इजरायली IDF और फिलिस्तीनी के बीच बातचीत के ऑडियो से सामने आई कट्टरवादी इस्लामी मानसिकता
‘इजरायल बहुत गलत कर रहा है। कमजोर फिलिस्तिनियों को मार रहा है। फिलिस्तीनी बच्चों के शव मलबे से निकाले जा रहे हैं। उनके जूतों में खून लगा हुआ है। उनके बेजान लटके हाथ दिख रहे हैं।’ – यही 4-5 लाइन या 4-5 फोटो आपको सोशल मीडिया से लेकर अंतरराष्ट्रीय मीडिया खबरों में दिख रही होगी। लेकिन कहानी में ट्विस्ट है। पहले नीचे के ट्वीट को गौर से देखते हैं। इस वीडियो में अरबी में कही जा रही बातों का अंग्रेजी अनुवाद भी दिया गया है।
ये वीडियो है दो लोगों की बातचीत का। इनमें से एक ‘इजरायल डिफेंस फोर्सेज (IDF)’ का प्रतिनिधि है तो एक फिलिस्तीन की गाज़ा पट्टी स्थित एक इमारत के संचालक का। जैसा कि इजरायल दोहराता आया है, उसने किसी भी इमारत को ध्वस्त करने से पहले वहाँ के लोगों को बाहर निकलने के लिए पर्याप्त वक़्त और पूर्व-सूचना दी है। समाचार एजेंसी अल-जज़ीरा की इमारत को तबाह करने से पहले भी उन्हें बाहर निकलने को कह दिया गया था।
Preferring not to save your children in order to reveal #Israel's "cruelty" to the world.#FreeGazaFromHamas https://t.co/gFgOOd92TF
— Israel in Belgium | #PeaceInTheMiddleEast (@IsraelinBelgium) May 19, 2021
Prime Minister Benjamin Netanyahu briefed over 70 foreign ambassadors and diplomatic representatives, together with Foreign Minister Gaby Ashkenazi:
— PM of Israel (@IsraeliPM) May 19, 2021
"Thank you for your support. It warms our hearts to see that."
Full remarks >>https://t.co/NLjb7dKdtZhttps://t.co/2Kviw2mKve
With so much information being shared about the Israel-#Gaza conflict, it's easy to confuse fact with fiction.
— Israel Foreign Ministry (@IsraelMFA) May 19, 2021
Here are some basic facts to set the record straight. pic.twitter.com/UWoICdHvDw
The 57-member Islamic group of states, together with the 22-member Arab group, have called a special U.N. General Assembly debate on "The Question of Palestine."
— Hillel Neuer (@HillelNeuer) May 19, 2021
Same countries that have all refused to say 1 word @UN for 1 million Uighur Muslims herded into camps by China. Why? https://t.co/jKZviGkyAD pic.twitter.com/yLEIdhMw43
इसी तरह एक अन्य ठिकाने को निशाना बनाने से पहले इजरायल ने वहाँ फोन कॉल कर के आम लोगों को 1 घंटे में बाहर निकालने को कहा। इसमें फिलिस्तीन की तरफ से कहा जाता है कि वो हर व्यक्ति को इमारत से बाहर नहीं निकाल सकता और इसके लिए कम से कम 2 घंटे चाहिए होंगे। इस पर IDF उन्हें समझाता है कि इमारत पर बम गिरने वाली है, इसीलिए इसे खाली कराना ज़रूरी है। इस पर उधर से कहा जाता है कि तुम जहाँ मन हो बॉम्बिंग करो।
IDF इस रूखे से जवाब पर बड़े प्यार से समझाता है, “नहीं भाई। हम वो हर कुछ करेंगे जिससे आपकी जान बच जाए।” इस पर फिलिस्तीन का अधिकारी कहता है कि वो मरना चाहता है और इमारत में मौजूद सभी लोग मरना चाहते हैं। IDF उसे बार-बार समझाता है कि क्या कम से कम महिलाओं व बच्चों को बचाने की भी उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं है? इस पर फिलिस्तीन की तरफ से कहा जाता है कि अगर बच्चों को मरने की ज़रूरत है तो उन्हें मरने दो।
अंत में व्यक्ति इसका कारण भी बता देता है। वो कहता है कि दुनिया को इजरायल की क्रूरता के बारे में बताने के लिए वो बच्चों को इमारत से बाहर नहीं निकालेगा, उन्हें नहीं बचाएगा और मरने देगा। बमबारी से पहले 1 घंटे का समय दिए जाने के बावजूद इस तरह की भाषा बताती है कि फिलिस्तीनी महिलाओं बच्चों को बचाने के लिए पर्याप्त वक़्त मिलने के बावजूद उन्हें जानबूझ कर मौत के मुँह में झोंक रहे हैं, ताकि इजरायल को बदनाम किया जा सके।
जहाँ एक तरफ इजरायल ‘आयरन डोम‘ से फिलिस्तीनी रॉकेट्स को रोक कर अपने लोगों की जान बचा रहा है, वहीं उसने अब पिछले 10 वर्षों से हमास के आतंकियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले एक मेट्रो टनल को तबाह कर दिया है। इसी टनल के माध्यम से आतंकी आवागमन, हथियारों की तस्करी और प्रशिक्षण का कार्य करते थे। मात्र 5 दिनों में इजरायल ने इसे नेस्तनाबूत कर दिया। वहीं हमास के कई रॉकेट्स मिसफायर होकर गाज़ा पट्टी में ही गिरे हैं।
No comments:
Post a Comment