हम हर-हर महादेव कभी नहीं कहेंगे: पश्चिमी UP के मुस्लिम का वीडियो वायरल

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में महापंचायत के दौरान अल्लाह-हू-अकबर का नारा लगाने वाले राकेश टिकैत को एक आम मुसलमान ने संदेश दिया है। ये संदेश अब सोशल मीडिया पर वायरल है। इसे प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सूचना सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी ने भी शेयर किया है।

अपने ट्वीट में शलभ मणि त्रिपाठी मुस्लिम व्यक्ति की बातों के मुख्य बिंदु उजागर करते हैं। वह लिखते हैं, “हमें 113 मस्जिदें दो। मुजफ्फरनगर दंगों के लिए सभी जाटों की तरफ से माफी माँगो। तुम अल्लाह-हू-अकबर बोलो, हम हर हर महादेव कभी नहीं बोलेंगे!”

वायरल वीडियो के मुताबिक पश्चिमी यूपी का एक आम मुसलमान राकेश टिकैत को संदेश दे रहा है। वह कहता है, “अल्लाह-हू-अकबर कह देने से राकेश टिकैत के गुनाह नहीं धुलेंगे। अल्लाह-हू-अकबर कहने से न ही उनकी तौबा कबूल होगी। अगर राकेश टिकैत को मुसलमानों से आगे हाथ बढ़ाना है तो सबसे पहले जो 113 मस्जिदें वीरान है हमारे जनपद की, जो 2013 के दंगों में किसान यूनियन के लोगों ने वीरान की थी, पहले उन मस्जिदों को आजाद कराएँ। उसके बाद आपका अल्लाह-हू-अकबर कहना जायज है।”

वह कहते हैं, “अल्लाह-हू-अकबर कहने से अल्लाह ताला माफ नहीं करेंगे। आपको वो बच्चे माफ नहीं करेंगे जिनके साथ किसान यूनियन के लोगों ने बलात्कार किया। वो बेसहारा, यतीम बच्चे आपको माफ नहीं करेंगे। जमीयत उलेमा ए हिंद के लोगों ने उन्हें मकान दिया। आज भी उनके आँसू आप नहीं धो सकते अल्लाह-हू-अकबर कहने से। ये सब झूठ है, ढकोसला है। आप अल्लाह-हू-अकबर कहते रहें हम हर हर महादेव नहीं कहेंगे। हमारा ईमान अल्लाह-हू-अकबर पर है, ला इलाहा इल्लल्लाह पर है। आपके अल्लाह-हू-अकबर कहने से आप चाहते हैं मुसलमान आपको माफ कर देगा…नहीं करेगा। अगर आपको लगता है मुसलमान आपको माफ कर देगा तो बताइए कितने मुसलमान आपके साथ है, जमीयत उलेमा ए हिंद के लोग आपके साथ हैं?”

अवलोकन करें:-

किसान महापंचायत में अल्लाह-हु-अकबर नारों का क्या मतलब?

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किसान महापंचायत में अल्लाह-हु-अकबर नारों का क्या मतलब?
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत हो रही है, किसान संगठनों ने 

किसान नेता राकेश टिकैत ने रविवार (5 सितंबर) को किसान मोर्चा की महापंचायत में भीड़ से अल्लाह-हू-अकबर और हर-हर महादेव के नारे भी लगवाए थे। उन्होंने कहा था, ”यूपी की जमीन को दंगा करवाने वालों को नहीं देंगे।” राकेश टिकैत ने कहा था कि जब भारत सरकार हमें बातचीत के लिए आमंत्रित करेगी, हम जाएँगे। जब तक सरकार हमारी माँगे पूरी नहीं करती तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा। आजादी के लिए संघर्ष 90 साल तक चला, इसलिए मुझे नहीं पता कि यह आंदोलन कब तक चलेगा।

 

भाड़ में जाए किसान आंदोलन, हम तो बीजेपी को हटाने के लिए आए हैं

एक ऑनलाइन समाचार चैनल हिन्दुस्तान 9 ने महापंचायत की एक ग्राउंड रिपोर्ट अपने यूट्यूब चैनल पर शेयर की है। इसमें भाड़े के किसान खुद अपनी पोल खोलते नजर आ रहे हैं। हिन्दुस्तान 9 के पत्रकार रोहित शर्मा ने महापंचायत में शामिल किसान प्रदर्शनकारियों से कुछ सवाल पूछे। मोहम्मद दानिश नाम के एक शख्स ने बताया कि वह पास के एक गांव के किसानों के समूह के साथ प्रदर्शन स्थल पर आया है।

दानिश ने कहा, “हम भारत सरकार द्वारा लाए गए तीन काले कानूनों का विरोध करने के उद्देश्य से यहां आए हैं। राकेश और नरेश टिकैत के नेतृत्व में गाजीपुर बॉर्डर पर हम पिछले नौ महीने से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। सरकार को इन काले कानूनों को निरस्त करना होगा, जो किसानों के हित में नहीं हैं।”

जब रोहित ने भाड़े के किसानों से तीन कृषि कानूनों के बारे में पूछा तो, उनका जवाब काफी दिलचस्प था। किसान दानिश ने कहा, “हां, मुझे पता है। एक है एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर), एनपीआर (राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर) और एक और है, जिसे मैं भूल गया हूं।” रोहित ने पूछा कि क्या आप सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) के बारे में बात कर रहे हैं, जिस पर दानिश ने कहा, “हां, हां! वही वाला।” रोहित ने पूछा, “तो आप इन तीन कानूनों के खिलाफ महापंचायत में भाग ले रहे हैं?” इस पर दानिश ने हां में जवाब दिया। वहीं मौजूद दूसरे भाड़े के किसान ने कहा कि भाड़ में जाए किसान आंदोलन, हम तो बीजेपी को हटाने के लिए आए हैं। बीजेपी को साफ करने के लिए ही किसान आंदोलन हो रहा है।

दानिश की बातों और “अल्लाह-हू-अकबर” के नारे ने किसान आंदोलन के पीछे चल रही साजिशों और उनके पीछे की ताकतों को बेनकाब कर दिया है। दरअसल यह पूरी तरह से किसानों के नाम पर चल रही सियासी नौटंकी है, जिसके मुख्य किरदार संयुक्त किसान मोर्चा के तथाकथित किसान नेता निभा रहे हैं, लेकिन इनकी डोर कांग्रेस, सपा, आम आदमी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के हाथों में हैं। राकेश टिकैत इस आंदोलन की आड़ में अल्पसंख्यक वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस और अन्य सियासी दोलों का मकसद किसानों को भड़का कर किसी भी तरह से 2022 में उत्तर प्रदेश में सत्ता पर काबिज होना और 2024 में दिल्ली पर अपनी दावेदारी मजबूत करना है।

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