WHO द्वारा कोरोना को एक मौसमी बीमारी बताने से यह भी स्पष्ट हो रहा है कि चीन का WHO पर कितना अधिक प्रभाव है, जो यह मानने को तैयार नहीं कि यह चीन द्वारा छोड़ा गया वायरस है। जैसाकि पूर्व में शंका व्यक्त की जा रही थी कि चीन ने WHO पर अपना अधिकार किया हुआ है, यदि WHO की ही बात को सच माना जाए तो WHO विश्व को बताए कि किस आधार पर इसे महामारी बताया था? विश्व के समस्त देशों को इस मुद्दे पर लामबंद होकर WHO की विश्वसनीयता पर प्रश्न करना चाहिए।
कोरोना संक्रमण के खतरनाक प्रकोप को झेलने के बावजूद सोशल मीडिया पर दावे किए जा रहे हैं कि ये एक मौसमी बीमारी है और इससे घबराने की कोई जरूरत नहीं है। इन दावों को सही साबित करने के लिए डोलोरेस काहिल नाम की महिला प्रोफेसर का वीडियो शेयर हो रहा है।
बिना दावों की सच्चाई जानें फेक न्यूज फैलाने वालों का कहना है कि कोरोना संक्रमण पर दी जानकारी पर WHO ने अपनी गलती मान कर इसे एक सीजनल वायरस बताया है जिसमें मौसमी बदलाव के कारण खाँसी-जुकाम और गला दर्द रहता है।
.@WHO द्वारा कथित रूप से #कोरोना के सीजनल वायरस होने का दावा किया जा रहा है जिसमें शारीरिक दूरी और आइसोलेशन की जरूरत नहीं है#PIBFactCheck:यह दावा #फर्जी है।#COVID19 एक संक्रामक रोग है व इसमे #कोविड अनुकूल व्यवहार अपनाना आवश्यक है।
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) June 2, 2021
▶️मास्क पहनें
▶️हाथ धोएं
▶️शारीरिक दूरी बनाएं pic.twitter.com/7BQANS6uy3
वायरल होते संदेशों के मुताबिक WHO के हवाले से ये भी कहा जा रहा है कि कोरोना रोगी को न तो अलग रहने की है और न ही जनता को सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत है। यह एक मरीज से दूसरे व्यक्ति में भी नहीं फैलता। इस संदेश के साथ WHO पर गुस्सा दिखाते हुए इस वीडियो को देखने को कहा जा रहा है। संदेश में लिखा है, “सबके 2 साल खराब करने के बाद इन्होंने तो पल्ला झाड़ लिया अब कर लो क्या करना है, इनका देखिए WHO की प्रेस कॉन्फ्रेंस।”
वीडियो और संदेश की सच्चाई क्या है। इसे पीआईबी फैक्ट चेक के जरिए पहले ही बताया जा चुका है कि संदेश में किए गए दावे फर्जी हैं। कोरोना कोई सीजनल बीमारी नहीं है। इसमें शारीरिक दूरी और आइसोलेशन जरूरी है। यह एक संक्रामक रोग है जिसमें कोविड के अनुकूल व्यवहार अपनाना जरूरी है।
इसके अलावा बात करें वीडियो में नजर आने वाली महिला प्रोफेसर डोलोरेस काहिल की तो गूगल सर्च से पता चलता है कि महिला डबलिन में स्कूल ऑफ मेडिसिन की एक प्रोफेसर हैं। उनका यह वीडियो 19 अक्टूबर 2020 को बर्लिन में हुए वर्ल्ड डॉक्टर अलायंस का है। जहाँ कोरोना संक्रमण पर भ्रामक दावा करने के कारण इस पर फॉल्स इन्फॉर्मेशन का टैग लगा दिया गया है।
अवलोकन करें:-
इसके अलावा ये बात भी गौर करने वाली है कि डोलोरेस WHO की कोई अधिकारी नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस महामारी को 11 मार्च 2020 को महामारी घोषित किया था। इसके कारण अब तक 37 लाख से ज्यादा मौतें हुई हैं। इसलिए सिर्फ एक वीडियो पर ये मानना कि कोरोना कोई संक्रामक बीमारी नहीं है, समझदारी का काम नहीं है।


No comments:
Post a Comment