काफी समय से विदेशों में जमा काला धन का शोर सुनते आ रहे हैं, लेकिन विदेशों में धन जमा करने वालों पर भारत की वर्तमान मोदी सरकार कब कार्यवाही होगी? जो कानून का डंडा आम नागरिक पर चलता है, वही डंडा नेताओं और पूंजीपतियों पर क्यों नहीं चलता? वेतनभोगी एक पैसा भी सरकार से छुपा नहीं सकता, लेकिन भारतीय धन को विदेशों में जमा करने वालों पर कार्यवाही ही इनके द्वारा जमा धन कितने दिनों में भारत वापस आएगा?
केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय की ओर से सेंट्रल बोर्ड ऑफ डॉयरेक्ट टैक्सेज ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि 3 अक्टूबर को इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंटरनेशनल जर्नलिस्ट (ICIJ) द्वारा पैंडोरा पेपर्स के नाम से जारी किए गए दस्तावेजों के परिप्रेक्ष्य में सरकार उपयुक्त संस्थाओं और जाँच एजेंसियों के एक दल का गठन करेगी जो भारतीय कंपनियों और व्यक्तियों द्वारा बाहर के देशों में जमा किए गए धन और संपत्ति संबंधी जाँच करेगा और कानून के अनुसार समुचित कार्रवाई करेगा। इसके लिए केंद्र सरकार अन्य देशों की सरकारों के साथ मिलकर काम करेगी ताकि कर चोरी, मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य अवैध तरीकों से जमा किए गए धन के मामलों की समग्र जाँच और उसके अनुसार उचित कार्रवाई हो सके।
Government takes note of the data trove in the 'Pandora Papers' leak.
— Income Tax India (@IncomeTaxIndia) October 4, 2021
Govt issues directions that investigation in cases of Pandora Paper leaks as appearing in the media under the name 'PANDORA PAPERS' will be monitored through the Multi Agency Group headed by Chairman, CBDT. pic.twitter.com/XSnRBxiady
@sachin_rt inko kabhi pakad rahe ho? Ye maharathi ka bhi naam aaya hai! What about the politicians jiska naam aaya hai? Will be they be left scot free?
— NRNair (@nrnair86) October 4, 2021
True. They will leave the country. And we innocent tax payers will be paying indirectly.they don’t leave us but let the guilty always escape. Nirav, mallya, parambir, Deshmukh...sab bhag gaye. Hum bechara Bharat wasi pe hi saare rules laws lagu hote hai
— BeLikeTheLotus🕉 (@BeLikeTheLotus1) October 5, 2021
That's because anti nationals like us have not linked PAN with Aadhaar - poor @IncomeTaxIndia officials have to monitor anti nationals like us where tax is deducted at source on salary, FD interest, dividends.
— #DestroyTheAadhaar (@Orionis57) October 4, 2021
How much black money was identified by the sham ID Aadhaar?
I have even had an issue with an incorrect assessment. Neither has it been rectified. On the contrary I am asked to make an entry (details though are NOT provided) and the demand is still outstanding…
— India First and Last (@msjlobo) October 5, 2021
Request our PM Sir ji kindly Abolish Income Tax from India
— Bharat Mata Ki Jai (@BharatM03798708) October 4, 2021
ONE NATION ONE TAX ONLY GST
क्या है पेंडोरा पेपर्स?
पैंडोरा पेपर्स इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंटरनेशनल जर्नलिस्ट्स (ICIJ) द्वारा जारी किए गए दस्तावेज, डेटा, ई-मेल और रिकार्ड्स हैं जिनमें विश्व के विभिन्न देशों के नेताओं, उद्योगपतियों, व्यापारियों और अन्य विख्यात लोगों के कर चोरी, मनी लॉन्ड्रिंग या अन्य तरीकों से जमा किए धन और उससे बनाई गई सम्पत्तियों की सूची और उनसे सम्बंधित दस्तवेज हैं। इन दस्तावेजों को दुनिया भर के करीब 117 देशों के 600 पत्रकारों ने विभिन्न स्रोतों से हासिल किया है और उसे लगातार सार्वजनिक किया जा रहा है। हाल ही में जारी किए गए आँकड़ों के अनुसार इनमें करीब 64 लाख दस्तावेज, 30 लाख दस्तावेजों की फोटोकॉपी, 10 लाख ई-मेल और 5 लाख स्प्रेड शीट्स हैं।
इन दस्तावेजों में दुनिया भर के देशों में विभिन्न कंपनियों और व्यक्तियों के स्वामित्व वाली सम्पत्तियों का लेखा-जोखा है जिन्हें कर चोरी, घूस या मनी लॉन्ड्रिंग से प्राप्त पैसे से शेल कंपनियों के जरिए खरीदा गया है। इन सम्पत्तियों का स्वामित्व विभिन्न देशों के नेताओं, उद्योगपतियों, सेलिब्रिटी और व्यापारियों के नाम है जिन्होंने कर चोरी, अवैध रूप से हासिल किए गए धन या अन्य साधनों से जुटाए गए और देश से बाहर रखे गए पैसे से खरीदा गया है।
क्या है पैंडोरा पेपर्स में?
अभी तक जारी दस्तावेजों में जो प्रमुख नाम सामने आए हैं उनमें कतर और जॉर्डन के शाह, इंग्लैंड के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर, पकिस्तान के उद्योगपति, मंत्री और कुछ जनरल, केन्या के राष्ट्रपति और चेक रिपब्लिक के प्रधानमंत्री का नाम प्रमुख हैं। भारत से अभी तक केवल कॉन्ग्रेसी नेता और पूर्व मंत्री स्वर्गीय सतीश शर्मा का नाम आया है। साथ ही अन्य भारतीयों का नाम भी जल्द ही बाहर आने का अनुमान लगाया जा रहा है। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्ट टैक्सेज के माध्यम से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इन मामले में कार्रवाई करने की घोषणा की है।
अभी तक 90 देशों के कम से कम 330 राजनेताओं के नाम सार्वजनिक हुए हैं।
क्या ऐसा पहली बार हो रहा है?
इस तरह के दस्तावेज और डेटा विभिन्न स्रोतों के माध्यम से समय-समय पर पहले भी लीक होते रहे हैं। साल 2013 में ऑफशोर लीक्स, 2016 में पनामा लीक्स और 2017 में पैराडाइज पेपर्स लीक्स इनमें प्रमुख हैं। साथ ही स्विट्ज़रलैंड और अन्य छोटे-छोटे देशों में रखे गए बैंक अकाउंट संबंधी विवरण समय-समय पर लीक होते रहे हैं।
किस तरह रखा जाता है विदेशों में पैसा?
देश में वैध या अवैध तरीके से कमाए गए धन को बाहर के देशों में रखने का तरीका दशकों से प्रचलित है। जिन देशों में शैल कंपनी बनाना सरल होता है, या जिन देशों में आयकर या अन्य कर लागू नहीं होता, वहाँ तमाम माध्यमों से धन ले जाकर शेल कंपनियाँ बनाई जाती हैं और फिर उनके माध्यम से संपत्तियाँ खरीदी जाती हैं। ऐसे देशों को आम बोलचाल की भाषा में टैक्स हेवन कहा जाता है। इन देशों में शेल कंपनियाँ बनाना इसलिए आसान होता है क्योंकि यहाँ ऐसी कंपनियों को बनाते समय वहाँ की सरकारों को बहुत अधिक सूचनाएँ नहीं देनी पड़ती और न ही सार्वजनिक करनी पड़ती हैं। साथ ही इन देशों में कंपनियों पर टैक्स या तो नहीं होता या फिर बहुत कम होता है। साथ ही कंपनियों के मालिकाना हक़ से संबंधी जानकारियाँ किसी के लिए भी प्राप्त करना आसान नहीं होता।
टैक्स हेवन में शेल कंपनियों को बनाने का मकसद क्या होता है?
ऐसी कम्पनियाँ बनाने के मुख्यतः दो उद्देश्य होते हैं, वैध या अवैध तरीके से कमाए गए धन को शेल कंपनियों के माध्यम से बैंकों में रखना या फिर उस धन से संपत्ति खरीदना। जैसे यदि कोई कंपनी या व्यक्ति किसी और देश में संपत्ति खरीदना चाहते हैं तो वे इन शेल कंपनियों के माध्यम से खरीदते हैं। इससे लाभ यह होता है कि इन कंपनियों के मालिकाने से सम्बंधित जानकारियाँ सार्वजनिक नहीं करनी पड़तीं। ऐसी कम्पनियाँ बनाने और चलाने वाले लोग होते हैं जो कंपनियों के मालिकों के लिए अपनी सेवा देने के लिए उपलब्ध रहते हैं। मालिकों के बारे में भी कम से कम सूचनाएँ देकर ऐसी कम्पनियाँ बनाई जा सकती हैं।
देश से बाहर कैसे ले जाया जाता है धन?
वैध या अवैध तरीके से कमाए गए धन को देश के बाहर ले जाने के कई साधन हैं। अवैध तरीके से कमाए गए धन को टैक्स हेवन में पहुँचाने का सबसे बड़ा साधन हवाला है। अपने देश में किसी हवाला ऑपरेटर को अपने देश की करेंसी कैश में देकर उसे किसी टैक्स हेवन में वहाँ की करेंसी में लेकर वहाँ शेल कम्पनियाँ बनाई जा सकती हैं। कम्पनियाँ एक्सपोर्ट की अंडर इन्वॉइसिंग के जरिए बाहर पैसा ले जाती हैं। जैसे यदि कोई कंपनी 100 रुपए का निर्यात कर रही है तो वो बिल केवल 90 रुपए का बनाएगी और बाकी के 10 रुपए उत्पाद के निर्यातक से उसके देश में कैश में ले लेगी। इस तरह से 10 रुपया उसे उस देश या किसी अन्य देश में मिल जाता है और वो उस 10 रुपए को टैक्स हेवन में बनी शेल कंपनी में रखकर उसे बैंक में जमा कर सकती है या फिर उससे कोई संपत्ति खरीद सकती है।
इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग जरिए पैसा बाहर ले जाया जाता है। इसमें किसी उत्पाद या सेवा के लिए बिल बनाया जाता है जो उत्पाद या सेवा कभी निर्यात या आयात होते ही नहीं। इस तरह से अनेक और साधन हैं जिनके जरिए वैध या अवैध धन इन टैक्स हेवन में ले जाकर शेल कंपनियों में रखा जाता है।

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