बंगाल में भाजपा सरकार न बनने पर मोदी विरोधी जरूर जश्न में डूबे हों, लेकिन भाजपा ने क्या हासिल किया, उसे नहीं देख रहे। सरकार बना सकती थी, अगर ममता सरकार बनने के बाद से 24 परगना आदि जगहों पर हिन्दुओं के घरों और मंदिरों पर हमला होने पर वैसे ही आसमान सिर पर उठाया होता, जिस तरह किसी अख़लाक़ के मरने पर समस्त छद्दम धर्म-निरपेक्ष 'गंगा-जमुनी तहजीब', 'संविधान खतरे में' आदि भ्रामिक नारों से शोर मचाते थे। और जिस तरह जीत मिलते ही टीएमसी गुंडों ने आतंक मचाना शुरू कर दिया है, अब भी अगर भाजपा ने हिन्दुओं पर होते हमलों पर ममता सरकार के विरुद्ध सडकों पर नहीं आये, बंगाल में सत्ता परिवर्तन के मिले संकेत को नहीं समझा, अगले चुनाव में जीरो पर भी आ सकती है, और अगर पार्टी कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमलों पर ममता सरकार को घेरना शुरू करते ही, ममता सरकार अपना कार्यकाल भी पूरा नहीं कर पायेगी। सोशल मीडिया पर वायरल हुए भाजपा की जीत/हार का अंतर अपने आपमें बहुत कुछ कह रहा है। मन भेद होने और मत भेद होने में बहुत अंतर होता है। हमें राष्ट्रहित में सोंचना होगा। जब तक हम राष्ट्रहित में नहीं सोंचेंगे, हमें हर कदम साम्प्रदायिक ही नज़र आएगा। और जिस दिन यह जहर समाप्त हो गया, उसी दिन भारत शक्तिमान विश्वगुरु बन जाएगा।
राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व के मुद्दे पर तृणमूल भी कांग्रेस की तरह धराशाही होनी शुरू हो जाएगी। वरना वह दिन दूर नहीं होगा, जब हिन्दू समाजवाद और धर्म-निरपेक्षता को रोता रहेगा और पाकिस्तानी, बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिए हम पर राज करेंगे। पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ के इस वीडियो को गंभीरता से सुनिए:
पुडुचेरी सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। इस चुनाव में बीजेपी जहां असम में अपनी सत्ता बरकरार रखने में सफल रही है, वहीं पुडुचेरी के रूप में एक नया केंद्र शासित प्रदेश उसके पाले में शामिल हो गया है। यहां ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस यानि एआईएनआरसी की अगुवाई में बीजेपी और एआईडीएमके की सरकार बनने जा रही है। इस तरह देश में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों की सरकारों की संख्या बढ़कर 18 हो जाएगी।
इससे पहले नवंबर 2020 में हुए बिहार चुनाव के बाद देश के 49 प्रतिशत आबादी और 52 प्रतिशत क्षेत्र घेरने वाले 17 राज्यों में बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियों की सरकारें थीं। बिहार में जीत के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने इंदिरा गांधी की बराबरी की थी। दरअसल इंदिरा गांधी के शासनकाल में कांग्रेस 17 राज्यों में सरकार बनाने में कामयाब रही थी।
मई 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के केंद्र की सत्ता में आने के बाद देश में 30 विधानसभा के चुनाव हुए, जिनमें से 17 में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने जीत हासिल कीं और सरकारें बनाईं। लेकिन बीजेपी का उफान मार्च 2018 में था, जब त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में सरकार बनाने के बाद देश के 21 राज्यों में एनडीए की सरकारें थीं। तब देश की 71 प्रतिशत आबादी और 80 प्रतिशत क्षेत्र पर बीजेपी या एनडीए की सत्ता थी। प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यों में शासन के मामले में इंदिरा गांधी को काफी पीछे छोड़ दिया था। साथ ही आजादी के बाद प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की नेतृत्व वाली कांग्रेस की बराबरी की थी।
अवलोकन करें:-
गौरतलब है कि आजाद भारत में जब राज्यों के चुनाव हुए तो कांग्रेस देश की इकलाैती अहम पार्टी थी। तब केंद्र के साथ-साथ देश के 21 राज्यों में इसी पार्टी का शासन था। तब देश कई बदलावों से गुजर रहा था। कई रियासतें देश में शामिल हो रही थीं। 1967 के चुनाव में कांग्रेस को कड़ी चुनौती मिली और पार्टी 11 राज्यों में सिमट गई।
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