कनाडा हाल के दिनों में यूरोप के कई साहित्य पर प्रतिबंध लगा चुका है। कारण दिया गया कि इसमें लिखी चीजें स्थानीय देशज लोगों के लिए ठीक नहीं हैं। राजधानी का ‘टोरंटो डिस्ट्रिक्ट स्कूल बोर्ड (TDSB)’ इस काम में वहाँ सबसे आगे है। बच्चों और साहित्य की लगभग 5000 पुस्तकों को वो आपत्तिजनक बता कर नष्ट कर चुका है। अब एक बुक क्लब कार्यक्रम से उसने अपना समर्थन वापस ले लिया है। इसमें नोबेल पुरस्कार विजेता और यज़ीदी मानवाधिकार कार्यकर्ता नादिया मुराद भी हिस्सा लेने वाली थीं।
इस कार्यक्रम में दो किताबों के लेखकों की मौजूदगी में उनकी पुस्तकों पर चर्चा के लिए आयोजित की जाने वाली थी। इसमें नादिया मुराद की पुस्तक ‘The Last Girl: My Story of Captivity, and My Fight Against the Islamic State‘ (द लास्ट गर्ल: मेरी कैद और इस्लामिक स्टेट के खिलाफ मेरी लड़ाई) भी शामिल है। बोर्ड का कहना है कि नादिया मुराद की पुस्तक मुस्लिमों की भावनाओं को ठेस पहुँचा सकती है और और इस्लामोफोबिया को बढ़ावा दे सकती है।
#Canada: the Toronto school board has withdrawn support for events featuring the memoir of Nadia Murad, the Yazidi woman who was enslaved by the Islamic State, because it could "promote Islamophobia".https://t.co/VjSEDgHTq1
— Kyle Orton (@KyleWOrton) November 21, 2021
To block all criticism and discredit all rational, justified fear. Literally.
— A Better World (@ConquerAnger) November 22, 2021
Wow . Now stories of barbarism & struggles of people around the world can't be displayed because it hurts someone's feeling . Why not outcast & shame the perpetrators instead of trying to hide stories of struggle .
— rightofcentre (@right_of_centre) November 21, 2021
बोर्ड ने दावा किया कि ये पुस्तक मुस्लिमों के लिए ठीक नहीं है। बता दें कि नादिया मुराद जब मात्र 16 साल की थीं, तब 2014 में ISIS के आतंकियों ने उनका अपहरण कर के उन्हें ‘सेक्स स्लेव’ बना दिया था। वो उत्तरी इराक के एक गाँव में रहती थीं, जहाँ हमले के बाद आतंकियों ने उन्हें बंदी बना लिया था। TDSB के प्रवक्ता रयान बर्ड ने कहा कि इस मामले में कुछ मिसअंडरस्टैंडिंग हुई है, बुक क्लब के लिए सिर्फ अपने छात्रों को वहाँ बैठने का समर्थन वापस लिया गया है।
‘A Room of Your Own; नामक क्लब को तान्या ली ने 2017 में शुरू किया था। इसमें कई स्कूलों के 13 से 18 वर्ष तक की उम्र की छात्राओं को बुला कर उन्हें किताबें पढ़ने और एक-दूसरे से ऑनलाइन चर्चाएँ करने की सुविधा दी जाती है। ली ने बोर्ड के निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यही इस्लामिक स्टेट का अर्थ होता है, जो एक आतंकी संगठन है। उन्होंने कहा कि सामान्य मुस्लिमों का इससे कुछ लेनादेना नहीं है और टोरंटो स्कूल बोर्ड को इस अंतर की जानकारी होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि पहली बार बोर्ड ने उनके बुक क्लब द्वारा आयोजित किसी कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी है। ये कार्यक्रम फरवरी 2022 में प्रस्तावित है। इस किताब में नादिया मुराद ने बताया है कि किस तरह उनकी आँखों के सामने उनके परिवार को मार डाला गया और उन्हें कैदी बना लिया गया। उनका कई बार आतंकियों द्वारा बारी-बारी से बलात्कार हुआ और प्रताड़ित किया गया। वो किसी तरह वहाँ से भाग कर निकलने में कामयाब रहीं। बोर्ड ने अब कहा है कि उसके कर्मचारी किताबें पढ़ रहे हैं।

No comments:
Post a Comment