऑक्सीजन के उपयोग की ऑडिट कराने से आपत्ति जताई, ऐसे में ज्वलंत प्रश्न यही होता है कि आखिर ऑडिट करवाने में दिक्कत क्या है?क्या केजरीवाल सरकार ऑक्सीजन की कमी का शोर मचाकर लोगों की जानों से खिलवाड़ करती रहेगी? पुणे के अस्पतालों में ऑडिट होने के कारण प्रतिदिन लगभग 30 टन ऑक्सीजन की बचत हो रही है। पुणे के कोविड डेडिकेटेड हॉस्पिटल्स (CDH) को इससे खासा फायदा मिल रहा है।
पुणे और पिम्परी चिंचवाड़ के अस्पतालों में ऑक्सीजन ऑडिट होने से मरीजों को भी इसका पूरा लाभ मिल रहा है। दोनों जगहों की नगरपालिकाओं ने कहा है कि मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन का उचित उपयोग, आपात स्थिति में इसके उपयोग और मरीज के भोजन करते समय या बेड पर न होने के समय ‘हाई फ्लो नजल ऑक्सीजन (HFNO)’ को रोकने से बड़ी मात्रा में इसकी बचत की जा रही है, वो भी बिना मरीजों को कोई परेशानी हुए।
सस्सून जनरल हॉस्पिटल, पुणे व पिम्परी के जम्बो कोविड यूनिट्स और यशवंत चव्हाण मेडिकल हॉस्पिटल रोज 6 टन ऑक्सीजन की बचत करते हैं। सस्सून जनरल हॉस्पिटल के एडमिनिस्ट्रेशन कंट्रोलर एस चोकलिंगम ने कहा कि आतंरिक ऑडिटिंग और टाइमली मॉनिटरिंग के माध्यम से वो ऑक्सीजन की बचत कर रहे हैं। पिम्परी चिंचवाड़ मुनिसिपल कॉर्पोरेशन (PCMC) डिप्टी कमिश्नर स्मिता जगड़े ने कहा कि 15 दिन पहले तक सब कुछ इतना ठीक नहीं था।
Delhi HC must agree with the Union Govt proposal to conduct oxygen usage audit, more such scams will come out.
— J (@Sootradhar) May 7, 2021
We are flooded with M Aid, K Aid etc etc where else are they getting oxygen from? Courts are forcing Union Govt to give more then what Delhi needs. https://t.co/LM5OdzDfeP
637 oxygen cylinders.
— Charu Pragya🇮🇳 (@CharuPragya) May 7, 2021
Read that again.
637 oxygen cylinders recovered from the house of @AamAadmiParty leader Tahir Hussain.
While Delhi gasps for breath, some people STEAL oxygen.
I hope the SG gets Delhi HC to order a Rtd Judge monitored Audit of Oxygen in Delhi!!!
— Vidyadhar Nayak (@VidyadharNayak_) May 7, 2021
उन्होंने बताया कि दो हफ्ते पहले तक ऑक्सीजन की माँग ज्यादा थी और इसकी बचत भी नहीं हो पा रही थी। लेकिन, अब स्थिति बेहतर है क्योंकि ‘ऑक्सीजन नर्सों’ की नियुक्ति, मरीजों को उचित ऑक्सीजन स्तर पर रखने, ‘प्रोन पोजीशन’ वाला व्यायाम करवाने और लीकेज को ठीक करने जैसे कई उपाय किए गए। साथ ही ऑक्सीजन की सप्लाई को भी निर्बाध बनाया गया है, जिससे इसका उचित उपयोग हो रहा है।
कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग पुणे (CoEP) जम्बो यूनिट के डीन श्रेयांश कपाले ने कहा कि ऑडिट की मदद से ऑक्सीजन की प्रतिदिन होने वाली खपत को हम 22 टन से 16 टन तक लाने में कामयाब रहे हैं। साथ ही मरीजों को अलग-अलग हिस्सों में बाँटा गया – जिन्हें ऑक्सीजन की ज़रूरत नहीं हो, जिन्हें कम ऑक्सीजन की ज़रूरत हो और जिन्हें ज्यादा की। साथ ही समुचित प्रेशर के साथ ऑक्सीजन को उन वॉर्ड्स में डाइवर्ट किया गया।
अवलोकन करें:-
इन सब फायदों के बावजूद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में केंद्र सरकार के ऑक्सीजन के उपयोग की ऑडिट करने पर आपत्ति जताई। सुप्रीम कोर्ट में SG तुषार मेहता ने जोर देकर कहा कि दिल्ली में ऑक्सीजन के उपयोग की ऑडिट करने की जरूरत है। ऑडिट से न सिर्फ सही प्रबंधन होता है, बल्कि काम में भी तेज़ी आती है। मुंबई में भी इससे फायदा हो रहा है। आरोप है कि दिल्ली में ऑक्सीजन के स्टॉक को सही तरीके से बाँटा नहीं जा रहा है।
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