अमेरिकी वोक आहत हैं तो दूसरे वोक्स ने बाकी बचे वोक को ठेस पहुँचाने के लिए माफी माँगी है, वजह है चंदे का एक बहुत ही साधारण सा गणित।
नहीं समझ आया तो आइए बताते हैं कि मामला क्या है?
कहने को वुमेन्स मार्च एक विरोध प्रदर्शन है, जिसकी शुरुआत 21 जनवरी 2017 को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के शपथ ग्रहण समारोह के बाद शुरू हुआ था। अब बुधवार (24 नवंबर, 2021) को वुमेन्स मार्च ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर अपने एक मेल के लिए माफी माँगी है, जिसे उन्होंने सब्सक्राइबर को भेजा था।
दरअसल, वुमेन्स मार्च ने भेजे गए उस ईमेल के लिए माफ़ी माँगी है जिसमें उल्लेख किया गया था कि इस सप्ताह का औसत डोनेशन मात्र 14.92 अमेरीकी डालर था। उन्होंने कहा कि यह सब तब हुआ जब यह वर्ष नेटिव इंडिजिनस लोगों के लिए उपनिवेशवाद, विजय और नरसंहार को याद करने का है। यह विशेष रूप से थैंक्सगिविंग से पहले’ से लोगों से कनेक्शन नहीं बनाने की हमारी एक भूल थी।
We apologize deeply for the email that was sent today. $14.92 was our average donation amount this week. It was an oversight on our part to not make the connection to a year of colonization, conquest, and genocide for Indigenous people, especially before Thanksgiving.
— Women's March (@womensmarch) November 23, 2021
Actually I’m upset that @womensmarch continues to raise money that should be spent on direct abortion work & support, often without including abortion funds in their mobilizations, and continues to fuck up and not learn from past mistakes. 🙃
— Josie Pinto (@JosiePinto) November 23, 2021
जैसे ही ये बात औरों को पता चली, अमेरिका में लोग इस बात से परेशान हो गए कि विमेंस मार्च को औसतन 14.92 अमेरीकी डालर का डोनेशन मिला। क्योंकि 1492 वह वर्ष है जब इतालवी खोजकर्ता क्रिस्टोफर कोलंबस ने अमेरिका की खोज की थी जबकि वह भारत की तलाश में निकला था। वह पहली बार 12 अक्टूबर, 1492 को अमेरिका पहुँचा और बाद में उपनिवेशों की स्थापना की।
मामला यह है कि चूँकि वुमेन्स मार्च के वोक प्राप्त डोनेशन राशि को कोलंबस के अमेरिका पहुँचने के वर्ष से कनेक्ट नहीं कर पाए, इस बात ने दूसरे वोक को इतना आहत कर दिया कि बाकि वोक को माफी माँगनी पड़ी।
चीजों को ठीक ढंग से समझने के लिए, ऐसे समझते है कि अगर इच्छाधारी प्रदर्शनकारी से वर्तमान में ‘किसान’ बने योगेंद्र यादव अपने दम पर एक फण्डरेजर का आयोजन करते हैं और मान लेते हैं कि 125 लोग इसमें 2,480 रुपए का योगदान करते हैं, तो यह औसतन 19.84 रुपए प्रति व्यक्ति की डोनेशन राशि होगी। अगर योगेंद्र यादव को वूमेन मार्च से जोड़ते हुए देखें, तो वह इसे वर्ष 1984 से जोड़ते जब इंदिरा गाँधी सरकार द्वारा खालिस्तानी आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले को स्वर्ण मंदिर, अमृतसर में ऑपरेशन ब्लू स्टार के तहत मारा गया, विरोध में इंदिरा गाँधी की हत्या हुई और उसके बाद पूरे भारत में सिख विरोधी दंगे भड़के।
You know what?
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) October 14, 2019
My appeal to donate for this environmental crusader got 816 likes and 168 retweets but only ₹50 (yes only Rs fifty) in donation.
Is that how we support green politics?
Will some of us turn our likes into action? https://t.co/6AA5PGmKtl
I don't mind paying Rs 50 but then Yogendra ji's party loses even security deposit,why?
— Rajinder Raina 🇮🇳 (@rraina1481) October 14, 2019
Yogendra ji,so long as you are seen alongside @pbhushan1,you will not win a RWA election !!
This YoYa is such a hypocrite..he is asking people to donate, but he himself did not donate. Dont tell me the Rs.50 was from him.
— Last Bench 🇮🇳 (@LastBench_) October 14, 2019
But why didn't saleem aka Yogendra Yadav take money frm his nephew who has lot money pic.twitter.com/gYvzsDhihY
— Anil Mattoo 🇮🇳 (@AnilMatt00) October 14, 2019
मौसम के अनुसार विभिन्न कारणों से तमाम तरह से विरोध-प्रदर्शन करने के बावजूद, आज भी योगेंद्र यादव की स्थिति यह है कि अपने दम पर 100 रुपए भी नहीं जुटा पाएँगे। यह तथ्य इसलिए भी है क्योंकि उन्होंने खुद स्वीकार किया है कि कैसे उनका फण्डरेजर कैम्पेन, उनके विरोध-प्रदर्शनों की तरह ही एक बड़ा मजाक साबित हुआ है।
बात दरअसल, 2019 की है जब हरियाणा विधानसभा चुनावों से पहले, योगेंद्र यादव ने ‘पर्यावरणविद्’ तेजपाल यादव को अपनी पार्टी के उम्मीदवारों में से एक के रूप में समर्थन देते हुए खड़ा किया था। ट्विटर पर एक कैम्पेन को आगे बढ़ाते हुए हुए, उन्होंने अपने तमाम चहेते फॉलोवर्स से आर्थिक सहायता की गुहार लगाई। लेकिन, जब उन्हें अपनी कथित ‘ग्रीन राजनीति’ के लिए केवल ₹50 रुपया ही मिला तो उन्हें गहरा सदमा लगा था। जिसका जिक्र उन्होंने बड़े ही निराश मन से अपने एक ट्वीट में भी किया था।

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