लखीमपुर खीरी में यूपी पुलिस के साथ अलग-अलग बर्ताव करते प्रियंका गाँधी और राकेश टिकैत
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में ‘प्रदर्शनकारी किसानों’ ने अक्टूबर 3, 2021 को भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और उनके कार्यकर्ताओं पर हमला किया, जिसके बाद 9 लोगों के मरने की खबरें आईं। भीड़ इतनी हिंसात्मक थी कि उन्होंने कार ड्राइवर को और भाजपा कार्यकर्ता तक को जिंदा नहीं छोड़ा। श्याम सुंदर नामक बीजेपी कार्यकर्ता की एक वीडियो भी आई थी। इसमें वह किसानों से जान की भीख माँग रहे थे, लेकिन ‘किसान’ उनसे उगलवाना चाहते थे कि वो बोलें कि वो किसानों को मारने आए थे। हालाँकि, श्याम इन बातों से इनकार करते रहे। पूरा वाकया कैमरे में कैद हुआ और बाद में श्याम की लाश मिली।
मामले में जहाँ राजनेताओं ने परेशानी बढ़ाने का काम किया। वहीं भड़काऊ बयानबाजी करने वाले और अक्सर समस्या बढ़ाने वाले राकेश टिकैत यूपी पुलिस के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में नजर आए। वहाँ पुलिस हिंसा में मारे गए भाजपा नेता और ‘किसानों’ के लिए 45 लाख रुपए के मुआवजे की घोषणा कर रही थी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुलिस ने कहा था कि शांति बनी रहेगी और आरोपितों को हिरासत में लिया जाएगा।
किसान नेता राकेश टिकैत को इस नरसंहार की भयावहता के बारे में ज़रूर बताया गया होगा , इसके बावजूद हत्यारों की गिरफ़्तारी से पहले ही किसान नेताओं ने 24 घंटे में समझौता क्यों और कैसे कर लिया ? ये सवाल टिकैत से पूछा जाना चाहिए। pic.twitter.com/k7g52kt9cH
— Vinod Kapri (@vinodkapri) October 4, 2021
कोई नेता लखीमपुर नहीं पहुंच पाता, लेकिन राकेश टिकैत आसानी से लखीमपुर पहुंच जाते हैं.
— Ranvijay Singh (@ranvijaylive) October 4, 2021
सरकार और किसानों के बीच समझौता कराते हैं और प्रदर्शन खत्म हो जाता है.
सब कुछ कितना सरल है. बिल्कुल सरकार के हिसाब का.
.@vinodkapri cropped pic of minister's son go run his propaganda. Driver is wearing full sleeve and minister's son is wearing half sleeve but Kapri cropped the pic. pic.twitter.com/tnuSyrEVf5
— Facts (@BefittingFacts) October 4, 2021
Jis videos mein BJP workers peet peet kar maar diye gaye wo media ne ignore hee kar diye bilkul..
— अंकित जैन (@indiantweeter) October 5, 2021
लालकिले से लखीमपुर तक, लोगों के बक्कल उतार देने की धमकी देने वाला आदमी पुलिस के साथ बैठ कर ठाठ से PC करता है। मेरी नज़र में ये तस्वीर लखीमपुर में 8 की मौत की जांच के नाम पर सबसे बड़ा मज़ाक है। pic.twitter.com/hHkP7BMPQT
— Aman Chopra (@AmanChopra_) October 4, 2021
लखीमपुर खीरी की इस घटना में जहाँ किसानों के उग्र होने के कारण और भाजपा द्वारा जवाबी हिंसा में शामिल होने की वजह से क्षेत्र में तहलका मच सकता था। वहीं यूपी पुलिस ने सुनिश्चित किया कि राजनेता क्षेत्र में प्रवेश कर बात को ज्यादा न बिगाड़ें। उन्होंने राकेश टिकैत के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सारी स्थिति पर काबू पाया।
हालाँकि, इस दौरान राजनेता और कांग्रेस समर्थित मीडिया राकेश टिकैत से खुश नहीं दिखा और ये नाराजगी उस समय सामने आई जब प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर पत्रकार विनोद कापड़ी ने अपना ट्वीट किया। पहले फेक न्यूज के कारण फँस चुके विनोद ने बताना चाहा कि ‘उग्र’ किसानों की भीड़ पर गाड़ी चलाने वाला कोई और नहीं बल्कि भाजपा नेता का बेटा आशीष मिश्रा था।
विनोद ने ट्वीट में कहा कि इस ‘नरसंहार’ के बाद हुए समझौते पर राकेश टिकैत से सवाल होना चाहिए कि आखिर हत्यारों की गिरफ्तारी से पहले उन्होंने ऐसा किया क्यों।
कापड़ी ऐसा अकेला शख्स नहीं है जिसने राकेश टिकैत पर अविश्वास जाहिर किया। सूत्र बताते हैं कि कई कांग्रेस नेता और खालिस्तानी तत्व भी राकेश टिकैत से मुँह बना कर बैठे हुए हैं और उनके ऊपर से अपना विश्वास खो रहे हैं कि वो यूपी चुनाव से पहले आग लगाने में, हिंसा भड़काने में सफल रहेंगे।
कांग्रेस पार्टी का एक सूत्र, जिसने पहले ऑपइंडिया से बात करने से मना किया ये कहते हुए कि हम कांग्रेस विरोधी हैं लेकिन फिर मान भी गए, सिर्फ इस शर्त पर कि हम उनका नाम छिपाए रखें। सूत्र ने कहा, “हमें ये पूछना चाहिए कि आखिर प्रियंका गाँधी और अन्य जैसे अखिलेश यादव गिरफ्तार किए गए जबकि राकेश टिकैत यूपी पुलिस के साथ बैठ कर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे।” उन्होंने पूछा, “ये एक नरसंहार था और राकेश टिकैत ने यूपी पुलिस के साथ बैठकर किसानों का हित बेचा। क्या राकेश टिकैत अब बीजेपी नेता बन गए हैं?”
एक अन्य समाजवादी पार्टी कार्यकर्ता ने कहा, “हम यूपी चुनावों के साथ जमीन पर काम कर रहे हैं। ये नेता बाहर से आते हैं और बीजेपी से हाथ मिला लेते हैं। हमारे नेताओं को ऐसे साँपों से सावधान रहना चाहिए।”
कांग्रेस के कई प्रोपगेंडाबाज लखीमपुर खीरी में प्रियंका गाँधी की हिरासत को उनके राजनैतिक करियर का एक नया जन्म और उत्तर प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस का पुनरुत्थान मान रहे हैं। बिलकुल वैसे जैसे इंदिरा गाँधी ने 1977 में बिहार में बेलची की यात्रा के बाद एक मरणासन्न कांग्रेस पार्टी को पुनर्जीवित किया था। लेकिन तथाकथित किसानों के आंदोलन को उग्र बनाकर कांग्रेस का वह ख्वाब पूरा होने के बजाए हाशिए पर धकेल रहा है, पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ सामने है कि किस तरह पार्टी में घमासान मचा हुआ है।
पत्रकार राजदीप सरदेसाई जिनका कांग्रेस पार्टी के लिए झुकाव अक्सर देखने को मिलता है, उन्होंने एक ट्वीट पोस्ट किया और प्रियंका गाँधी के इस लखीमपुर खीरी के दौरे को ‘बेलची क्षण’ बताया। इसके बाद कई मीडिया हस्तियों ने इसे प्रियंका का ‘बेलची क्षण’ करार देना चाहा जिससे साबित हो कि प्रियंका को वह राजनैतिक गति मिल गई है जिसकी उन्हें जरूरत थी।
इसके बाद सिख फॉर जस्टिस का खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने एक वीडियो जारी की और बताया कि कैसे वो इस मामले में और हिंसा चाहता है।
This is NOT a #FarmersProtest, it is an international conspiracy by #KhalistanMovement terrorists to divide our country.
— Priti Gandhi - प्रीति गांधी (@MrsGandhi) October 4, 2021
The ignorant Indians protesting on the streets are merely being used as cannon fodder. Wake up, people!! pic.twitter.com/msEKs5nSxl
Ghamandi Modi? Why, what's wrong with Farm Laws? Explain one thing which makes farm laws bad.
— Brinkster (@Brinkster6) October 4, 2021
It doesn't remove MSP, doesn't change any previous systems. It just adds one extra option for farmers to go for, if they wish. It's not forced or a necessary obligation..
all the antisocial people become farmers with false Kisan Tag ये शिख लोग देश को बर्बाद कर देगा। ये आतंकी लोग किसान कैसे हो सकता जो तरवाल ले के घुमता हो 4Hindus with 1driver have been killed by sikhs they have lynched them, Kisan Ekta doing false propaganda, they are criminals
— Ashutosh Ch Roy 🇮🇳 (@ashutoshroy13) October 4, 2021
भिंडरवाले की टीशर्ट पहना हुआ ये किस-किस भारतीय के लिए "किसान" है ? "अन्नदाता" है ? pic.twitter.com/j2MoCSxTkI
— Ashok Shrivastav (@AshokShrivasta6) October 4, 2021
यह साफ है कि खालिस्तानी, कांग्रेसी, सपा और विपक्षी समर्थक राकेश टिकैत में अपना विश्वास खो रहे हैं कि वो हिंसा को जारी रख सकते हैं और अब इस काम के लिए वो अलग हथकंडे आजमा रहे हैं- विनोद कापड़ी जैसे कांग्रेस प्रेमी पत्रकारों ने मामले में झूठी जानकारी दी कि भाजपा नेता किसानों को मार रहे हैं।
लखीमपुर खीरी हिंसा में 8 लोगों की मृत्यु की खबरों ने प्रियंका गाँधी वाड्रा, राहुल गाँधी, अखिलेश यादव आदि जैसे राजनेताओं के बीच गहरी मिलीभगत को प्रदर्शित किया। मामले में जहाँ सच्चाई यह थी कि कार पर ‘किसानों’ द्वारा हमला किया जा रहा था और ड्राइवर का कंट्रोल खोने से कार चार किसानों पर चढ़ी। बाहर जो नैरेटिव गढ़ा गया वो एकदम अलग था, जिसका श्रेय विपक्षी राजनेताओं, लिबरल मीडिया के निहित स्वार्थों को जाता है। इन लोगों ने जोर देकर यह फैलाया कि भाजपा नेता की कार जानबूझकर किसानों पर चढ़ी थी और उसके बाद भाजपा नेताओं की लिंचिंग कार में नेता द्वारा ‘क्रूरता’ का प्रत्यक्ष परिणाम थी।
हालाँकि, हकीकत तब सामने आई जब एक नई वीडियो ने सारी पोल खोली और दिखाया कि कैसे कार ने संतुलन खो दिया था और वह किसानों के ऊपर चढ़ गई थी और इसी के बाद किसानों ने भाजपा कार्यकर्ता की पीट पीट कर हत्या कर दी।
प्रियंका गाँधी का बेलची क्षण
साल 1977 में इंदिरा गाँधी के ख़िलाफ़ जनता की भावनाएँ चरम पर थीं। आपातकाल के कारण लोगों में गुस्सा था। इसी बीच बिहार के बेलची में 14 दलितों का नरसंहार हुआ। इंदिरा गाँधी को इस घटना में अवसर दिखाई दिया और उन्होंने जनभावना को अपने साथ करने के लिए इसका इस्तेमाल किया।
वह फौरन 35 गाड़ियों के काफिले के साथ बेलची के लिए रवाना हुईं और एक हाथी की सवारी कर वह लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रहीं। चुनावों में हार के बाद भी स्थानीय उनके लिए तालियाँ पीट रहे थे क्योंकि उन्हें वह पिछड़े वर्ग की रक्षक लग रहीं थी। इसका परिणाम अगले चुनाव में देखने को मिला और इंदिरा गाँधी दोबारा से सत्ता में लौट आईं।
इंदिरा, जिनका राजनैतिक करियर बिलकुल नीचे गिर गया था उन्होंने 14 दलितों की मौत को अपने लिए सीढ़ी की तरह इस्तेमाल किया और दोबारा राजनीति में उठ खड़ी हुईं। इस यात्रा का मीडिया में खूब बखान हुआ जिसे इंदिरा की बची हुई परेशानियों को भी दूर कर दिया। ताकतवर मीडिया और उनके पक्ष में तैयार इकोसिस्टम ने उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में प्रासंगिक बनाए रखने में मदद की और 1980 में सत्ता वापसी की नींव रखी।
साढ़े 4 दशक बाद, कांग्रेस पार्टी दोबारा उसी हाल में है। कुछ दिन पहले पंजाब में जो कुछ हुआ उसने लोगों के मन से उस भरोसे को भी मिटा दिया जो उन्हें कांग्रेस के युवा नेताओं और उनके नेतृत्व कौशल पर था।
एक ओर जहाँ कांग्रेस नेतृत्व पर गाँधी के दावों पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं दूसरे ओर पक्षपाती मीडिया व कांग्रेसी चाटुकारों को पूरी उम्मीद है प्रियंका गाँधी की लखीमपुरी खीरी यात्रा को उतनी ही सहानुभूति और समर्थन मिलेगा जितना उनकी दादी को बेलची यात्रा पर प्राप्त हुआ था और ये कांग्रेस की हारी हुई बाजी को पलट देगा।
यह ध्यान देने योग्य बात है कि कांग्रेस नेता भी इस दौरे को बेलची क्षण के तौर पर देख रहे हैं और राकेश टिकैत द्वारा नैरेटिव को तूल न देने पर उनसे लोगों में विश्वास कम होता जा रहा है।
यह आर्टिकल ऑपइंडिया की एडिटर इन चीफ नुपूर शर्मा के लेख पर आधारित है।
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